जब सावन का मौसम करवट लेता है,
तब कहीं पेड़ पौधे धरती माँ
की कोख से जन्म लेते हुए नजर आते हैं,
तो कहीं पेड़ पौधे धरती माँ का आशीर्वाद पाते हैं,
और माँ के आँचल का रंग बिरंगी श्रृंगार होता है,
बारिश की बूँदें, फूल पत्तियों पर मोती की माला बनकर यु निखार ने लगती है,
जैसे चारो और हरी भरी वसुन्धरा, उमंग के साथ लहराने लगती है,
पक्षियों की टोली दूर देश से शोर मचाते हुए अपने सपनों के साथ उड़ान भरते हुए एकत्रित होते है,
पेड़ की टहनियाँ उनका झूला बन जाती है, और वे अपने राग जपते रहते है,
मोर भी पंख खोलकर मतवाले हो जाते हैं नाचते नाचते,
माँ तेरी माटी भी इत्र बनके, हवाओं मैं मशहूर हो जाती है,
बादलो के बीच लिपटा हुआ,
सूर्य देव का आगमन होता है,
अपनी और इशारे से सबको आकर्षित करता है,
जैसी की धरती पर सूर्य अभिषेक का अर्पण हो रहा हो,
रूठा हुआ चांद भी बदलो के पीछे से चुपके चुपके से निहारता है..