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हल्दी नाम सुनते ही जहन में आता है पीला रंग,एक प्रकार की गांठ जिसे पीसकर खाने के मसाले के रूप में प्रयोग की जाने वाली।

"सर्दी का मौसम
सर्दी की प्रिय सब्जी
जो दावत से भरी हो
ये हल्दी कितनी रूप रेखाओं से
होकर गुजरती है
आईए आज हम
हल्दी के रास्ते को तय करते है।"

वैसे देखा जाएं तो हल्दी और अदरक दिखने में एक जैसे दिखते है , लेकिन हल्दी और अदरक को हाथ में रखते ही दोनों में एक भिन्नता हमें तुरंत दिखाई देती है । हल्दी को हाथ में लेते ही हमारे हाथों में पीले रंग का आवरण चढ़ जाता है ,वही दूसरी ओर अदरक अपनी महक छोड़ जाती है । दिखने में एक जैसे है फिर हम अनुमान भी लगा सकते है ये दोनों एक परिवार से संबंधित है और वैसे बताया जाता है कि हल्दी अदरक के परिवार से संबंधित है। आज से लगभग 4000 वर्ष पहले हल्दी को भारतीय उपमहाद्वीप में पहली बार खेती के प्रयोग में लाया गया, इसकी उत्पति भी दक्षिण पूर्व एशिया ओर भारत में मानी जाती है। आयुर्वेद में इसे हरिद्रा कहां जाता है "हरिद्रा" एक संस्कृत शब्द है इसका शाब्दिक अर्थ है हरि+द्रा हरि का अर्थ है -हरण करने वाला , द्रा का अर्थ द्रव्य या सामग्री ऐसी सामग्री जो हरण करती है । और आयुर्वेद की भाषा में इसे बीमारियों को हरण करने वाली बताया है । हल्दी जहां गुणकारी भी है वहीं ये धार्मिक महत्ता से शुभ मानी जाती है ।

हम इस लेख के माध्यम से हल्दी की तासीर ओर उसका ऋतु के अनुसार कब उपयोग में लेना चाहिए उसके बारे में बात करेंगे। पढ़ने वाले पाठक को विदित होगा कि हल्दी की तासीर गर्म होती है । सर्दी ऋतु की ये जान होती है और हल्दी का कोई गहरा रिश्ता हो ऐसा समझा जाता है और वाकई में ये एक गहरा रिश्ता है । हल्दी दावत की ये ऋतु अनूठी छाप छोड़ जाती है बहुत ही खास तरीके से इसे बनाया जाता है सूखे मेवे,घी, अन्य प्रकार के कुछ ऋतु फल और सब्जियां इस हल्दी दावत में चार चांद बिखेर देती है। वही सर्दी जुकाम के लोगों के लिए रात में दूध में हल्दी का उपयोग राम बाण सिद्ध होता है ।

जब व्यक्ति हल्दी के उपयोग का सोचते है तो गहरी बात है । अगर हल्दी की तासीर गर्म होती है तो जरूरी नहीं है कि सभी व्यक्तियों की तासीर गर्म होती है ।व्यक्तियों की तासीर में भी भिन्नता पाई जाती है ।

गर्म तासीर वाले व्यक्ति ओर सर्दी में हल्दी:

गर्म तासीर वाले व्यक्ति सर्दियों में हल्दी का सेवन खाने में उपयोग लेते है तब ये उनके लिए लाभकारी सिद्ध होती है परन्तु इस तासीर के व्यक्तियों को सीमित मात्रा में हल्दी का और कुछ ठंडे पेय पदार्थों के साथ लेना चाहिए । ये गर्म तासीर के व्यक्तियों के लिए एक संतुलित औषधीय गुण हो सकता है । इस ऋतु में रोग प्रतिरोधक क्षमता को अच्छे से बनाएं रखती है और संक्रमण का खतरा कम करती है। गर्म तासीर व्यक्ति के लोगों को जुकाम या गले में खराश है तो वो हल्दी के काढ़े, रात को सोने से पूर्व गुनगुने दूध में आधी 1/2 चम्मच हल्दी का सेवन से से ये लाभकारी रहते है और दिन में सामान्य अवस्था में छाछ में 1/चम्मच हल्दी का उपयोग शरीर की तासीर को संतुलित रखती है। वहीं दूसरी ओर, इसका अत्यधिक मात्रा में गर्म तासीर के लिए इस ऋतु में उपयोग भी कई बार हानिकारक सिद्ध होता है अत्यधिक गर्मी का बढ़ जाना पित्त, सीने में जलन (एसिडिटी) का बढ़ना भी हो सकता है ऐसी स्थिति में उस वक्त हल्दी का सेवन रोक देना चाहिए

गर्म तासीर वाले व्यक्ति और गर्मी में हल्दी:

