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हिंदु धर्मशास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश को प्रथम पूजनीय माना जाता है. कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है. न केवल इंसान बल्कि देवता भी अपने कार्यों की बिना किसी विघ्न से पूरा करने के लिए गणेश जी की पूजा एवं स्तुति सबसे पहले करते हैं. वे सुख और समृद्धि के दाता हैं. भक्तों के विघ्न हरकर, उसके कारोबार को र्निविघ्न पूरा करने वाले हैं. कहते हैं सच्ची श्रद्धा से पूजा करने पर भगवान गणेश अपने भक्तों के सारे कष्टों को हर लेते हैं और उनके जीवन में खुशियां भर देते हैं. पर, क्या आप विघ्नहर्ता गणेश जी के वो सीक्रेट जानते है जो हर कोई जानना चाहता है.

भगवान गणेश जी का हर अंग एक रहस्य से भरा हुआ है. गणपति एकदन्त और चतुर्बाहु हैं. उनके चारों हाथ अलग मुद्रा में नजर आते हैं, इनमें से एक वरमुद्रा में है और शेष तीन में वे क्रमश: पाश, अंकुश, और मोदक पात्र धारण करते हैं. वे रक्तवर्ण, लम्बोदर, शूर्पकर्ण तथा पीतवस्त्रधारी हैं. उनके एकदंत व टूटी हुई दांत के पीछे भी एक सीक्रेट है. उनके सूंड, बड़ी कान, लम्बी पेट, चूही की सवारी, लाल तिलक लगाने, पूर्व दिशा में स्थापित करने और उनपर तुलसी न चढ़ाने के पीछे भी एक रहस्य है. तो आइए जानते हैं भगवान गणेश जी से जुड़ी उन 10 ऐसे रहस्यों के बारे में जो बेहद चौंकाने वाला हैं.

1. गणपति जी के बड़े बड़े कानों का रहस्य है कि वह सबकी सुनते हैं पर निर्णय अपनी बुद्धि से लेते हैं. बड़े कान इस ओर भी इशारा करते हैं कि बुरी बातों को त्याग कर अच्छी बातों को अपने कानों में डालना चाहिए.

2. गणपति जी की लम्बी सूंड दूर से ही आने वाली परेशानियों को पहचान लेती है, जिससे उन्हें आने वाले संकट का पहले से ही पता चल जाता है.

3. टूटा दाँत उनकी बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है. इसी दांत से उन्होंने महाभारत लिखी थी.

4. गणेश जी के शरीर के दो रंग हैं, जिनमें से लाल रंग समृद्धि का और हरा रंग शक्ति का प्रतीक माना जाता है. इसी के चलते कहा जाता है कि इनके अंदर शक्ति और समृद्धि का वास है.

5. गणेश जी को लाल रंग अर्पित किया जाता है. लाल और सिंदूरी गणेश जी के प्रिय रंग हैं. मान्यता है कि गणेश जी को लाल फूल अर्पित करने से वह प्रसन्न हो जाते हैं.

6. गणेश भगवान की पूजा में तुलसी का प्रयोग कभी नहीं करना चाहिए. क्योंकि तुलसी ने गणेश जी की तपस्या को भंग करने की कोशिश की थीं. तब गणेश जी ने तुलसी को श्राप दिया था. दरअसल, गणेश जी विवाह से बचने के लिए तपस्या कर रहे थे. तभी तुलसी वहां आईं और गणेश जी की तपस्या भंग करने लगीं. जैसे ही गणेश जी की तपस्या भंग हुई तो उन्होंने क्रोध में आकर तुलसी को श्राप दिया कि अगले जन्म में तुम एक पौधा बनोगी और एक असुर से तुम्हारा विवाह होगा. इसे सुनकर तुलसी को भी गुस्सा आ गया और उसने भी गणेश जी को श्राप दिया कि जिस फल को प्राप्त करने के लिए तुम ये तपस्या कर रहे हो, वह पूरा ना हो और तुम्हारी जल्द ही दो शादियां हों. इसलिए गणपति जी की पूजा में तुलसी नहीं चढ़ाई जाती.

7. भगवान गणेश की पूजा हिंदु धर्म के आलावा अन्य धर्मावलम्बी भी करते हैं. उनकी पूजा सिर्फ हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि बौद्ध धर्म में भी की जाती है. बौद्ध धर्म में गणेश को विनायक के रूप में जाना जाता है. तिब्बत, चीन और जापान जैसे देशों में गणपति की बड़े धूम धाम से पूजा की जाती है.

8. भगवान गणेश को हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए. और उनके दर्शन सदैव सामने की ओर से करने चाहिए. ऐसी मान्यता है कि गणेश जी के पीछे की तरफ दरिद्रता निवास करती है. इसलिए पीठ की तरफ से गणेश जी के दर्शन नहीं करने चाहिए. भगवान गणेश जी के कुछ खास अंग जैसे पीठ, नाभि और कंठ के दर्शन नहीं करना चाहिए. क्योंकि ऐसा करना अशुभ माना जाता है. धर्मशास्त्रों के अनुसार गणेश जी के जो अंग वस्त्र और आभूषणों से ढके हुए हैं, उन अंगों को कतई न देखें. पीठ – गणपति की पीठ में दरिद्रता का वास होता है इसलिए गणपति की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए. नाभि – गणपति की नाभि को देखने से मानसिक विकार आते हैं। यह मन को अशांत करती हैं. कंठ – गणपति के कंठ के दर्शन से कंठ के रोग हो सकते हैं, इसलिए इनके कंठ को भी नहीं देखना चाहिए. अगर किसी की गलती से इन अंगों पर नज़र चली जाती है, तो उसके साथ कुछ अशुभ हो सकता है.

9. गणेश जी ही ऐसे देवता है, जिनकी पूजा में दूर्वा का प्रयोग होता है. इसके पीछे एक कथा है जिसके मुताबिक अगलासुर नाम का राक्षस ऋषि मुनियों को जीवित निगल जाता था. इस राक्षका अंत गणेश जी ने कर दिया और फिर इसे निगल लिया जिसके बाद उनके पेट में जलन होने लगी. उनके पेट की जलन के शांत करने के लिए कश्यप ऋषि ने दूर्वा दी थी. इसके बाद से ही गणेश जी को दूर्वा चढ़ाई जाती है.

10. यह सबको पता है कि गणेश जी का वाहन चूहा है लेकिन यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि वह चूहा कौन है. दजरअसल वह एक एक राक्षस था जिसको गणेश जी ने चूहा बना दिया था. उसके प्रार्थना करने पर गणेश जी ने उसे अपना वाहन बना लिया.

11. भगवान गणेश जी के माता-पिता, भाई एवं पत्नी के बार में बहुत सारी जानकारी है. पर, क्या आप उनके बहन का नाम जानते हैं. तो आपको बता दें कि उनकी एक बहन भी थीं जिसका नाम अशोक सुन्दरी था.

तो हैं न भगवान गणेश जी जुड़ी ये खास सीक्रेट. जिसे आप जानकर शुभ की प्राप्ति और अशुभ से बच सकते हैं.

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