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क्या आप को भी अकेलेपन से शिकायत है? डरिए नहीं आजकल हम सभी कम या ज्यादा रूप से अकेलेपन से लड़ रहे हैं । इस लड़ाई को छिपाने के लिए हम सोशल मीडिया पर व्यस्त हैं, शापिंग मॉल, रैष्टूरंट जाकर अपने आप से झूठ बोल रहे हैं । हमें हर दिन पार्टी चाहिए कारण अकेलेपन से भागने की कोशिश । कोई कह रहा है पर अनेक अपने परिवार से भी साझा नहीं कर पा रहे वो अकेलेपन से झूझ रहे है ।

दोस्तों और रिश्तेदारों से सदा मिलना आज संभव नहीं है । अगर आपको कोई नज़र अंदाज़ कर रहा है तो इसका अर्थ यह है निकाले कि आपके अकेलेपन को दूर करने की जिम्मेदारी सिर्फ आपकी है । इस बात को स्वीकार करने के लिए आपको अकेलेपन को आज के युग में एक वरदान के रूप में देखना होगा । तब आपको अकेले रहने की कला को सीखने में आसानी होगी ।

अकेले रहने की कला आपको समाज को त्यागना नहीं सीखाती है । लेकिन जीवन में जब एक क्षण के लिए भी अकेले होंगे उसे सराहनीय बनाने में हमें मार्ग दिखाता रहेगा । हमारा अकेलेपन के प्रति असहज भावना का अनुचित लाभ अक्सर अन्य लोगों को होता है । कई बार लोग हमें संग देने के आड़ लेकर अपना मतलब निकालते हैं और हम अकेलेपन की डर से मौन रहते हैं ।

स्वभाव से हम सब सामाजिक रूप से एकत्र रहने के लिए बने हैं । हर पल कोई हमें खुश करने के लिए हमें घेर कर सभी खड़े नहीं रह सकते हैं । अकेलेपन को खुशी से अपनाने के लिए धैर्य आवश्यक है । अकेलेपन को सहज करने के लिए हमें अपने-आप को भी वैसे ही अपनाने की जरूरत है जैसे हम है ।

हम अक्सर अपने आप से डरते हैं । दुसरो की अच्छाई हम गिनते नहीं थकते पर खुद को खलनायक मानकर ऐसे आचरण करते हैं मानो जीवन में सिर्फ बुरा ही होता है अच्छा केवल अन्य लोगों के संग होता है ।

मान लीजिए आप किसी के साथ कहीं जानेवाले थे और कार्यक्रम रद्द हो गया! क्या आप रोने लगेंगे या गुस्सा करेंगे? दोनों में से कोई चुनाव आपको हल नहीं प्रदान करेगा । किसी के साथ आप न जा पाए तो थोड़ा समय अपने आप को देने का निश्चय करें । अपने आपको समय देने का अर्थ यह नहीं कि आप सोशल मीडिया पर स्क्रोल करते रहे! आप मौन रहने का अभ्यास करें, मौन रहते समय कई विचार आएंगे बिना प्रतिक्रिया दिए उन विचारों को आने दे, धीरे-धीरे विचारों का लहर शांत होने लगेगा । समय के साथ मौन रहने का डर दूर होगा । मौन होकर हम मन के कोलाहल का सामना बेहतर रूप से कर सकते हैं । अन्यथा मन का कोलाहल और वाह्यिक वातावरण का कोलाहल रोज़मर्रा के समस्या को अनियंत्रित कर देता है । तो अकेलेपन का पहला वरदान है मौनता का आनंद लेना । मौन रहकर आप अधिक सजग रूप से अपने सोच को नयी दिशा दे सकते हैं ।

आप ने कई दिनों से या सालों में अपने घर पर रहकर भी व्यस्तता के चलते कमरों को निहारा नहीं होगा; आप मेहमान आने के समय कमरों की सजावट पर ध्यान देते हैं, पर क्या आज की व्यस्तता में हर रोज आप एक टक अपने घर की कमरों को देखा है? शायद नहीं क्योंकि सब कुछ तो दुसरो से शाबाशियां पाने की उम्मीद से ही करते जा रहे हैं!

