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आज अपने शौहर को सरेआम बाज़ार में बेचकर आई है वो,
अपने लिए इक और नया यार देखकर आई है वो!

न जानें मैं उसकी गलियों में क्यों भटकता रहा,
मेरा दिया हुआ गुलाब न जाने कहां फैंककर आई है वो!

उसके कदमों-तले मेरा दिल था,
और न जाने अब किसका दिल उठाकर आई है वो!

हरकिसी के दिल से खेलने की आदत है उसकी,
सुना है आज तो अपनों से ही धोखे खाकर आई है वो!

वफ़ा तो उससे हुई नहीं,
और बेवफाओं में मेरा ही नाम बताकर आई है वो!

पहले मुझसे मोहबत थी और अब मुझसे नफ़रत है,
मुझे क्या मालूम? इस महोबत के खेल में कितनी मेरी तस्वीरें जलाकर आई है वो!

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