Photo by pawel szvmanski on Unsplash
एक बार फिर वो दिन आये
जहा से निकलना नामुमकिन लगा
खुद को इतना अकेला पाएंगे कि
यह गोर अंधेरा ही पसंद आने लगा
सबका साथ में रहने पर भी
खुदको बहुत अकेलापन सा लगा
मन में अशांति तो थी ही
साथ में ही ना जाने क्यूँ किसी के आस में लगा रहा
क्या ही पता था कि इतने अकेले हो जाएंगे कि
फिर से रात में आंसू के बिना रहा नहीं जाएगा