आज बुधवार 9 सितंबर को कंगना रनौत के मुंबई पहुंचने से पहले ही उनके ऑफिस पर मुंबई महानगर पालिका(बीएमसी) का बुलडोजर पहले पहुंच गया और तोड़-फोड़ शुरू कर दिया. बीएमसी की एक टीम ने अभिनेत्री कंगना के ऑफिस के कुछ हिस्सों को ढहाने की कार्रवाई शुरू कर दी. उनका मानना है कि ये अवैध तरीक़े से किया गया निर्माण है. 

अब यहां सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि जो ऑफिस अब तक लीगल था, वो अचानक इलीगल कैसे हो गया? अगर ऑफिस का कुछ हिस्सा गैर-कानूनी था तो उसपर पहले कार्रवाई क्यों नहीं किया? कंगना के कुछ ट्वीट, बयान और शिवसेना नेता संजय राउत से उपजे विवाद की वजह से यदि ऑफिस पर कार्रवाई की गई है तो ये लोकतंत्र में नागरिकों को मिले संवैधानिक अधिकार 'अभिव्यक्ति की आजादी' के खिलाफ है. ये तो सरासर अन्याय है. नागरिकों की आवाज को दबाना है. उसे डरा धमकाकर चुप कराने जैसा है, ताकि सत्ता पर बैठे लोग अपनी मनमर्जी चलाते रहे और नागरिक कुछ सवाल भी न करे. अपनी बात भी न रख सके. ये कैसा लोकतंत्र है?

बीएमसी के इस कार्रवाई के खिलाफ कंगना ने बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील की. मामले को संज्ञान में लेते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने कंगना के ऑफिस पर बीएमसी की कार्रवाई पर रोक लगाने का आदेश दिया है. हाई कोर्ट ने बीएमसी से कंगना की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए भी कहा है. महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी इसे बदले की भावना से प्रेरित कार्रवाई बताया.

बीएमसी ने कंगना के ऑफिस पर नोटिस चस्पा किया और 24 घंटे का वक्त दिया इसके जवाब में कंगना ने सात दिन का समय मांगा था. लेकिन बीएमसी ने इस पर तत्काल कार्रवाई की है. 24 घंटे के अंदर दूसरा नया नोटिस लगाकर अवैध निर्माण गिराया गया. बीएमसी के इस एक्शन पर कंगना ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए उसे बाबरी सेना बताया और कहा कि ये राम का मंदिर, जिसे ढाहा गया है वो दोबारा बनेगा. कंगना जब मुंबई पहुंची तो सबसे पहले सीएम उद्धव ठाकरे पर निशाने साधते हुए कहा 'आज मेरा घर टूटा है कल तुम्हारा घमंड टूटेगा.'

कंगना ने ट्विटर पर एक वीडियो भी शेयर किया जिसमें वो कह रही है, ''उद्धव ठाकरे तुझे क्या लगता है तूने फ़िल्म माफ़िया के साथ मेरा घर तोड़ कर मुझसे बहुत बड़ा बदला लिया है. आज मेरा घर टूटा है कल तेरा घमंड टूटेगा. ये वक़्त का पहिया है याद रखना हमेशा एक जैसा नहीं रहता और मुझे लगता है तुमने मुझ पर बहुत बड़ा अहसान किया है, मुझे पता था कि कश्मीरी पंडितों पर क्या बीती होगी आज मैंने महसूस किया है. आज मैं इस देश को वचन देती हूं कि मैं अयोध्या पर ही नहीं कश्मीर पर भी एक फ़िल्म बनाऊंगी. और अपने देशवासियों के जगाऊंगी क्योंकि मुझे पता था कि ये हमारे साथ होगा तो लेकिन ये मेरे साथ हुआ है इसका कोई मतलब है, कोई मायने है. उद्धव ठाकरे अच्छा हुआ कि ये जो क्रूरता, ये जो आतंक है मेरे साथ हुई क्योंकि इसके कुछ मायने हैं...जय हिंद, जय महाराष्ट्र''

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