कृषि से संबंधित तीन नए बिल को लेकर विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. इस मुद्दे को लेकर विपक्ष ही नहीं, सरकार को समर्थन देने वाली अकाली दल भी इसके विरोध में है. केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने गुरुवार 17 सितंबर को मोदी कैबिनेट से इस बिल के पास होने पर विरोध जताते हुए इस्तीफा दे दिया. अब इसके बाद अकाली दल, एनडीए में रहेगा या नहीं, इस पर भी सवाल उठ रहे हैं.

गौरतलब है कि लोक सभा में कृषि संबंधी तीन बिल पास हुई है. ये 3 बिल है- पहला बिल है: कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल दूसरा बिल है: मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल) और तीसरा बिल है: आवश्यक वस्तु संशोधन बिल. इनमें से पहला बिल सोमवार को ही पास हो गया था. जबकि बाकी दो विधेयक कल यानी गुरुवार को जैसे ही पारित हुआ इस पर हंगामा मच गया. बिल का विपक्षी पार्टियों ने विरोध किया और वोटिंग से पहले वॉकआडट कर लिया. आपको बता दें कि केन्द्र सरकार ने 5 जून 2020 को ही अध्यादेश जारी कर दिया था. यह तीनों विधेयक उन संबंधित अध्यादेशों की जगह लेंगे.

जहां केंद्र सरकार इसे किसानों के लिए वरदान बता रही हैं. सरकार का तर्क है कि इससे कृषि पैदावार को किसान किसी भी राज्य में बेच सकेंगे. पहले किसान अपने राज्य की कृषि उपज बाज़ार समिति(एपीएमसी) के मंडियों में ही इसे बेच पाते थे. इससे किसानों को अपनी उपज का बेहतर दाम मिलेगा और कृषि उत्पादों की इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग हो पाएगी. बिल पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके इसे किसानों के लिए महत्वपूर्ण क्षण बताया. पीएम ने ट्वीट में लिखा, "लोकसभा में ऐतिहासिक कृषि सुधार विधेयकों का पारित होना देश के किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है. ये विधेयक सही मायने में किसानों को बिचौलियों और तमाम अवरोधों से मुक्त करेंगे."


वहीं विपक्ष इस किसानों के लिए आत्मघाटी बता रहे हैं. विपक्ष के नेताओं का कहना है कि इस बिल से किसानों को मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खतरा पैदा हो जाएगा. कांग्रेसी नेता रणदीप सुरजेवाला ने इस मुद्दे पर ट्वीट करते हुए लिखते है कि ये बिल किसान-खेत मजदूर-आढ़ती-अनाज व सब्जी मंडियों को जड़ से खत्म करने की ओर सरकार की एक विनाशकारी नीति है. APMC को खत्म करने से ‘कृषि उपज खरीद व्यवस्था’ पूरी तरह नष्ट हो जाएगी. ऐसे में किसानों को न तो MSP मिलेगा और न ही बाजार भाव के अनुसार फसल की कीमत.

एमएसपी क्या होता है?

न्यूनतम समर्थन मूल्य वो मूल्य होता है, जिस पर सरकार किसानों द्वारा बेचे जाने वाले अनाज की पूरी मात्रा खरीदने के लिए तैयार रहती है. जब बाज़ार में कृषि उत्पादों की कीमत कम होने लगती है, या फिर खरीदार नहीं मिलते तब सरकार किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीद कर उनके हितों की सुरक्षा करती है, और किसी भी साल में निर्धारित फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या होगी, इसकी घोषणा सरकार फसल बोने से पहले करती है. ऐसी घोषणा सरकार द्वारा कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की रेकमेन्डेशन पर साल में दो बार रबी और खरीफ के मौसम में करती है.

एपीएमसी न होने से किसानों को क्या नुकसान होगा?

कृषि उपज बाज़ार समिति(एपीएमसी) का एकाधिकार खत्म होने से न्यूनतम समर्थन मूल्य देने का भी कोई मतलब नहीं रह जाएगा, जो सरकार किसानों के हितों की रक्षा के लिए तय करती है. ऐसे में जब किसान तंगहाली में जीवन-बसर करने को मजबूर है, सरकार को मौजूदा प्रणाली को और मजबूत करने की जरूरत है.


Discus