जिस तरह से कोविड-19 के नए मामलों में इजाफा हो रहा है उससे सावधान रहने की जरूरत है. क्योंकि ये साफ संकेत है कि महामारी की तीसरी लहर कभी भी दस्तक दे सकती है. एक्सपर्ट की माने तो जिस हिसाब से सोमवार 12 जुलाई को कोरोना वायरस के 37 हजार 154 नए मामले मिले और अभी भी पांच राज्य ऐसे हैं जहां कोरोना के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हो रहे हैं. महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में संक्रमण के नए मामलों को देखते हुए कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है.
इस बीच बीते हफ्ते SBI रिसर्च की रिपोर्ट आई, जिसमें अगस्त में कोरोना की थर्ड वेव आने का दावा किया गया. 'कोविड-19: द रेस टू फिनिशिंग लाइन' नाम से पब्लिश इस रिपोर्ट में कहा गया कि थर्ड वेव का पीक सितंबर में आएगा. रिपोर्ट के मुताबिक तीसरी लहर का पीक दूसरी लहर के पीक से दोगुना या 1.7 गुना ज्यादा होगा. रिपोर्ट में बताया गया कि वर्तमान डेटा ट्रेंड के मुताबिक, जुलाई के दूसरे हफ्ते तक रोजाना नए मामलों की संख्या 10 हजार तक होगी. वहीं यह अगस्त के दूसरे पखवाड़े से फिर बढ़ना शुरू हो जाएगा.
वहीं एक अनुमान के मुताबिक तीसरी लहर अक्टूबर-नवंबर में आ सकती है. ये अनुमान डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा गठित पैनल का है. ये पैनल मैथमेटिकल मॉडल के जरिए अनुमान लगाता है. कोरोना की थर्ड वेव को लेकर पैनल का मानना है कि अगर कोविड प्रोटोकॉल का ठीक तरह से पालन नहीं किया गया तो अक्टूबर-नवंबर में तीसरी लहर अपने पीक पर हो सकती है.
थर्ड वेव का बड़ा कारण देश में फैल रहा डेल्टा प्लस वैरिएंट भी माना जा रहा है. इस बार वायरस का नया वेरिएंट कितना कहर बरपायेगा, कोई कुछ नहीं कह सकता. टूरिस्ट प्लेस खासकर हिल स्टेशनों पर जो भीड़ उमड़ रही है. लोगों का गैर जिम्मेदाराना व्यवहार भी देखने को मिल रहा है. सैलानी कोरोना गाइडलाइन का धज्जियां उड़ाते दिख रहे हैं. उससे ये सब तीसरी लहर के लिए सुपरस्प्रेडर साबित हो सकते हैं. बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के लिए कुम्भ और राज्यों के चुनाव को सुपर स्प्रेडर इवेंट साबित हुए हैं.
महामारी की लहर से मतलब है कि जब एक्टिव केसेज के मामले तेजी से फैलने लगते है और पॉजिटिवटी दर भी बढ़ जाती है. ये उस स्थिति में होता है जब वायरस को फैलने के लिए अनुकूल हालात मिलने लगते हैं. जैसे जैसे लोग कोविड-19 संबंधी गाइडलांइन्स को इग्नोर करने लगते हैं. लोग बेपरवाह हो जाते हैं तब वायरस को फिर से फैलने का मौक़ा मिल जाता है. हालांकि इस स्थिति को रोकने में में वैक्सीन एक अहम रोल निभाती है लेकिन अगर वायरस म्यूटेट हो कर एंटीबॉडीज को चकमा देने लगे तो हालात पर कंट्रोल करना मुश्किल हो सकता है.
बताते चले कि मई में कोविड-19 की दूसरी लहर जैसे ही खत्म हुई, वैसी ही अगले महीने यानी जून से अनलॉक प्रक्रिया के दौरान देश में पर्यटन की गतिविधियां धीरे-धीरे शुरू हो गईं. तमाम पर्यटक स्थल, सैलानियों से गुलजार हैं. लेकिन जो हालात वर्तमान समय में प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर बने हुए हैं, ऐसे में कोई दो राय नहीं है कि अगर पर्यटकों की भीड़ में कोई भी संक्रमित व्यक्ति हो तो वह तमाम लोगों को संक्रमित करने के लिए काफी है. जिससे हालात बदतर हो सकते हैं. वहीं, कोरोना की संभावित तीसरी लहर काफी खतरनाक मानी जा रहा है, जिससे निपटना सरकार के लिए बड़ी चुनौति होगी.