Image by Free Fun Art from Pixabay

हर रोज़ शाम में
अपनी तन्हाई को साथ लिए
टहलने निकल जाते है
दिन भर की नाकामियां और बेबसी भी होती है साथ
तो ज़ादा अकेले नहीं होते है
फिर ज़रा दूर एक बस स्टॉप है
वहाँ थोड़ी देर बैठ जाते है रोज़ाना
एक अनजान भीड़ के साथ
और ये दिखाते है की हम को इंतज़ार है उस बस का
जिस बस का इंतज़ार सब कर रहे है
फिर बस आती है
सब चले जाते है
सिर्फ हम रुके रहते है
पर हमारी बस आती ही नहीं
फिर मायूस कदमो से उठते है
और घर की जानिब रवाँ होते है
ये सोचते सोचते
की ये इंतज़ार कब ख़तम होगा..?
जवाब नहीं मिलता इसका
बस ये इंतज़ार जारी रहता है
रोज़ाना
हर दिन
हर शाम
ये इंतज़ार जारी रहता है
ये इन्तिज़ार जारी रहता है

.    .    .

Discus