Image by AdelinaZw from Pixabay

एक खूबसूरत ख़याल से टकराना
घायल हो जाना
कराहते हुए भी
उनकी आगोश में ही, जन्नत पाना
ये तो इश्क के सफर कि शुरुआत है
ख़याल मात्र से, घायल होते जज़्बात है
आगे अगन जब उदंड होती है
जलाती है दिल कि दुनिया और चहुओर राख उड़ाती है
लावा उबलता रहता है
दिल से सटे बंद कमरों में प्रवेश के पश्चात्,
मुड़ना दुष्कर होता है
इश्क कि लाल अगन सिमित से
असीमित ऊर्जा में, शामिल होना चाहती है.
मुलाधार कि ऊँगली थामे
अगन कि तेज आंच, आसमां छूने निकल जाती है
अवाचक सी कुदरत, लाल आँधी न रोक पाती है
अपने ही खेल में खुद मात खाती नजर आती है.

.    .    .

Discus