कोविड-19 वैक्सिन को लेकर एक अच्छी खबर है. भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्‍सीन 'कोवैक्सिन' का जानवरों पर ट्रायल कामयाब रहा. शुक्रवार को कंपनी ने बताया कि कोवैक्सिन ने बंदरों में वायरस के प्रति ऐंटीबॉडीज विकसित करने में सफलता पा ली है. कंपनी ने कहा कि बंदरों पर स्‍टडी के नतीजों से वैक्‍सीन की इम्‍युनोजीनिसिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता का पता चलता है. इससे यह साबित हो गया है कि ये वैक्सीन लाइव आर्गेनिज्म यानी जीवित शरीर में भी कारगर है.

इस वैक्‍सीन का भारत में अलग-अलग जगहों पर पहले चरण का क्लिनिकल ट्रायल पूरा हो चुका है. सेंट्रल ड्रग्‍स स्‍टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने इसी महीने भारत बायोटेक को फेज 2 ट्रायल की अनुमति दी है. आपको बता दें कि कोवैक्सिन देश में बनी पहली कोरोना वैक्‍सीन है. इस कोवैक्सिन को इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR), नैशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी (NIV) और भारत बायोटेक ने संयुक्त रूप से बनाया है. दिल्‍ली के एम्‍स में इसके दूसरे फेज का ट्रायल किया जाएगा. यदि ये ट्रायल भी सफल हो जाती है तो उसके बाद तीसरी स्‍टेज की ट्रायल होगी. 

गौरतलब है कि वैक्सीन के विकास की प्रक्रिया कई चरणों से होकर गुजरती है. सबसे पहला चरण लैबोरेटरी में होता है. फिर दूसरे चरण में जानवरों पर परीक्षण किया जाता है. जब प्रयोग के दौरान इसके पुख्ता सबूत मिलते है कि वैक्सीन का इस्तेमाल सुरक्षित है और रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हुई है. तब उसके बाद फाइनली तीसरे चरण में इंसानों पर इसका परीक्षण होता है.

इंसानों पर भी इसके परीक्षण की प्रक्रिया तीन चरणों से होकर गुजरती है. पहले चरण में सीमित लोगों स्वस्थ लोगों पर ट्रॉयल किया जाता हैं. परीक्षण के दूसरे चरण में पहले के मुकाबले ज्यादा लोगों पर ट्रॉयल किया जाता हैं. इसे कंट्रोल ग्रुप्स कहते हैं. इसका मतलब ऐसे समूह से होता है जो परीक्षण में भाग लेने वाले बाक़ी लोगों से अलग रखे जाते हैं. इसमें ये परखा जाता है कि वैक्सीन कितना सुरक्षित है. प्रयोग के तीसरे चरण में ये पता लगाया जाता है कि वैक्सीन की कितनी खुराक असरदार होगी. वैक्सीन बनाने वाली कंपनी को उम्‍मीद है कि अगले साल की पहली तिमाही तक लोगों के लिए 'कोवैक्सिन' उपलब्‍ध हो जाएगी.


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