बैडमिंटन एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर का खेल है. यह उत्साह और रोमांच का खेल है. यह खेल रैकेट और शटलकॉक की सहायता से खेला जाता है. आम बोलचाल की भाषा में शटलकॉक को पंख भी कहा जाता है, क्योंकि यह चिड़िये के पंख जैसा होता है. इस खेल में न्यूनतम दो लोगों की आवश्यकता होती है. इसका आयोजन पांच प्रकार से किया जाता है, पुरुषों और महिलाओं के एकल, पुरुषों और महिलाओं के युगल और मिश्रित युगल इसमें एक टीम में एक महिला और एक पुरुष होते है.
इंग्लैंड ने इस खेल को 19वीं सदी में विकसित किया, लेकिन उससे पहले भी यह खेल अस्तित्व में था, लेकिन व्यवस्थित नहीं था. तब विशेष रूप से यूरोप और एशिया में इस खेल को रैकेट और बाल के साथ खेलते थे. भारत में ये खेल 18 वी सदी में ब्रिटिश मिलट्री के आफिसर्स के बीच काफी लोकप्रिय था. तब भारत पर ब्रिटिश हुकूमत थी. उस समय बैडमिंटन का खेल ब्रिटिश छावनी के शहर पूना में लोकप्रिय था, इसीलिए उस वक्त इस खेल को पूना अथवा पूनाई के नाम से भी जाना जाता था. परंतु व्यवस्थित रूप में इंग्लैंड ने सबसे पहले पहल की. उसने 1934 में कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आयरलैंड, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड स्कॉटलैंड और वेल्स के साथ मिलकर इस खेल को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल बैडमिंटन फेडरेशन बनाया.
स्थापना के वक्त इसका हेडक्वार्टर यूनाइटेड किंगडम के चेल्टेन्हैम में था. फेडरेशन को अंतरराष्ट्रीय ओलम्पिक कमेटी से मान्यता प्राप्त है. भारत इस संघ से 1936 में जुड़ा. 1977 में पहली बार विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप खेला गया. वहीं साल 1992 मे बैडमिंटन ओलंपिक में शामिल किया. बाद में इसके हेडक्वार्टर को मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर में 1 अक्टूबर 2005 को शिफ्ट कर दिया गया. शुरुआती दौर में जहां इस फेडरेशन से महज 9 देश जुड़े थे. वहीं अब इससे 176 देश जुड़ चुके है. बाद में इस खेल के प्रबंधन करने वाली संस्था के नाम में भी बदलाव किया गया. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में 24 सितम्बर 2006 को आयोजित एक सामान्य सभा में 'इंटरनेशनल बैडमिंटन फेडरेशन' को बैडमिंटन वर्ल्ड फ़ेडरेशन (बीडब्ल्युएफ) नाम में बदल दिया गया.
इस खेल के कई क्षेत्रीय संघ भी है, जो उस क्षेत्र विशेष में इस खेल के प्रबंधन व बढ़ावा देने का काम करता है. ये क्षेत्रिय संघ है:
बीडब्ल्युएफ इन क्षेत्रीय संघों के साथ मिलकर दुनिया भर में इस खेल के प्रचार-प्रसार के लिये काम करता है. भारत में इस खेल के प्रबंधन के लिए भारतीय बैडमिंटन संघ है.
भारत में बैडमिंटन के कई महान एकल खिलाड़ी हुए हैं, लेकिन भारतीय बैडमिंटन को सही मायने में दुनिया के सामने लाने का श्रेय जाता है- प्रकाश पादुकोण को, जिन्होंने 1981 के 'क्वालालांपुर विश्व कप फाइनल' में चीन के फेमस स्टार खिलाड़ी 'हान जियान' को 15-0 से हराकर भारत की बादशाहत कायम की.
इसके साथ ही एक और महान शख्सियत है, जिन्होंने भारत में इस खेल को एक सार्थक दिशा दी. उनका नाम है, पुलेला गोपीचंद. साइना नेहवाल, पीवी सिंधु और किदांबी श्रीकांत जैसे स्टार खिलाड़ी उन्हीं के एकेडमी से निकले है.
रियो ओलंपिक में भारत का बैडमिंटन में शानदार प्रदर्शन रहा. इस ओलंपिक में भारत को सिर्फ 2 मेडल मिले थे. जिसमें पीवी सिंधू ने बैडमिंटन में रजत (सिल्वर) पदक जीता था. और दूसरा पदक कुश्ती में साक्षी मलिक ने जीता. इससे पहले साइना नेहवाल ने 2012 के लंदन ओलम्पिक में कांस्य (ब्रॉन्ज) पदक जीता था.