Image by Jai Bhutani from Pixabay

आर्डर जारी हुआ था
छुट्टियां रद करके वो बॉर्डर पे खड़ा था,दुश्मन को बराबर जवाब दे रहा था
तोप में गोला बारूद भरकर तैयार था,दुश्मन बेकाबू हुआ था
आर्डर हुआ
अब वो सटीक निशाने पे गोला दाग रहा था
उनकी दृष्टि के सामने धुँआ पसर रहा था
एक के बाद एक दुश्मन कि चौकीयां उड़ रही थी
उसने सिर झटका
धुँए में घिरी दृष्टि में,घर से निकलते वक़्त तिलक करती माँ कि झलक उभर रही थी
उसने फिर से सिर झटका
लगातार दो घंटे चली तोप कि चित्कार आहिस्ता शांत हो रही थी
उसने पानी कि बोतल उठाई, दो घूंट गले में डाला,
फिर दूरबीन लगाया.
खतरा महसूस किया, दुश्मन ने अपनी रणनीति बदली थी
अब सामने से हटकर दाई और कि पहाड़ियों के पीछे वो छिप गया था
ऊँचाई पे, दुश्मन सैन्य पोजीसन ले चूका था
गोला बारूद सप्लाई हुआ,बटालियन ने लेफट. को आगाह किया
पोजीसन में बदलाव हुआ
थोड़े पीछे हटे, लक्ष्य पे त्राटक किया
फायर...
पहल करते हुए तोप से गोले बरसने लगे
दुश्मन हरकत में आ चूका था,धुँआधार जंग जारी थी, मौत दूर खड़ी मुस्कुरा रही थी
दुश्मन कि तोप से एक गोला छुटकर, दस मीटर कि दूरी पे गिरा
धूल मिट्टी के बादल उड़े,धुँए का गुबार इस बार दृष्टि में नहीं
अस्तित्व के भीतर पसर गया
दो मिनिट मौन छा गया
आज बेटी कि बोर्ड कि एग्जाम का रिजल्ट आनेवाला है
वो बेटी कि आँखों में देखी चमक याद किये मौन दुआ दे रहा था
उसने फिर से अपना सिर झटका
आक्रमण... अब वो लगातार दुश्मन पे गोले दाग रहा था
पहाड़ी पे दुश्मन ने पोजीसन संभाल ली थी
सूर्य अस्त हो चूका था
दुश्मन बदला ले रहा था.अपनी तरफ खड़ी चारो तोपों से अगन बरस रही थी
अचानक दुश्मन के ड्रोन ने तीनो दिशाओ से हमला किया
राडार सक्रिय था, हमला निष्क्रिय किया गया
तोप कि चित्कार धीमी होती गई , अचानक एक मिसाइल अंतिम छोर पे खड़ी टेंक पे गिरी
भयानक कम्पन हुआ,कैप्टन रौशन सिंह कि चीख निकली,आसमां में मिल गई
धुँए का गुबार उठा, अब कि बार आत्मा तक कोहरा छा गया
पत्नी कि मांग का सिंदूर दृष्टि में फ़ैल गया
घर से निकलते वक़्त,
उसने अपने हाथो से उसकी मांग में लाल प्रेम भरा था और उनके बहते अश्रु को चूमकर उसे गले लगा लिया था.
उसने फिर से सिर झटका
कैप्टन का आदेश सुना, सटीक निशाना लगाते हुए,पहाड़ी पे खड़े दुश्मन के दो टेंक को उड़ा दिया.
अब कुछ पल के लिये गहरा मौन पसर गया
इन गर्वित पल के समर्थ साक्षी,टेंक पे चिन्हित तिरंगे को झूककर नमन किया.ऐसे एक सच्चे सैनिक ने अपना गर्व प्रदर्शित
किया.अपने साथियो कि तरफ हाथ उठाकर 'जय हिन्द 'का जयघोष किया.
