सेमल का फूल धरा पर
जब मखमल सा बिछ जाता है,
झड़ते पत्तों से धरती का
जब रंग हरा हो जाता है,
जब धीरे से नयन पटल पर
चेहरा तेरा दिख जाता है,
मन होली हो जाता है
तन-तन होली हो जाता है।
जब पलास के फूलों से
आच्छादित आसमान हो जाता है,
जब हवाओं में फागुन का
हल्का महक घुल जाता है,
जब श्रृंगार से सज कर
बयार तन को छू जाता है,
ये चन्दन होली हो जाता है
कण-कण होली हो जाता है।