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प्रेम क्या है? प्रियतम की आँखें

प्रेम वो एहसास है, जो शब्दों में बंधता नहीं,
जो धड़कनों की हल्की-सी सरगम में बहता नहीं।
यह किसी स्पर्श का मोहताज़ नहीं,
यह तो वो अनुभूति है जो बिन छुए भी सिहरन दे जाए।

कभी यह किसी चंचल नदी-सा बहता है,
तो कभी किसी शांत झील में गहरा उतरता है।
कभी यह झरनों की हंसी में सुनाई देता है,
तो कभी सागर की लहरों में खुद को सहेजता है।

कुछ नज़रें ऐसी होती हैं, जो बिना कहे भी प्रेम का हर रहस्य खोल देती हैं,
जिनमें झाँको तो हर उत्तर वहीं मिल जाता है।
कभी वो ओस की बूँदों-सी कोमल होती हैं,
तो कभी किसी संध्या के सूरज-सी गहरी और शांत।

जो समझ सके इन आँखों की भाषा,
वो प्रेम को समझ लेता है।
जहाँ शब्द नहीं, वहाँ एक दृष्टि ही पर्याप्त होती है,
क्योंकि कभी-कभी, प्रेम खुद को देखने भर से भी महसूस हो जाता है।

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