गर्म तासीर के व्यक्तियों के लिए हल्दी का सेवन सीमित मात्रा में या कम करना ही सही है इनका सेवन यदि ठंडे पेय प्रदार्थों के सेवन के साथ किया जाएं तो ये शरीर में शिथिलता प्रदान करती है । जैसे सुबह खाली पेट गुनगुने या ठंडे पानी में एक चुटकी हल्दी , नींबू का रस और थोड़ा सा शहद मिलाकर सेवन करने से शरीर में ठंडक बनी रहती है और त्वचा में निखार आता है।

गर्म तासीर वाले व्यक्ति ओर बरसात में हल्दी:

गर्म तासीर के व्यक्तियों को इस ऋतु में त्वचा संबंधी रोगों या फंगल संक्रमण से बचाव के लिए हल्दी एक कारगर साबित होती है । ये वायरल संक्रमण को कम करती है ,खाने में ,सूप में , दाल जैसी चीजों में रोज एक चुटकी हल्दी के सेवन से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बनी रहती है । गर्म तासीर के व्यक्तियों को अगर हल्दी से पित्त और एसिडिटी की समस्या अचानक होने लग जाती है तो कुछ दिन के लिए हल्दी का सेवन बंद कर देना चाहिए , परन्तु लगातार बन्द नहीं करनी चाहिए बल्कि इसे कम मात्रा में उपयोग में लेना चाहिए।

ठंडी तासीर वाले व्यक्ति और सर्दी में हल्दी:

ठंडी तासीर वाले व्यक्ति को हल्दी का सेवन गर्म पदार्थों के साथ करना चाहिए और हल्दी का उपयोग बढ़ाना चाहिए हल्दी का काढ़ा, हल्दी के लड्डू, कच्ची हल्दी के सलाद आदि ।

ठंडी तासीर वाले व्यक्ति ओर गर्मी में हल्दी

ठंडी तासीर के व्यक्ति हल्दी को सीमित मात्रा में उपयोग कर सकते है जैसे छाछ, रायता, दही , नींबू पानी आदि।

ठंडी तासीर के व्यक्ति ओर बरसात में हल्दी:

इस ऋतु में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है इस तासीर के व्यक्तियों क उनको खाने में रोजाना मसाले में हल्दी का उपयोग करना चाहिए।

हल्दी को लेकर सभी मौसम के अनुकूल कुछ ऐसी विशेष बातें है जो सारांश में बताना चाहूंगी ।

अगर किसी व्यक्ति का दिमाग गर्म रहता है किसी भी मौसम में ओर पैर ठंडे रहते है तो ऐसे व्यक्ति को हल्दी का सेवन सीमित मात्रा या ठंडे पेय पदार्थों में उपयोग लेना चाहिए क्योंकि, हल्दी की गर्म तासीर गर्म दिमाग को ओर ज्यादा गर्म रखती है और प्रकृति के व्यवहार के अनुसार व्यक्ति का दिमाग ठंडा ओर पैर हल्के गर्म रहने चाहिए ये शरीर का एक संतुलित आयाम है ।

वही दूसरी ओर, धार्मिक महत्ता में भी सभी धर्मों में इसकी अनोखी पहचान है।

  • हिन्दू धर्म: में हल्दी का विशेष महत्व है हवन, पूजा और विवाह के अवसर पर इसका उपयोग होता है मान्यता है हल्दी विवाह के अवसर पर बुरी नजर से बचाने के लिए उपयोग में लाई जाती है । 
  • बौद्ध धर्म: इस धर्म में हल्दी का उपयोग ध्यान एकाग्रता, बौद्ध भिक्षुओं के कपड़े रंगने और औषधीय रूप में उपयोग में ली जाती है ।
  • जैन धर्म: इस धर्म में हल्दी का उपयोग पूजा पवित्रता और साधु संत अपने दैनिक जीवन में शुद्धता के लिए उपयोग में लेते है । 
  • इस्लाम धर्म: हल्दी का उपयोग निकाह अवसर पर , यूनानी औषधि के रूप में उपयोग में ली जाती है ।
  • ईसाई धर्म: हल्दी का उपयोग ईसाई सामुदायिक भवन के रंगने और हल्दी के पौधे को औषधीय रूप में उपयोग में लिया जाता है। 
  • सिख धर्म: आरोग्य का प्रतीक के रूप में हल्दी का उपयोग होता है विवाह के अवसर पर और धार्मिक कार्यक्रम में ।
  • पारसी धर्म:  में हल्दी को शुद्धता का प्रतीक माना जाता है। 

निष्कर्ष

हल्दी एक मसाला ही नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक धरोहर भी है । हल्दी देश के आर्थिक पक्ष को मजबूत करती है अर्थात् हल्दी का महत्व आरोग्य से लेकर आर्थिक रूप रेखा तक होकर गुजरती है।

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