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मेरे घर मैं, मैं मेरे पति और एक बच्चा हम तीन ही लोग थे ।

बच्चा छोटा था और परिवार की तरफ से कोई साथ नहीं था तो मैने एक पूरे दिन के लिए कामवाली जिसका नाम करुणा था रखी हुई थी ।

आज मुझे सुबह कॉलेज जल्दी पहुंचना था तो मैने करुणा को बोला कि तुम आज जल्दी आ जाना। नाश्ता करके मैं कॉलेज चली जाऊंगी । तेरे भैया को भी ऑफिस जाना है तो उनको भी टिफिन बना के दे देना । और हमारे जाने के बाद ध्रुव को उठा के उसको तैयार करके खिला पिला के उसे उसके खिलौनों से खेलने देना । और तुम बाकी काम कर लेना ।पर हां उसका ध्यान भी रखना ।

ये सब निर्देश देके मैं तो कॉलेज चली गई । मुझे वहां आज एक प्रोग्राम में उद्घोषक का काम करना था और उसके बाद अपनी रोज की क्लास लेने जाना था । मैं रोज दोपहर 3 से 4 के बीच मैं घर आ जाती थी । उसके बाद का सारा समय मैने ध्रुव के लिए रखा था ।अजय तो शाम को ही घर आते थे । करुणा रात का खाना बना के टेबल पर रख कर चली जाती थी । वो पास ही रहती थी, ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी थी जब मैने उसे काम पे रखा था ।उसे मेरे पास काम करते हुए आज एक साल से भी ज्यादा हो गया था । जब ध्रुव हुआ भी नहीं था तब से वो मेरे पास थी।ध्रुव के आने के बाद मैने ही उससे कहा कि बाकी काम छोड़ कर वो मेरे पास ही पूरा काम पकड़ ले । मुझे मदद मिल जाएगी और उसे भी चार घर काम के लिए जाना नहीं पड़ेगा ।

वो जल्दी ही मान गई शायद इसलिए कि उसे भी एक जगह काम करके उतने पैसे मिल रहे थे जितने चार घरों में जा कर । करुणा ने तो घर का काम ऐसे संभाल लिया था जैसे कि कोई घर का ही सदस्य हो। मेरी तो अब सारी चिंता ही खत्म हो गई थी । मैं अब काम पर भी निश्चिंत रहती थी ।एक दो बार बीच में फोन करके ध्रुव के लिए पूछ लेती थी ।

ध्रुव की भी अपनी एक दिनचर्या बन गई थी सुबह उठना दूध पीके थोड़ा खेलना फिर मालिश करवाकर नहाकर कुछ ठोस नाश्ता कर के खेलना फिर सो जाना । जब तक वो सोता था तो करुणा सफाई और बाकी काम खत्म कर लेती थी ।जब ध्रुव फिर उठता तो उसे कुछ खिलाती पिलाती तब तक मैं आ जाती । तो फिर करुणा अपना रात का खाना बना के चली जाती । आज भी मेरे जाने के बाद उसने ध्रुव को उठाया उसको दूध देके खेलने बिठा दिया । और वो बर्तन धोने रसोई में चली गई । ध्रुव घुटनों चलने लगा था तो मैने करुणा को कह रखा था कि वो उसे ज्यादा देर अकेला न छोड़े। तो करुणा बीच बीच मैं उसे देख रही थी और अपना काम भी कर रही थी । ना जाने कब ध्रुव अपना खेल छोड़ कर घर में घूमने लगा और चलते चलते वो बालकनी की तरफ चल गया । करुणा ने उसे जाते नहीं देख पाया । बालकनी तो हमने ध्रुव के होने से पहले ही सुरक्षित करवा ली थी तो गिरने का डर तो नहीं था । बालकनी में जाके ध्रुव ने शायद खड़े होने की कोशिश की तो वो दरवाजा बंद हो गया और नीचे जो चटकनी लगी थी वो अब उसके पैर से दब गई और दरवाजा बंद हो गया। 

