आज गणेश चतुर्थी है. पौराणिक मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था. धार्मिक महत्व के रूप में भगवान गणेश को हिंदू धर्म में प्रथम पूजनीय माना जाता है. कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. न केवल इंसान बल्कि देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की पूजा एवं स्तुति सबसे पहले करते हैं. वे सुख और समृद्धि के दाता हैं. भक्तों के विघ्न हरकर, उसके कारोबार को र्निविघ्न पूरा करने वाले हैं.

वहीं भगवान गणेश से जुड़े वैज्ञानिक पहलुओं की चर्चा करें तो यह सम्पूर्ण सृष्टि परमाणुओं और विभिन्न प्रकार के ऊर्जाओं का समूह हैं. गण का शाब्दिक अर्थ होता है समूह. आप तनिक गौर से ध्यान दे तो पाएंगे कि अगर कोई सर्वोच्च नियामक इस संसार के अलग-अलग संस्थाओं के समूह पर नियंत्रण नहीं कर रहा होता तो अबतक इसमें क्रमबद्ध विकास संभव नहीं होता. संभव है कि ये ब्रह्मांड उथल-पुथल का शिकार होकर नष्ट हो जाता. इन सभी परमाणुओं और ऊर्जाओं के समूह के स्वामी हैं भगवान 'गणेश'.

भगवान गणेश वही ऊर्जा हैं जो इस ब्रह्मांड के उत्पति का कारण है. यह वही ऊर्जा है, जिससे सब कुछ अप्रत्यक्ष होकर भी प्रत्यक्ष दिखाई देता है. और अंत में उसमें सब कुछ विलीन हो जाता है. वे आदि भी है और अंत भी हैं. वे ‘अजं निर्विकल्पं निराकारमेकम’ हैं. अर्थात, भगवान गणेश अजन्मे हैं, बिना किसी गुण के हैं, बिना किसी आकार के हैं और वे उस चेतना के प्रतीक हैं, जो सर्वव्यापी है.

अब आप कहेंगे कि उनकी पूजा तो हाथी के सिर वाले भगवान के रूप में होती है. पर, मैं आपको बता दू यह स्वरुप स्थूल मात्र है, सुक्ष्म नहीं. वो तो वास्तव में उस निराकार यानी परब्रह्म रूप का संकेत भर है.
Discus