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कल हवा में कोमलता से फुसफुसाता है, दूर रहकर भी कितना पास समझ आता है,
एक स्वच्छ कागज़, अदृश्य रंगों से युक्त, आशा और उम्मीद से परिपूर्ण।
ये कल उन संभावित घटनाओं के गीत गुनगुनाता है,
उन सपनों का जो अभी भी अजन्मे हैं,
एक ऐसी स्थान जहाँ नीले अम्बर के नीचे दूसरा अवसर खिलता है।

कल में है सूरज की पहली साँस, चाँद की चांदनी कृपा,
अपनी छाया को ठंडा छोड़कर, एक गर्म स्थान खोजने का मौका।
ये घास पर फिर से ओस की बूँदें टपकाता है, जहाँ धीरे से कदम पड़ते हैं,
एक क्षण जो अभी तक लिखा नहीं गया हो, निराशा से परे पनपा एक विराम।

आने वाला कल सोने का चादर ओढ़ता है, जो समय के धागों से सिला गया है,
हर क्षण एक अनमोल मोती है, हर साँस एक अनकही कविता।
ये उन दिलों के लिए जो छलांग लगाने का साहस रखते हैं,
उस पर विश्वास मांगता है जो हो सकता है,
जो लोग अपने सपने और विश्वास को शांति से बोते हैं, उनकी जड़ें गहरी होती हैं।

कल झुकता है पर कभी टूटता नहीं, वह स्थिर रहकर प्रतीक्षा करता है,
उन लोगों के लिए जो तूफानी रातों से गुजरते हुए,
भोर की अज्ञात भूमि की ओर चलते हैं।
इसमें कोई दुर्भावना नहीं है, कोई हिसाब नहीं है, हमसे कोई कर्ज नहीं,
एक बार फिर उठकर उज्जवल मार्ग पर चलने का, ये एक और मौका है।

तो जब शाम ढलने लगती है, और तारे आहें भरने हैं,
जैसे-जैसे रात धीरे-धीरे बीतती जाती है, आशा को अपने सीने में जलते रहने दें।

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