उनके आसपास न कोई मिडिया थी,न कोई मोबाइल कि रील बन रही थी, उसे प्रसिद्धि कि न कोई सुध थी, उसे सिर्फ अपने दिल
में देश प्रति उच्च भक्ति थी.
उसने फिर से सिर झटका
आर्डर था, आसमां में दुश्मन कि वायुसेना का जहाज था
तीनो टेंक के जवानो को अपनी टेंक में रक्षात्मक पोजीसन लेने बोला गया. हमारा राडार एक्टिव था,जो हवा से हो रहे आक्रमण
को बेअसर कर रहा था , अब दुश्मन ने जमीनी मोर्चा दोबारा खोल दिया.तोप गरजने लगी. तीनो जवान ने पोजीसन संभाल
ली. अब तीनो एकदूजे से दूर जाकर दुश्मन को जवाब दे रहे थे. दुश्मन के दाँत खट्टे कर रहे थे.
अब भीषण लड़ाई हो रही थी, कुछ गोले उनकी तरफ आ रहे थे, एक दो टेंक के नजदीक आकर गिरे थे, उनकी तेज अगन उनकि
त्वचा चिर रही थी, देह और दिमाग़ मध्य भी जंग छिड़ी हुई थी, इन हालत में भी एक शूरवीर यौध्धा कि दृष्टि स्थिर रहकर
दुश्मन को व्यग्र कर रही थी.
तीनो टेंक के, तीन दिशा से हो रहे प्रहार में दुश्मन कि साँस निकल रही थी,लंबी चली मुठभेड़ में, मध्य रात्रि तक तीन टेंक ने
मिलकर दुश्मन कि सारी चौकीयां उड़ा दि थी. अब हवा में सन्नाटा पसर गया है, हवा में बारूद कि गंध घुल गई है. विश्राम...
आदेश उसने नहीं सुना, दूर अंधेरा ओढ़कर उनके साथी,दुश्मन का पीछा करते हुए आगे बढ़ गये है,या मौत की नींद में सो गये है
ये उसे नहीं मालूम है.उसने पानी कि बोतल ली, पूरा पानी एक ही घूंट में गले से निचे उतार दिया. आसपास देखा, कोई हलचल
नहीं थी. किन्तु हवा भारी हो रही थी, उसने अब दर्द महसूस किया, कमीज देखी, खून से लदी हुई थी, दुश्मन के एक नजदीक
फूटे गोले से उनके सिर के पीछे वाले हिस्से में गहरी चौट आई थी.वहाँ से खून कि धार बह रही थी, उसने घाव टटोला, उनकि
हथेली में खून से सटी खंडित त्वचा बिखर गई,उसने आसमां कि और देखा, अब उसे चाँद धुंधला नजर आ रहा था.
उसने अपने आप को संभाला, आवाज लगानी चाही, न निकल पाई, उसने हिम्मत जुटाई और टेंक के बाहर जाना चाहा किन्तु
अब आहिस्ता उनकी आभा से प्रकाश किरने उड़ रही थी, उसने अपने फैले हुए देह में शक्ति का संचार किया और झूककर टेंक का
गुप्त खाना खोल दिया.
अब उनके हाथ में राइफल थी. उसने उसे आसमां कि और घुमाया और ट्रिगर दबा दिया.
आवाज सुनी गई. नाईट पेट्रोलिंग करती सचेत सिपाही की एक टुकड़ी उनकी और मुड़ गई.थोड़ी ही देर में उसे 'जय हिन्द ' की
पुकार सुनाई गई किन्तु उनकी आवाज रूठ चूकि थी, दृष्टि धुंधली हो चूकि थी.
उनकी धुंधली दृष्टि में "माँ भारती" जीत का तिरंगा लहरा रही थी.उसकी मुस्कान फ़ैल गई, हाथ सेल्यूट करने ऊपर उठे और
तुरंत गिर गये.
वीर शहीद जवान के सन्मान में पहले आसमां झुक गया फिर देश ने नम पलकों से अपने प्रकाशपुंज को बिदा किया.
जय हिन्द. जय हिन्द की सेना.

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