लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान नीतीश कुमार के विरोध का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं. आज हुई पार्टी सांसदों की बैठक में भी नीतीश के खिलाफ पार्टी के तेवर में कोई कमी नहीं देखी गई. इसी कड़ी में पार्टी ने भाजपा को बिहार में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर लड़ने की सलाह भी दी है.

दरअसल, राज्य की करीब दो दर्जन विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिनपर दोनों पार्टियों के बीच सीधी फाइट है. आंकड़ों पर गौर करें तो 2015 के विधान सभा चुनाव में इन सीटों पर जेडीयू की जीत हुई थी, जबकि चिराग पासवान की पार्टी नंबर दो पर रही थी. लोजपा इन सीटों पर अपनी दावेदारी दिखा रही हैं. वहीं जेडीयू सीटिंग सीट होने के नाते स्वभाविक तौर पर उसकी दावेदार है. इस वजह से दोनों दलों के बीच सियासी नूरा-कुश्ती जारी है.

बीजेपी-जेडीयू के बीच सीट बंटवारे पर बनी सहमति से भी लोजपा असहज है. लोजपा इस बात पर बार-बार जोर दे रही है कि राज्य में बीजेपी-जेडीयू बराबर-बराबर सीटों पर लड़े, जबकि बीजेपी पहले ही नीतीश कुमार को बड़ा भाई बता चुकी है और एनडीए गठबंधन का नेतृत्व कर्ता भी घोषित कर चुकी है.

गौरतलब है कि चिराग पासवान ने नीतीश सरकार की नाकामी गिनाते हुए बीते 13 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था. इसमें अपने कार्यकर्ताओं की राय को बताते हुए साफतौर पर कहा गया था कि सीएम नीतीश से लोग खुश नहीं है. ऐसे में उनके चेहरे पर चुनाव लड़ना ठीक नहीं होगा.

जहां एक ओर पार्टी के सांसदो ने एक सुर में सीएम नीतीश कुमार के कामों का विरोध जारी रखा. बैठक में सभी सांसद बिहार मे पनप रहे अधिकारीवाद पर जमकर बरसे और वहीं कोरोना, बाढ़ और पलायन के विषय पर लोजपा के सभी सांसदों ने नीतीश सरकार की आलोचना की. वहीं दूसरी ओर पीएम नरेंद्र मोदी के द्वारा बिहार को समर्पित सभी योजनाओं की जम कर तारीफ़ की.

आपको बता दें कि पिछले विधान सभा चुनाव में सियासी समीकरण अलग थे. तब नीतीश कुमार महागठबंधन में शामिल थे और लालू यादव व कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. वहीं एनडीए खेमे में लोजपा, हम और रालोसपा ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. अब जबकि सियासी समीकरण बदल गए है और नीतीश एनडीए का बड़ा भाई बन चुका है, जिसमें ये तय है कि पिछले बार के तुलना में लोजपा को कम सीटें मिलेंगी. पिछली बार लोजपा को 42 सीटें मिली थीं. इसबार उसे 30 सीटें मिल सकती हैं. इसलिए वो बागी रूख अख्तियार किए हुए है.  

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