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'स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूंगा.' वतन पर मर मिटने के लिए तत्पर आज़ादी के परवानों के लिए ये महज कुछ शब्द भर नहीं थे बल्कि एक जोश, एक जुनून था जिसने लोगों के दिलों में देशप्रेम की ललक जगाईं. इस नारे से प्रभावित होकर लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानियां देकर देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाई थी.

भारत में राष्ट्रवाद की चेतना जागृत करने वाले और हर भारतीय के अंदर स्वराज का दीप जलाने वाले ‘बाल गंगाधर तिलक’ का आज जन्म दिवस हैं. 23 जुलाई 1856 को महाराष्ट्र के रत्नागिरि के चिखली गांव में गंगाधर रामचंद्र तिलक और पार्वती बाई गंगाधर के यहां जन्‍मे बाल गंगाधर तिलक शुरू से ही मेधावी विद्यार्थी रहें. वे पढ़ने के साथ-साथ प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम भी करते थे अतः उनका शरीर स्वस्थ और पुष्ट था.

1876 में उन्होंने बीए और 1879 में कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की. पढ़ाई पूरी करने के बाद तिलक ने जनसेवा करने का संकल्प लिया. शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्होंने उल्लेखनिय काम किया. इसकी मिसाल है तिलक द्वारा 1880 में स्थापिता न्यू इंग्लिश स्कूल. इसके कुछ साल बाद उन्होंने 1885 ई. में ‘डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी’ के तत्वावधान में ‘फर्ग्युसन कॉलेज’ की स्थापना की थी.

1890 में तिलक कांग्रेस के साथ जुड़े और देश में व्याप्त कुरीतियों को खत्म करने की दिशा में काम करना शुरु किया. उन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग उठाई. पहली बार तिलक ने ही सार्वजनिक रूप से साल 1893 में गणेशोत्सव, फिर दो साल बाद 1895 में ‘शिवाजी स्मरणोत्सव’ मनाना शुरू किया. इन त्योहारों के माध्यम से लोगों में देशप्रेम और ब्रिटिश की दमनकारी नीतियों के खिलाफ बगावत की हुंकार भरी गईं. उन्होंने सार्वजनिक उत्सवों के जरिए लोगों को एकदूसरे से जोड़ने का काम किया.

तिलक के क्रांतिकारी कदमों से अंग्रेज बौखला गए और उन पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाकर 6 साल के लिए 'देश निकाला' का दंड दिया और बर्मा की मांडले जेल भेज दिया गया. इस अवधि में तिलक ने गीता का अध्ययन किया और 'गीता रहस्य' नामक भाष्य भी लिखा.

तिलक भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता थे. तिलक एक पत्रकार भी थे. उन्होंने हमेशा अपनी लेखनी से जनता के हाहाकार को आवाज दिया. तिलक ने मराठी में 'मराठा दर्पण' व 'केसरी' नाम से दो दैनिक समाचार पत्र शुरू किए, जो जनता में काफी लोकप्रिय हुए. जिसमें तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीनभावना की बहुत आलोचना की. सच्चे जननायक तिलक को लोगों ने आदर से 'लोकमान्य' की पदवी दी थी.

साल 1916 में बाल गंगाधर तिलक ने होमरूल लीग की स्थापना की. इसका उदेश्य स्वराज्य की स्थापना करना है. उन्होंने घर-घर जाकर लोगों को होमरूल लीग के उद्देश्यों को समझाया. ऐसे वीर लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य तिलक का निधन मुंबई में 1 अगस्त 1920 को हुआ. महात्मा गांधी ने तिलक को आधुनिक भारत का निर्माता और जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें भारतीय क्रांति के जनक की उपाधि से नवाजा था.

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