देश के संविधान में एक कल्याणकारी राज्य की परिकल्पना की गई है. पर वर्तमान हालातों को देखकर ऐसा लगता नहीं कि सत्ता पर आसिन नुमांइदे इसको लेकर गंभीर हैं. इसके पीछे की वजह है देश में रोजाना हो रहे सुसाइड. 2019 में एवरेज 381 लोगों ने सुसाइड कर ली. पूरे साल कुल 1.39 लाख लोगों ने अपने जीवन को खुद ही खत्म कर दिया.

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के वर्ष 2019 के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर घंटे एक स्टूडेंट सुसाइड करता है. देश में 1 जनवरी, 1995 से 31 दिसंबर, 2019 के बीच आत्महत्या की वजह से 1.7 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को अपनी जान गंवानी पड़ी. जिस युवा आबादी की बल पर हम दुनिया में अपना परचम फहराना चाहते है, वहीं सबसे ज्यादा सुसाइड कर रहे हैं और उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. सरकार के कानों में तो जू तक नहीं रेंग रही है. क्या ऐसे बनेगा देश विकसित?

साल 2019 में भारत में 18 से 45 वर्ष के युवकों में आत्महत्या की वजह से होने वाली मौतों का आकड़ा 93,061 है. युवाओं में आत्महत्या की ये प्रवृत्ति नोर्थ इंडिया की तुलना में साउथ इंडिया में कहीं ज्यादा है. यूथ में भी सुसाइड के केसेज 2018 के मुकाबले बढ़े हैं. इसमें चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. देश भर में सुसाइड से होने वाली टोटल डेथ में से चालीस फीसदी अकेले चार बड़े दक्षिणी राज्यों में होती हैं.

इसमें 2018 के मुकाबले 3.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. 2019 में आत्महत्या से मरने वालों में पुरुषो और महिलाओं का अनुपात 70.2 के मुकाबले 29.8 रहा. मरने वालों में 97,613 पुरुष और 41,493 महिलाएं थीं. पुरुषों में सबसे ज्यादा संख्या (29,092) दिहाड़ी पर काम करने वालों की थी. 14,319 पुरुषों का खुद का कारोबार था. और 11,599 बेरोजगार थे. वहीं सुसाइड करने वाली महिलाओं में 21,359 हाउस वाइफ थीं, 4,772 स्टूडेंट्स थीं और 3,467 दिहाड़ी पर काम करने वाली और 2,851 बेरोजगार थीं.

आकड़ों से ये स्पष्ट हैं कि दिहाड़ी मजदूरी यानी हर रोज काम की तलाश करने वाले एवं बेरोजगारी एक बड़ा कारण है क्योंकि सुसाइड से हुई मौतों में 40691 लोग दिहाड़ी कामगार एवं बेरोजगार थे. सुसाइड के आंकड़ों पर स्टेट वाइज गौर करे तो सबसे ज्यादा आत्महत्या महाराष्ट्र में हुई है. उसके बाद तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे स्टेट का स्थान है. पूरे देश के टोटल सुसाइड केसज का 50 फीसदी मामले इन्हीं राज्य में पाए गए. वहीं सुसाइड की रेट यानी दर साउथ के चार स्टेट- केरल, कर्नाटक, तेलांगना और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा पाई गई. ये बात भी चौंकाने वाला है कि पिछले राज्य में गिनी जाने वाली बिहार में सुसाइड रेट सबसे काम पाई गई है. परंतु वहां भी 2018 के मुकाबले सुसाइड के मामलों में 44.7 फीसदी का इजाफा हुआ है.

इन 25 सालों के दरमियान कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के हाथ में सत्ता रही, हुकुमत बदली लेकिन युवाओं के हालात में सुधार नहीं हुआ. इस युवा प्रधान देश में स्टूडेंट्स और युवा कितने मुश्किलों से गुज़र रहे हैं. युवाओं की बदहाली का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले साल 2019 में तकरीबन 93,061 यूथ तो 10,335 स्टूडेंट्स ने सुसाइड की यानी औसतन हर घंटे एक आत्महत्या. ये पिछले 25 सालों में किसी एक साल में स्टूडेंट्स द्वारा आत्महत्या का सबसे बड़ा आंकड़ा है. फिर भी सरकार मौन रहती हैं.

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