करुणा ध्रुव को देखने गई तो उसे ड्राइंग रूम में न पाकर घबड़ा गई उसने पूरे हाल में देखा ध्रुव कहीं नहीं था । टेबल के नीचे सोफे के पीछे किचन में ।ध्रुव तो जैसे गायब हो गया । मुख्य दरवाजा तो अंदर से बंद था तो बाहर जाने का सवाल नहीं था । बेडरूम मेरे जाते ही करुणा बंद कर देती थी । तो अब ध्रुव है कहां ? फिर करुणा ने बालकनी का दरवाजा देखा वो भी बंद पर बाहर से ।करुणा डर गई । उसको ठोका तो ध्रुव खिड़की के पास आया पर दरवाजा तो बाहर से बंद था ।खोल भी नहीं सकती थी । करुणा ने जल्दी से मुझे फोन किया । मैं अभी अपने कार्यक्रम में थी तो फोन नहीं उठाया । तो करुणा ने अजय को फोन किया ।अजय ने फोन उठाया तो करुणा ने उसे डरते डरते बताया कि ध्रुव बालकनी में बंद हो गया है । अजय जल्दी जल्दी अपने ऑफिस से निकला उसका ऑफिस भी ३० मिनिट दूर था ।वो मुझे फोन करने लगा । पर मैने फोन साइलेंट पर रखा था तो मुझे कुछ नहीं पता चला। अजय बड़ी तेजी से कार चला रहा था और करुणा को फोन किया पर करुणा ने फोन नहीं उठाया । 

अजय सोचने लगा कि कैसे वो बालकनी से ध्रुव को निकालेगा । हमारा फ्लैट छठे माले पर था । और कोई कमरे या बालकनी से आने का रास्ता भी नहीं था । सोचते हुए वो मुझे भी फोन लगा रहा था । 

इधर करुणा ने अपने पति को फोन किया तो वो कहीं पास ही काम कर रहा था तो जल्दी से घर पहुंचा ।करुणा ने सोसाइटी के चेयरमैन को फोन किया और फायर ब्रिगेड को भी फोन कर दिया । दस मिनट में चेयरमैन साब भी फ्लैट पर पहुंच गए । फायर ब्रिगेड पहुंच गई और उनलोगों ने जब परिस्थिति देखी तो फटाफट अपनी गाड़ी की सीढ़ी खोलना शुरू कर दिया पर ये क्या सीढ़ी तो छठवें माले तक नहीं पहुंची । करुणा जो नीचे खड़ी थी जल्दी से सीढ़ियां चढ़ने लगी और ऊपर पहुंच कर पुलिस से बोली कि वो अब ऊपर चढ़ेगी फायरमैन ने समझाया कि बहुत खतरा हैं इसमें पर वो नहीं मानी ।उसने अपने हाथों से बालकनी की ग्रिल को पकड़ लिया और लटक गई ।अब पुलिस ने भी उसके आगे अपने घुटने टेक दिए और उसे अपना सहयोग दिया और उसे ऊपर की तरफ धक्का देना शुरू किया । अजय भी अब वहां पहुंच गया था उसने नीचे से देखा कि करुणा बालकनी में चढ़ने की कोशिश कर रही है । उसके तो ये देख का होश ही उड़ गए । ना जाने कैसे करुणा में इतनी हिम्मत आई कि वो छठे माले की बालकनी में लटक के चढ़ गई ।और उसने ध्रुव को गोदी में उठाया और गले लगाया और बालकनी से नीचे देखा।नीचे अजय आवक खड़े उसे देख रहे थे । और सब लोग जो नीचे इकट्ठा हुए थे ने करुणा को उसकी बहादुरी और कर्तव्यनिष्ठा के लिए तालियां बजाना शुरूकर दिया । मैने अभी फोन उठाया तो इतनी सारी अजय और करुणा की मिस्ड कॉल देख के वापस कॉल किया तो अजय हैलो भी नहीं बोल पाया मुझे पृष्ठभूमि में तालियों की आवाज सुनाई दे रही थी । कई बार हैलो सुनने के बाद अजय ने कहा कि तुम घर आ जाओ । 

मैं जल्दी से घर पहुंची । घर पर अजय चेयरमैन साब और करुणा का पति के अलावा कई लोग खड़े थे । मैने पूछा क्या हुआ । सब एक दूसरे को देखने लगे । मेरा मन डर गया कि कहीं ध्रुव को तो कुछ नहीं हुआ है। अजय उठ के मेरे पास आए और मुझे गले से लगाया और फिर सारा किस्सा बताया ।मेरे आंसू बहने लगे और गला रूंध गया आवाज न जाने कहां चली गई । बस मैं जल्दी से कमरे में गई और ध्रुव को सोते देखा तो सांस में सांस आई । पलंग के पास खड़ी करुणा को देखा तो उसके पास गई और उसके पांवों में गिर गई ।इसके अलावा और कोई तरीका ही नहीं समझ आया उसका आभार मानने के ।

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