ये मेरा दिल है
देख, धड़क रहा है
तूने इसे खिलौना कैसे समझ लिया?
तूने तो मुझे पसंद किया था
कॉलेज में वैसे साथी तो होना ही चाहिए,
सोचकर,मेरे चार्म को तूने हथिया लिया था
तेरी आँखों नें मेरे जिगर को घायल कर दिया था
में तो दूर शहर से पढ़ने आया हूँ
कुछ बुलंद ख्वाब बुनकर आया हूँ
तूने तेरे जिश्म कि अंगड़ाई में मुझे लपेट लिया
सारे लेक्चर छोड़कर
में दिन रात शायरी में तुझे लिखता रहा
में प्रेम से रूबरू हो गया
मेरे भीतर प्रेम प्रवेश कर गया
में प्रेममय हो गया
करियर कि राह से आहिस्ता फिसल गया
मेरा दिल तो एक सच्चा बच्चा निकला
जो महसूस किया, स्वीकार कर लिया
दुनियादारी तो माँ नें सिखाई ही न थी
सिर्फ प्रेम कि महत्ता ही समझाई थी
में तो डबल ग्रेजुएट होते होते
प्रेम के मोह से भीड़ गया
एक दिन उनकी पलकों में,
दूजे कि परछाई देख,में सहम गया
टूटकर बिखर गया
मर्द को भी दर्द होता है
बताने का मौका न दिया गया
बालो को जटककर उडाते हुए
आगे बढ़ जाने कि उनकी बेफिक्र अदा से
आज में रोमांचित न हुआ
आघात से अर्ध मृत हो गया
मैंने अंतिम मेसेज में लिख दिया
ऐसे किसी ओर को मीठी मौत मत देना
किसी के दिल कि दुनिया को इतना मत उजाड़ देना कि
फिर कभी वो प्रेम ही न कर सके
प्रेम के नाम से ही नफरत करने लगे
अपने दिल के टूटे हुए हिस्से जोड़ने में ही जिंदगी बिता दे
ऐसे किसी ओर को मीठी मौत मत देना
एक आशिक कि इतनी सी बात रख लेना.