साफ-सफाई, स्वच्छता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं ... ...!

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मैं एक डॉक्टर हूं और गुड़गांव के सिविल हॉस्पिटल में कार्यरत हूं. संक्रमित होने के जोखिम के साथ दिन-रात काम करने के बावजूद भी हमारे माथे पर चिंता की लकीरें नहीं हैं, बल्कि एक सुकून है कि इससे अगले कुछ महीनों में जो रिजल्ट आने वाला है वह कई लोगों के जिंदगियों का फैसला करेगी. शुरुआत में पीपीई किट पहनकर इलाज करना एक नया अनुभव था. शूरू में दिक्कतें भी आईं.

जब मेरा मरीज़ों के सीधे संपर्क में आना शुरू हुआ तब मेरे दिमाग में कई निचार घूम रहे थे. मसलन ये खयाल आता कि मैं और मेरी टीम इससे संक्रमित हो सकते हैं. मेरे वार्ड में पहले मरीज़ के दाख़िल होने के पहले मैंने अपनी टीम को पास बुलाया और बताया कि हमें अपना ख्याल भी रखना है और अपने मरीज़ों का भी. जब मरीज़ों की हालत में सुधार आता है. वे स्टेबल होने लगते है तब दिल को सुकून मिलता है.

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है. कोई भी व्यक्ति अकेला नहीं रह सकता. डॉक्टरों की रोजमर्रा की जिंदगी में मरीज़ और उसके परिवार वालों के साथ काफी वक्त गुजरता है. पहले मरीजों के साथ उनके परिवार के कई सारे लोग आते थे, जो उनके साथ मौजूद रहते थे. अब ये सब बदल गया है. हमें याद है जब मरीज के परिवार वाले तमाम तरह के सवाल करते ‘ठीक तो हो जायेंगे’ ‘घर कब ले जा सकते हैं’ , ‘क्या खिलाना है’, क्या नहीं खिलाना है’.

वे बाहर बैठकर उम्मीदों की टकटकी लगाए रहते. लेकिन इस बीमारी ने सब कुछ छीन लिया है. यहां तक कि इस बीमारी ने आखिरी बार गले लगाकर रोने का भी वक़्त छीन लिया है. ऐसे में मरीज को दो मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है पहला कोरोना से और दूसरा अकेलापन से. अनिश्चितता की चुप्पी और अनहोनी का सन्नाटा पसरा हुआ है चारों ओर. आइसोलेशन वार्ड में अकेला वक़्त काटते मरीज़ हैं, ऑक्सीजन ट्यूब, मॉनिटर के साथ राह ताकते आइसीयू हैं पर परिवार का साथ नहीं जो उन्हें संबल प्रदान कर सके.

यह एक बुरा वक़्त है. ये वक़्त भी गुजर जाएगा पर हम सब इस बीमारी को याद रखेंगे कि इसने पूरी दुनिया के लोगों को घर में बंद कर दिया. लोग क्वारंटाइन में चले गए, जो शहर कभी नहीं रुकते थे, वे थम से गए. असल में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण दुनिया भर में कारोबार और सामाजिक जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है और इससे वापस नॉर्मल लाइफ में आने में समय लगेगा.

अपनी जीवन जीने के तरीके में बदलाव लाएं. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जारी की गई एडवाइजरी का पालन करें. घर पर रहिए, अपने हाथों को साफ करते रहिए, सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखिए, मास्क पहनिए, संतुलित आहार, नशा से परहेज करें और सुरक्षित रहिए. हम जान गये हैं कि बिना साफ-सफाई, स्वच्छता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाएं हम स्वस्थ और सुरक्षित नहीं रह सकते.

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