Pegasus phone hacking controversy, Image Source: afternoonvoice

पेगासस स्पाइवेयर (Pegasus Spyware) से जासूसी की बात सामने आते ही देश की पॉलिटिक्स में भूचाल मच गया है. बताया जा रहा है कि इसका इस्तेमाल करते हुए प्रोमिनेन्ट लोगों की जासूसी की गई हैं. इसके जरिए राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी सहित कई अन्य विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और अलग अलग क्षेत्रों के प्रमुख हस्तियों की जासूसी पर कांग्रेस ने मोदी सरकार को आड़े हाथ लिया है.

बता दें कि एमनेस्टी इंटरनेशनल और पेरिस बेस्ड 'फॉरबिडन स्टोरीज' जैसे संस्थानों ने 50 हजार फोन नंबर्स की एक लिस्ट होने का दावा किया, जिसे पेगासस स्पायवेयर के जरिए हैक किया गया है. इन दोनों संस्थानों ने इस लिस्ट को दुनियाभर के 16 मीडिया संस्थानों के साथ शेयर किया है. हफ्तों के इन्वेस्टिगेशन के बाद खुलासा हुआ है कि अलग-अलग देशों की सरकारें पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, बिजनेसमैन, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वकीलों और वैज्ञानिकों समेत कई लोगों की जासूसी कर रही हैं. इस सूची में भारत का भी नाम है.

द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, लीक हुए डेटा में 300 भारतीय मोबाइल नंबर शामिल हैं, जिनमें 40 मोबाइल नंबर भारतीय पत्रकारों के हैं. इनके अलावा तीन बड़े विपक्षी नेता, मोदी सरकार में दो केंद्रीय मंत्री, सुरक्षा एजेंसियों के मौजूदा- पूर्व प्रमुख और अधिकारी, बिजनेमैन शामिल हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि इन नंबरों को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018-2019 के बीच निशाना बनाया गया था.

जासूसी की बात सामने आते ही कांग्रेस ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है. कांग्रेस ने बीजेपी को 'भारतीय जासूस पार्टी' का टैग भी दे दिया. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पत्रकारों से कहा, 'इस मामले की जांच होने से पहले अमित शाह को इस्तीफा देना चाहिए और मोदी जी की जांच होनी चाहिए.’ उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस 19 जुलाई से शुरू हुए संसद के मॉनसून सत्र में पेगासस के मुद्दे को पुरजोर ढंग से उठाएगी.'

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'राहुल गांधी और अपने मंत्रियों की जासूसी की गई है. हमारे सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुखों की भी जासूसी गई है. पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और कई मीडिया समूहों की भी जासूसी कराई गई. क्या किसी सरकार ने इस तरह का कुकृत्य किया होगा? भाजपा अब 'भारतीय जासूस पार्टी' बन गई है.'

हालांकि, इस मामले पर सरकार की ओर से भी सफाई आई कि वो किसी प्रकार के हैकिंग में शामिल नहीं है. इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology) ने कहा है कि भारत एक मजबूत लोकतंत्र है और अपने नागरिकों के निजता के अधिकार के लिए पूरी तरह समर्पित है. सरकार पर जो जासूसी के आरोप लग रहे हैं वो बेबुनियाद हैं.

गौरतलब है कि पेगासस इससे पहले भी विवादो में घिर चुका है. सबसे पहला मामला 2016 में आया था. हुआ यूं कि एक दिन यूएई(UAE) के ह्यूमन राइट एक्टिविस्ट अहमद मंसूर को अनजान नंबर से कई SMS आये, जिसमें कई लिंक भेजी गई थीं. अहमद को जब ऐसे मैसेज पर शक हुआ तो वे साइबर एक्सपर्ट्स के पास गए. 

 मैसेजे की जांच हुई जिसमें खुलासा हुआ कि ये स्पायवेयर यानी जासूसी सॉफ्टवेयर का लिंक है. अगर इस लिंक पर क्लिक किया गया तो फोन में पेगासस डाउनलोड हो जाता. उसके बाद पेगासस का विवाद सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी के साथ भी जुड़ा. बताते चलें कि 2 अक्टूबर 2018 जमाल की हत्या हुई थी और जांच एजेंसियों ने वारदात को लेकर जासूसी की बात पर शक जाहिर किया था.

वहीं 2019 में वाट्सऐप ने तो पेगासस को बनाने वाली कंपनी पर मुकदमा भी किया था. तब व्हाट्सएप ने कहा था कि पेगासस के जरिए करीब 1400 पत्रकारों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के व्हाट्सएप की जानकारी उनके फोन से हैक की गई थी. उस समय कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने इस मामले को राज्यसभा में उठाया था और सरकार पर कई आरोप भी लगाए थे. 

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