सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में पेंच फंसता नजर आ रहा है. एक ओर राजद अपने लिए कम से कम 150 सीटें चाहती है. वहीं कांग्रेस भी बड़ी पार्टी होने के कारण 80 सीटों की मांग कर रही है. ऐसे में रालोसपा और वामदल के लिए सीटें काफी कम बचेंगी, जिसके लिए वे हरगिज़ तैयार नहीं होंगे.

ऐसे में महागठबंधन के कुनबे में दरार भी पड़ सकता है. आपको बता दें कि सीटों के उलझन को लेकर ही जीतन राम मांझी महागठबंधन से अलग हुए. अब ऐसी ख़बरे आ रही है कि रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी महागठबंधन से अलग हो सकते है. तो क्या महागठबंधन का कुनबा पूरी तरह से बिखर जाएंगा या फिर राजद और कांग्रेस सीटों को लेकर अड़ियल रवैये को कम करेंगे और बिखरते कुनबे को बचा लेंगे, ये देखना दिलचस्प होगा.

जहां एक ओर बीजेपी और जेडीयू युद्धस्तर पर चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है. वहीं दूसरी ओर महागठबंधन आपस में ही उलझी हुई है और सीटों को लेकर खींचतान जारी है जिसपर विरोधी पार्टी चुस्की ले रही है. कांग्रेस ने जब विधानसभा चुनाव में 80 सीटों की डिमांड की तो राजद नेता रामानुज यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि मांगने के लिए क्या है ये 80 सीट भी हो सकती है और 180 सीटें भी. डिमांड तो कुछ भी हो सकती है पर मिलेगा वही जो बैठक में तय होगी. इसतरह घर की लड़ाई चौराहे पर आ गई, जिसपर भाजपा ख़ूब मजे ले रही है.

भाजपा नेता विनोद सिंह ने कहा कि राजद, कांग्रेस को अब धुरमुस धुरमुस कर धोएगी. कांग्रेस को क्या मिलेगा ये सभी देखेंगे. आपको बता दें कि पिछले विधान सभा चुनाव में सियासी समीकरण अलग थे. तब नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल थे और लालू यादव व कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. वहीं एनडीए खेमे में लोजपा, हम और रालोसपा ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. अब जबकि सियासी समीकरण बदल गए है जदयू एनडीए खेमे में है. ऐसे में 2015 के विधानसभा में जदयू के खाते में गयी 101 विधानसभा सीटों में अधिक सीटें कांग्रेस अपने हिस्से में चाहती है.

विधानसभा चुनाव 2015 की स्थिति 

पिछले विधानसभा यानी 2015 में हुए चुनाव में 243 सीटों में से महागठबंधन को 178 सीटों पर बंपर जीत हासिल हुई थीं. राजद को 80, जेडीयू को 71 और कांग्रेस को 27 सीटें मिलीं. उस वक्त राजद और जेडीयू के हिस्से में 101-101 सीटें आई थीं और कांग्रेस के हिस्से में 41 सीटें. दूसरी ओर, एनडीए को करारी शिकस्त झेलना पड़ा और उसे मात्र 58 सीटें हीं मिली पाईं.

165 सीटों पर उम्मीदवार उतारने वाली भाजपा 53 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई थीं. वहीं लोजपा के हिस्से 42 सीटें आई थीं जिसमें से वो मात्र 2 सीटें ही जीत सकीं. राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी(रालोसपा) को भी 2 सीटों पर जीत हासिल हुई थीं. वहीं हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा(हम) केवल 1 सीट ही जीत पाई थी. मांझी को छोड़ हम के सभी उम्मीदार हार गए. 


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