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"आलसी" शब्द जहां आलस भरे जीवन को दर्शाता है, वहीं दूसरी तरफ यह एक उपयोगी और सारगर्भित शब्द भी है। आलस्य, स्वयं और दूसरों के लिए बाधा बन सकता है, लेकिन इसके पीछे हम क्षणभर में बहुत कुछ खो देते हैं और बहुत कुछ पा भी लेते हैं।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हमने बहुत कुछ खो दिया है—सबसे बड़ी हानि यह हुई है कि हमने स्वयं को भी खो दिया। लेकिन, यदि हमें स्वयं को फिर से पाना है, तो आलस्य का एक छोटा सा रास्ता अपनाना होगा।

आलसी बनना बहुत ही आसान है। इस क्षणभंगुर संसार में शायद सबसे सरल कार्य आलसी बनना ही है। आलसी बनने के कारण भी आसान होते हैं, और यह व्यक्ति को जीवनभर का आराम दे सकता है। हम अक्सर बहाने ढूंढ़ते हैं किसी काम को न करने के लिए या उसे कल पर टालने के लिए। लेकिन आलस्य को हम न तो कल पर टालते हैं और न ही उसके लिए कोई बहाना बनाते हैं, क्योंकि वह स्वयं में ही आराम करने का एक बहाना होता है।

वर्तमान युग डिजिटल दुनिया का है, और हम इसके पूर्ण रूप से आदि हो चुके हैं। क्या हमने कभी सोचा है कि यह डिजिटल दुनिया जिसने बनाई है, उन्होंने अपने आलस्य के समय का उपयोग नए प्रयोगों के लिए किया होगा? वे अपने खाली समय को दिमागी कार्यों से भर देते थे और इसी कारण आज हम घंटों इस डिजिटल दुनिया में खोए रहते हैं। कुछ लोग इससे केवल आलस्य भरा जीवन जी रहे हैं, जबकि कुछ इसी के सहारे तरक्की कर रहे हैं।

आलसी होना भी एक बखूबी है!

आलस्य कभी-कभी सोचने की प्रक्रिया को और अधिक सजग बनाता है। जब हम बिस्तर पर पड़े रहते हैं, तब अक्सर आलस आ जाता है। लेकिन यदि इस आलस्य को समय प्रबंधन में शामिल कर लिया जाए, तो यह बेहतर सिद्ध हो सकता है। इस समय हमारा मस्तिष्क नवीन ऊर्जा और विचारों से भरा होता है—

"मैं यह कर सकता हुं / कर सकती हुं।"

"मैं वहां जा सकता हुं/ जा सकती हुं।"

आदि विचार उमड़ने लगते हैं।

परंतु, इन सारी क्रियाओं को प्रेरित करने के लिए हमारे भीतर की एक आंतरिक आवाज़ हमें पुकारती है, जिसे हम या तो सुनते हैं या अनसुनी कर देते हैं। उदाहरण के तौर पर—

"मुझे यह लेख लिखना है, मेरे पास फिलहाल कोई काम नहीं है, लेकिन इतनी मेहनत कौन करेगा? यह तो व्यर्थ लोगों का काम है!"

इस तरह की सोच हम अपने भीतर ही दबा देते है। वहीं, दूसरी ओर, जो व्यर्थ लोग माने जाते हैं, वे अपने इसी आलसी समय का सदुपयोग कर कुछ नया रच देते हैं और उस दिन की सफलता अर्जित कर लेते हैं।

आलस्य के लाभ

आलस्य हमेशा नकारात्मक नहीं होता। यदि सही दिशा में प्रयोग किया जाए, तो यह नए विचारों को जन्म देता है

  • नवीन विचारधारा :- जब लोग आलस में आराम कर रहे होते हैं, तो उनका मस्तिष्क नए विचारों की ओर मुड़ता है और वे कल्पनाओं से इतिहास रचने के सपने संजोते हैं।
  • तनाव से मुक्ति :- यदि हम लगातार किसी तनाव में हैं और रोज़मर्रा के कार्यों से विश्राम नहीं ले पा रहे हैं, तो कभी-कभी आलस का यह विश्राम हमें मानसिक तनाव से मुक्त कर सकता है।
  • स्वयं को प्राप्त करना :- इस भागम -भाग भरे जीवन में स्वयं को खोजने के लिए थोड़ा सा आलस्य का विश्राम करना पड़ेगा, ताकि हम अपने असली अस्तित्व को पहचान सकें और जीवन का सही मायनों में आनंद ले सकें। इससे हमारे भीतर एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

आलस्य के नुकसान

आलस्य के लाभ होते हैं, वहीं अत्यधिक आलस्य कई नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है

  • लक्ष्य से दूरी :- यदि हम लगातार आलसी बने रहते हैं, तो धीरे-धीरे अपने लक्ष्य से दूर होने लगते हैं और बाद में वह लक्ष्य हमारे लिए पहाड़ जैसा प्रतीत होने लगता है।
  • समय की बर्बादी :- आलस्य के कारण हम अपना कीमती समय खो देते हैं और कई महत्वपूर्ण अवसर हमारे हाथ से निकल जाते हैं।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव :- अधिक आलस्य हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। यह मोटापा, हृदय रोग और अन्य बीमारियों को जन्म दे सकता है।

निष्कर्ष

"आओ चलो, हम आलसी बनें"—यह एक ऐसा विचार है जो हमें जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है। थोड़ा सा आलस्य, विश्राम का अवसर देकर हमें काम करने की नई ऊर्जा प्रदान कर सकता है। यह मन की एकाग्रता को स्थिरता देता है, मानसिक शांति बढ़ाता है, और शारीरिक थकावट को कम करने में सहायक होता है।

आलस्य केवल आराम का दूसरा नाम नहीं है, बल्कि यह जीवन को बेहतर समझने का एक तरीका भी हो सकता है। यदि इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो यह हमारे जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है।

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