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प्रकृति की माया है अपरम्पार
कहीं है धूल तो कहिं है पहाड़
है यह जादू जिसका ना कोई जवाब
बस सूर्य की किरणें है आर पार
रही फल फुल और पौधे की बात
मन मोहित करना ही है इनका काम
फल सब्जिया देकर बनाते हैं अपना नाम
प्रकृति की माया है अपरम्पार
कहीं है भाकर तो कहीं है रेगिस्तान
जो बनाते हैं अपना अनोखा अंदाज
कुछ भी कहो प्रकृति का है नाम
प्रकृति की माया है अपरम्पार
लेकिन हो गयी है प्रकृति आजकल दुष्प्रभाव की शिकार
है हम ही दोषी जिससे हो रहीं हैं प्रकृति खतरनाक
कहीं बाढ़ तो कहीं सुनामी के आसार
प्रकृति की माया है अपरम्पार
अगर है थोड़ा दिमाग
तो भाई क्यु नहीं लेते हो इसका सही इस्तेमाल
सोचो अगर हो गयी प्रकृति बीमार
तो रह जाएंगे बस अपने निसान
कुछ तो है वो जो अभी भी करती है अपनों पे विश्वास
प्रकृति की माया है अपरम्पार
अगर है हम इंसानियत के नाम
तो लगाए कुछ पेड़ पौधे अपने होने वाले कल के नाम
बस इतनी सी बात को रको ध्यान
प्रकृति है हमारी माँ सम्मान
प्रकृति की माया है अपरम्पार 

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