enter image description here

केरल के कोझीकोड में शुक्रवार शाम बड़ा हादसा हो गया. दुबई से केरल के कोझीकोड आ रही एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट AXB 1344 जब लैंडिंग कर रही थी, तभी वो बारिश के चलते रनवे पर फिसल गया और 35 फुट नीचे खाई में जा गिरा. उसके बाद विमान के दो टुकड़े हो गए. यह फ्लाइट वंदे भारत मिशन के तहत दुबई से भारत आ रही थी. कोरोना संकट के दौरान विदेशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने के मकसद से ये मिशन शुरू किया गया है.

बहरहाल, गनीमत की बात ये है कि इतनी ऊपर से गिरने के बाद भी विमान में आग नहीं लगी. नहीं तो ये हादसा और दर्दनाक हो सकता है. नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप पुरी के अनुसार इस विमान में 190 यात्री सवार थे और हादसे में दो पायलटों समेत 18 लोगों की जान गई हैं. वहीं ज्यादर यात्रियों को काफी चोटें आई है, जिनका इलाज स्थानिय अस्पताल में हो रहा हैं.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक विमान हादसे की बड़ी वजह ये है कि कोझिकोड एक टेबल टॉप एयरपोर्ट है. और बारिश के दौरान ऐसे एयरपोर्ट पर लैंडिंग हमेशा जोखिम भरी होती है. क्योंकि ऐसे हालात में विजिबिलिटी कम होती है. लेकिन सवाल ये भी उठता है कि क्या बारिश और टेबल टॉप हवाई अड्डा होना ही एकमात्र वजह है या फिर कारण दूसरे भी है. ये सब तो अब जांच के बाद ही पता चल पाएगा.

टेबलटॉप रनवे का मतलब क्या है?

वैसा रनवे जो पहाड़ी क्षेत्र में स्थित एयरपोर्ट पर बनाए जाते हैं. यह रनवे आम एयरपोर्ट के रनवे से काफी छोटे होते हैं और ऐसे रनवे पर प्लेन लैंडिंग करने वाले पायलट विशेष तरह से प्रशिक्षित होते हैं. सीमित जगह पर रनवे होने और जैसे ही वो रनवे ख़त्म होता है उसके दोनों तरफ या एक तरफ गहरी खाई होती है, जिससे यहां हादसे की आशंका काफी ज्यादा रहती है. ऐसे में अगर समय ब्रेक नहीं लग पाएगा या लैंडिंग के वक्त विमान रुक नहीं पाएगा तो हादसा होने की आशंका बढ़ जाएगी.

देश में कितने टेबलटॉप रनवे हैं?

देश में अभी तीन एयरपोर्ट पर ऐसे रनवे है. इसमें केरल का कालीकट अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट कोझिकोड, मंगलोर इंटरनेशनल एयरपोर्ट कर्नाटक और लेंगपुई एयरपोर्ट मिजोरम.

पहले हुए हादसों से सबक क्यों नहीं लिया एयरपोर्ट अथोरटी ने?

ताजुब कि बात ये है कि पिछले 12 साल में देश में ऐसे पांच हादसे घटित हो चुके हैं. पर सेफ्टी मानकों को कही न कही दरकिनार किया गया है. तभी ऐसे मामले बार बार रिपीट हो रहे हैं. खुद कोझिकोड में यह पहला मौका नहीं है जब विमान रनवे पार करके निकल गया हो. इससे पहले साल 2017 में भी ऐसा हो चुका है.

पांच मेजर हवाई हादसे:-

  1. 7 नवंबर 2008 को जेद्दाह से लौट रहे एयर इंडिया के प्लेन का एक विंग लैंडिंग के दौरान टूट गया. रनवे को भी नुकसान पहुंचा.
  2. 2010 मेंगलुरु इंटरनेशल एयरपोर्ट पर दुबई से आ रहा एयर इंडिया का विमान रनवे पर फिसल कर गहरी खाई में जा गिरा था.
  3. 9 जुलाई 2012 को एयर इंडिया एक्सप्रेस का बोइंग रनवे पर फिसल गया. प्लेन के लैंडिंग गियर रनवे पर लगी लाइटों से टकरा गए. सभी यात्री सुरक्षित थे.
  4. 25 अप्रैल 2017 को कोझीकोड एयरपोर्ट से टेकऑफ के दौरान एयर इंडिया का इंजन फेल हो गया और एक टायर फट गया. टेक ऑफ को अचानक रोकना पड़ा.
  5. 4 अगस्त 2017 को स्पाइसजेट का प्लेन लैंडिंग के दौरान रनवे पर फिसल गया.

जहां तक ऐसी मामले घटित न हो उसके लिए एविएशन सेफ़्टी के मानकों का ख़याल रखना चाहिए. किसी रनवे के आस-पास 'बफ़र ज़ोन' के तौर पर खाली जमीन छोड़नी होती है. जिसका इस्तेमाल प्रतिकूल परिस्थितियों में विमान रनवे से आगे निकल जाने की स्थिति में रोकने के लिए होता है. एयरपोर्ट अथोरटी ऑफ इंडिया के मुताबिक कम से कम 240 मीटर का बफ़र ज़ोन होना चाहिए, लेकिन कोझिकोड हवाई अड्डे पर यह सिर्फ़ 90 मीटर है जिसे डीजीसीए ने मंज़ूरी भी दे रखी है.

जाहिर सी बात है कि कालीकट का एयरपोर्ट इस क्राइटेरिया को पूरा नहीं करता है. साथ ही यह विशालकाय विमानों के लिए भी उपयुक्त नहीं है. फिर भी विमानों का परिचालन हो रहा है. यह एक गंभीर मसला है.

Discus