अगर आप अकेले हैं घर में तो कमरे को देखें अच्छी यादों के बारे में आप लिख सकते हैं, तब जीवन के अच्छे मोतियों को आप तराश सकेंगे । आजकल लोग जब भी मिलते हैं हालातों की बुराई के बारे में चर्चा करते हैं। आपको अगर अकेले रहने का मौका मिला है यानी कुछ पल के लिए आप संसार में क्या बुरा हो रहा है ऐसे बातें करने से बच जाएंगे। यह हुआ अकेलेपन का दुसरा फायदा।

अकेलेपन के समय आसमान को देखना, चिड़ियों की चहल-पहल को महसूस करने का आनंद लेने की कोशिश भी हम कर सकते हैं । क्योंकि जब लोगों के साथ होते हैं हम आजकल इन कामों को नहीं करते हैं ।

अकेले हम अपने रुचि अनुसार कुछ कर सकते हैं जो लोगों के बीच हम करने से डरते हैं । यह सोच कि लोग क्या कहेंगे । पर अकेले रहकर हम उन विषयों पर अनुशीलन कर खुद को बेहतर बनाने की कोशिश कर सकते हैं।

हर पल जब हम लोगों के बीच रहने की सोचते हैं तो दुसरे के अनुसार खुद के जीवन को बदलने का दवाब महसूस करते हैं । दुसरो के नज़रों में कामयाब, सुंदर देखने की इच्छा हमारे अंदर इतना तीव्र है कि खुद को असहज अवस्था में ले जाकर भी हम दुसरो के पसंद को ही अग्राधिकार देते हैं । दुसरो की पसंद को अपनाते हुए हमें अपने पसंदीदा चीजें लेने और मनपंसद काम करने में संकोच होता है । अकेले रहकर हम कभी कभी अपने इच्छा से काम कर सकते हैं ।

अकेले रहकर हम अपने व्यक्तिगत विकास पर ध्यान देना फिर से शुरू कर सकते हैं । सिर्फ लोगों को खुश करना काफी नहीं हैं । हमें अपनी खुशी के लिए भी जीवन में कई काम करना चाहिए । दुसरो के लिए भी जीवन जीने के लिए अपने जीवन को जीना आना चाहिए । हम अकेले रहकर देखें तो हमें रिश्तों का सही मतलब समझने में आसानी होती है ।

कभी-कभी अकेले घूमने जाने से प्रकृति से नये रूप से मिलने का मौका मिलता है । दोस्तों और परिवार के संग घूमते समय फोटो खींचने में ज्यादा ध्यान रहता है । पर अकेले घूमते समय फोटो हम कम खींचेगे, प्रकृति को महसूस जरूर करेंगे ।

आजकल हम फ़ोन पर इतना फोटो खींचने लगते हैं, सोशल मीडिया पर देकर सुकून से उनको बाद में देखते भी नहीं है । अगर अकेलापन हमें कभी भी दुखी करें हमें उन फोटो गैलरी को खोलकर खुशी के पलों को सकारात्मक सोच से याद करना चाहिए ।

हर व्यक्ति को कम या ज्यादा अकेलेपन का सामना करना पड़ता है । आजकल एकल परिवारों में अकेलेपन का अनुभव ज्यादा होने लगा है । क्योंकि कर्म व्यस्तता के कारण बात-चीत कम होती है । इसलिए यह जरूरी है कि हम अकेलेपन से मित्रता करने लिए उस समय अपने आप को अच्छे कामों से जूड़े ।

अकेले रहकर आप योगाभ्यास कर सकते हैं । लोगों की अनुपस्थिति में मन का भटकाव कम होता है और आप योग को गहराई से सीख नियमित अभ्यास जारी रख सकते हैं ।

यह संपूर्ण व्यक्तिगत निर्णय है कि आप अकेलेपन की सिर्फ शिकायत करेंगे या उसके फ़ायदे भी देख जीवन को संवारने का कोशिश करेंगे । अकेलेपन की अच्छाई को जब आप धीरे-धीरे देखने और समझने लगेंगे आप दुसरे लोगों की अनुपस्थिति में भी हर पल को खुल के जीना सीख जाएंगे ।

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