Photo by Photo By: Kaboompics.com: from pexels.com

मरी तुम नही हो,
 मर गया है ये पूरा देश,
 क्योंकि रहते हैं ,यहाँ 
कुछ राक्षस ,मैं मानव वेश
 पता सबकुछ है ,फिर भी 
चुप है ये सारा परिवेश
 इसीलिए कहता हूँ ,
मरी तुम नही हो,
 मर गया हैं ये पूरा देश|
मानव तो है पर नही रही मानवता
 कैसे किसी को गिराएं हर कोई है ये चाहता 
हर घर हर गांव म दिखाई देता है कलेश
 इसलिए कहता हूँ,
 मरी तुम नही हो,
 मर गया है ये पूरा देश
 मजहब के नाम पर है 
देश ये बंट रहा 
कुछ सियासी भेड़िये,
 मजे इसके लूट रहा 
कहाँ गए सृष्टि के रचयिता,
 बह्मा विष्णु और महेश ,
इसलिए कहता हूं,
मरी तुम नही हो ,
मर गया हैं ये पूरा देश l
हर कोई कहता है,
 मेरा उनसे है न कोई वास्ता 
जिन पर बीती ,
उसी को पता है सारी दास्तां 
इंसाफ चाहिए हमे ,
नही चाहीये सब्सीडी और गैस
इसलिये कहता हूँ ,
मरी तुम नही हो ,
मर गया है पूरा देशll

.    .    .

Discus