चाँदनी रात थी, खामोश सितारे,
दो दिल मिले, थे बेसुध बेचारे।
वो राधा थी, वह मोहन दीवाना,
पर जाति-धर्म का था बंधन पुराना।
गाँव का नियम, दोनों पर भारी,
प्यार किया तो मिली फटकारें सारी।
एक ही धरती, एक ही आकाश,
फिर भी क्यों मानव बनता अन्याय?
राधा के पिता थे क्रोधित प्रचंड,
मोहन के सपने थे टूटे अखंड।
लेकिन दिलों की ज़िद थी जिद्दी,
प्रेम का जुनून, ना था वो क्षणिक।
राधा ने कहा, "प्रेम ईश्वर है प्यारा,
कैसे इसे रोक पाए यह जग सारा?"
मोहन ने कहा, "हम साथ रहेंगे,
हर बंदिश को प्रेम से बहाएँगे।"
एक रात को राधा ने ठाना,
भाग चलें दूर, जहाँ ना हो बहाना।
मोहन संग वो अंधियारे में निकली,
प्यार की ताकत से बाधा भी पिघली।
जंगलों में थे भटके कई रात,
मंज़िल दूर, पर मन के थे साथ।
चाँदनी उनकी राहें रोशन करती,
सपनों की दुनिया उनको बुलाती।
पर एक दिन गाँववालों ने खोजा,
राधा-मोहन को पकड़ा और सोचा।
"कैसे करें इनका यह अंत?
प्यार का ऐसा न चले कोई चंद।"
सामने खड़े पंचायत के वीर,
दिलों को तोड़ने का लेते थे अधीर।
पर राधा ने साहस दिखाया महान,
कहा, "प्रेम है अमर, यह नहीं है अपमान।"
गाँववालों ने सुना उसका ये शब्द,
धीरे-धीरे गुस्सा हुआ ठंड।
एक वृद्ध बोला, "प्रेम को मान दो,
यह इंसानियत का सबसे बड़ा दान हो।"
पंचायत ने दी अंततः सहमति,
राधा-मोहन के प्रेम को स्वीकृति।
गाँव ने मनाया खुशियों का त्योहार,
प्यार की जीत ने बदला संसार।
अब राधा-मोहन हैं सुखी जोड़े,
उनके नाम से गाँव की कहानियाँ जोड़े।
प्रेम से बड़ी कोई शक्ति नहीं,
जहाँ हो सच्चाई, वहाँ हार नहीं।
प्रेम वह अग्नि है, जो हर बंधन को पिघलाये।
जहाँ सच्चाई हो, वहाँ सुखद अंत आए।
प्यार से दुनिया बदली जा सकती है,
यह कहानी उसी सत्य को दर्शाती है।