दुनिया में कुछ रिश्ते ऐसे हैं जो हमें ईश्वर की तरफ़ से नहीं मिलते बल्कि उन्हें हम ख़ुद अपनी ज़िंदग़ी के लिए चुनते हैं. दोस्ती भी ऐसी ही रिश्ता है. ये दो दिलों के बीच ऐसी बंधन है, जिसकी कोई परिभाषा नहीं, मतलब नहीं, केवल इसे महसूस किया जा सकता है. ये बात ख़ुद भगवान कृष्ण ने सुदामा को समझाया था. एक बार सुदामा ने कृष्ण से पूछा, माधव! 'दोस्ती' का असली मतलब क्या है? कृष्ण हंसे फिर बोले, "जहां 'मतलब' होता है, वहां दोस्ती कहां होती है."
चाहे हम जब छोटे हो या बड़े, हम दोस्ती के रंग में जरूर रंगे होते हैं. हमारा कोई न कोई ऐसा दोस्त जरूर होता जिसके साथ हमें अच्छा लगता है. हम उससे अपनी सारी बातें शेयर करते हैं. उसके साथ हस्ते खेलते रहते हैं. हमारा ये ब्लॉग उन्हीं दोस्तों के नाम हैं. पेश है दोस्ती की जज्बातों को महसूस कराने वाली शायरी...
लकीरें तो हमारी भी बहुत ख़ास है,
तभी तो तुम जैसा दोस्त हमारे पास है।
लोग दुनिया मे दोस्त देखते है,
हम दोस्तों मे दुनिया देखते है।
दोस्त एक ऐसा चोर होता है, जो आँखों से आँसू,
चेहरे से परेशानी, दिल से मायूसी ,जिंदगी से दर्द,
और बस चले तो हाथो की लकीरों से मौत तक चुरा ले।
कुछ लोग कहते है दोस्ती बराबर वालो से करनी चाहिये,
लेकिन हम कहते है दोस्ती में कोई बराबरी नही करनी चाहिये।
आपकी हंसी बहुत प्यारी लगती है,
आपकी हर ख़ुशी हमें हमारी लगती है।
कभी दूर न करना खुद से हमें ,
आपकी दोस्ती हमें जान से भी प्यारी लगती है।।
दोस्ती तो ज़िन्दगी का एक खूबसूरत लम्हा है,
यह सब रिश्तो से अलबेला है।
जिसे मिल जाए वो तन्हाई में खुश है,
जिसे न मिले भी वो भीड़ में भी अकेला है।।
वो याद नहीं करते, हम भुला नहीं सकते,
वो हँसा नहीं सकते, हम रुला नहीं सकते।
दोस्ती इतनी खूबसूरत है हमारी वो बता नहीं सकते,
और हम जता नहीं सकते।।
वक्त,दोस्त और रिश्ते,
वो चीजें है जो हमें मुफ्त मिलती है।
मगर इनकी कीमत का पता तब चलता है,
जब ये कही खो जाती है।।
अच्छा और सच्चा दोस्त एक फूल है,
जिसे हम तोड़ भी नही सकते,
और अकेला छोड़ भी नही सकते,
अगर तोड़ लिया तो मुरझा जायेगा,
और छोड़ दिया तो कोई और ले जायेगा।