योगी, तू महायोगी है
भारत की तपस्या की फलश्रुति है
महाकुम्भ का तुझे नमन है
श्रद्धा के सागर मध्य तेरी आकृति उभरी है
संगम पे शिव का साम्राज्य है
तेरा कर्म ही तेरा आराध्य है
मानव सेवा, धर्म सेवा और राष्ट्र सेवा में
तूने अपना सर्वस्व जोंख दिया है
आध्यात्म खुद अचंबित है
आसमान जयकार कर रहा है
हिन्द तुझे पाकर आज सच में न्याल हो गया है
हिंदुत्व चहुओर तेरा जयकार कर रहा है
भगवा से बहते अश्रु तुझे आशीष दे रहा है
योगी, तू महा योगी है.