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काकी की पोती पास बैठी थी । काकी सुई धागे से अपने फटे कपड़े सिल रही थी। जब भी सुई में धागा खत्म हो जाता, काकी पोती से सुई में धागा डालने को कहती।
पोती अपनी काकी से प्रश्न करती है, काकी हमारे घर में सिलाई मशीन क्यों नहीं हैं। सिलाई मशीन होती तो आप जल्दी से कपड़े सिल सकती थी। काकी, मुस्कराने लगी । तभी पास में रहने वाली दादी भी आ गई और बोली सिलाई मशीन तो थी तेरी काकी के पास, शादी में इनकी मां ने दी थी इनको।
पोती ने पूछा -तो अब कहां हैं वो सिलाई मशीन। काकी बताने लगी बिटिया, कभी कभी हमारी चीजें दूसरों द्वारा हमारे मना करने पर भी ले ली जाती है। काकी के पड़ोस में एक ग्रामीण परिवार रहता था । जब काकी महाविद्यालय में पढ़ती थी। उनकी बेटियां, काकी से शिक्षा में मदद के लिए आ जाया करती थी, तो जान पहचान थी । काकी की शादी हो गयी तब भी वो बच्चियां पढ़ने आ जाती थी जब स्कूल परीक्षा का समय होता था। काकी उन्हें पढ़ा दिया करती थी।
जीवन के पथरीले रास्ते कि काका अब जीवन में रहे नहीं थे। उस ग्रामीण परिवार की बच्चियों ने स्कूली शिक्षा के बाद महाविद्यालय जाना स्वीकार नहीं किया कि हमें महाविद्यालय जाते डर लगता हैं। डर क्यों लगता हैं, किससे लगता हैं इस बात का खुलासा बच्चियों ने नहीं किया था। उनकी मां चाहती थी वो सिलाई सीखें तो उनकी मां, काकी के पास आयी कि हमें आपकी सिलाई मशीन दे दो। काकी ने उन्हें समझाया कि ये सिलाई मशीन शादी में उनकी मां ने दी है। तो वो इसे नहीं देंगी। सिलाई मशीन हर घर की जरूरत भी होती है। हमेशा काम आने वाली चीज। पर बच्चियों की मां, मानी नहीं, रोज आती और सिलाई मशीन मांगती कि हम गरीब है दे दो । एक दिन वो कुछ पैसे ले आयी और वो रख कर बोली कि मैं तो ये सिलाई मशीन ले जा रही हूं। काकी ने समझाने की कोशिश की , बाजार में उपयोग की हुई सिलाई मशीन सस्ते में मिल जाती है आप वो खरीद लो। पर उन्हें तो काकी के घर की सिलाई मशीन ही चाहिए थी। उस दिन वो सिलाई मशीन लेकर चली गयी । उनकी बच्चियों ने सिलाई सीखी उस मशीन पर। अठ्ठारह साल की होते ही उनकी शादी कर दी गयी।
काकी की मां, जब काकी से मिलने आयी तो मां ने सिलाई मशीन घर में न देखकर, प्रश्न पूछा कि सिलाई मशीन कहां गयी। काकी ने पूरा किस्सा कह सुनाया। मां गुस्सा हो गयी कि गरीबी के नाम पर कोई भी घर की जरूरत की चीज कुछ पैसे रखकर ले जायेगा तो क्या तुम घर की चीज ले जाने दोगी।
गरीब , कौन हैं। तुम जो पति के जाने के बाद किराये के घर में अपने बच्चों की परवरिश कर रही हो । उनको पढ़ा लिखा रही हो या वो ग्रामीण परिवार जिसके पास गांव में कई बीघा जमीन है, खेत खलिहान हैं। गांव में बड़ा सा घर हैं। और शहर में भी अपना दो कमरों का घर हैं।
गरीब कौन है। तुम जो उच्च शिक्षित हो कर भी छुपी हुई बेरोजगारी की शिकार हो जिसे शिक्षा स्तर के अनुसार वेतन नहीं मिलता या वो जो गांव में किसान है और सरकारी छूट का लाभ लेते हैं कृषि आय पर , शहर में श्रमिक हैं और श्रमिक योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। पति-पत्नी दोनों दैनिक मजदूरी से आय प्राप्त करते हैं। सरकारी दर पर मजदूरी मिलती है इनको , काम के तुरंत बाद पैसा जिनके हाथ में आ जाता है।
क्या ये बात पता हैं तुम्हें कि वर्तमान में उसका पति विदेश में हैं और विदेश से अच्छा खासा पैसा भेजता है इन्हें हर महीने। काकी को ये बात तो पता ही नहीं थी क्योंकि उन्होंने बताई ही नहीं थी। अब प्रश्न स्वाभाविक था कि जब वह परिवार बाजार से नयी सिलाई मशीन खरीदने की योग्यता रखता था तो काकी की सिलाई मशीन ही क्यों चाहिए थी उन्हें।
काकी बहुत दुखी हुई कि झूठ बोलकर उसने उनकी काम की चीज ली गयी थी। उस दिन के बाद अक्सर कपड़े फटे और काकी सुई घागे से उन कपड़ों को सिलती और मन में प्रश्न करती कि गरीब कौन।
काकी ने कई बार सिलाई मशीन खरीदने की कोशिश की पर सफल नहीं हो पायी जितना पैसा जमा कर ले जाती , दुकानदार उससे ज्यादा ही मांगता कि मंहगाई बढ़ गयी है तो मशीन का मूल्य भी बढ़ गया हैं। काकी निराश हो लौट आती।
आज तक नयी सिलाई मशीन नहीं खरीद पायी थी काकी । काकी अक्सर सोचती कि ग्रामीण परिवार जब शहर आते हैं तो सच क्यों नहीं बोलते कि वो गांव में जमीन और घर दोनों रखते हैं। वो शहर भागते हैं पर गांव के विकास की बात दमदार तरीके से नहीं रखते । वो सरकार से नहीं कहते कि मेट्रो जैसी सुविधाएं गांवों को ज्यादा चाहिए ताकि जब फसल पकती है तो वो शहर में काम भी करें तो रात को गांव लौट जाया करें। विद्यालय,महाविद्यालय की सुविधाएं गांवों में भी उसी स्तर की हो जो शहरों में हैं। इससे सबका जीवन आसान होता। गरीबी शब्द कभी किसी समस्या का हल दे ही नहीं सकता। बात व्यवस्था और अव्यवस्था की होती हैं, शहरों में बढ़ती भीड़ से शहर भी अव्यवस्थित हो चुके हैं।
पश्नो की संख्या ज्यादा हो जाती जब भी काकी फटे कपड़े सुई धागे से सिलने बैठती , नयी सिलाई मशीन जो नहीं खरीद पायी थी काकी।