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ये क्या हो रहा है?
आपकी गर्व रेखा के उस पार कुछ भिन्न हो रहा है जो हमें समाज की
खोखली हो रही आधारशीला प्रति जाग्रत होने का सूचन कर रही है
हर तरफ नजर घुमा लो और नोटिस कर लो
अधिकतर बेटे बेटियां अपनी नसो में नेटफिलक्स उतार चुके है
"Big Boss" बनाने वालों कि बातो में आ गये है
गलियां सरेआम बक रहे है
पब, ड्रग्स और पतन के सारे मार्ग ढूंढ़ चूके है
बेटी माँ बाप के सामने सती सावित्री है
पब में माँ कि... आग के आगे भी चली जाती है
सब उनके लिये नॉर्मल है
आये दिन नशा भी करती है
अगर ज्यादा थ्रील चाहिए तो निर्दोष कि दुनिया
तबाह कर सकती है
तुमने जो संस्कार सिंचन किया, वो सही था
बाद में, कान्वेंट में पढ़ाया
आगे विदेश भेजा
आपने उसके पंख खोले और मोबाइल ने बिना सोचे समझे
नियंत्रित गति में बवंडर भर दिया
अब आपके संस्कार और परंपरा उन्हें बंधन लग रही है
उनके भीतर और बाहर कि छबि में मिलावट हुई है
पहले फिल्मो में विलन चाले चलते थे ऐसी चाले अब रोजमर्रा चली जा रही है.
हास्य में, आँसू में और अभिनय में कृत्रिम कला मिलाकर कई अवार्ड जीत चुकी है.
पालक के गहरे विश्वास को भंग करके बहुत आगे निकल चुकी है.
अभी भी पालक को अपने खून पे विश्वास है, उनके आधार में सींचे गये संस्कार पे अभिमान है.
स्थापित हो चूके अदृश्य फांसले से अभी वो अंजान है.
सत्य एक दिन प्रगट होता ही है. उनका तीक्ष्ण प्रहार जानलेवा हो सकता है.
तब तुम टूटकर दुनिया समक्ष चिल्लाओगे 'मेरी बेटी ऐसा नहीं कर सकती'.
न्याय कि अदालत को जूठा करार दोगे.
किन्तु जो सत्य आसमां कि छाती पे लिख दिया गया है उसे अब तुम नहीं मिटा पाओगे.

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