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दुन‍िया भर के डॉक्टर्स और मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े एक्सपर्ट्स कोरोना वायरस की कारगर इलाज ढूंढने में लगे हुए हैं. ताकि इस वायरस से संक्रमित हुए लोगों को बचाया जा सके. गौरतलब है कि अभितक कोरोना वायरस से बचाव हेतु न कोई वैक्सीन बन पाई है और नहीं कोई सटीक इलाज की पद्धति विकसित हो पाई है, जिससे इस वायरस को जड़ से खत्म किया जा सके. लेकिन इसी बीच एक गुड न्यूज़ सुनने में आया कि प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीज ठीक हुए है. जिससे कोरोना के इलाज में उम्मीद की एक किरण दिखी. तो आइए जानते हैं क्या है प्लाज्मा? क्या है प्लाज्मा थेरीपी? प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना मरीज का इलाज कैसे किया जाता है? और यह कोरोना के इलाज में कितनी कारगर है?

प्लाज्मा क्या है?

कोरोना वायरस से संक्रमित इंसान जब पूर्ण रूप से ठीक हो जाते हैं तो उनके ब्लड में एक एंटीबॉडीज बन जाती हैं. इसी ही प्लाजमा कहा जाता है.

इंसान के ब्लड में प्लाज्मा की मौजूदगी

इंसान के ब्लड में चार अवयव होती है, पहली रेड ब्लड सेल, दूसरी वाइट ब्लड सेल, तीसरी प्लेट्लेट्स और चौथी प्लाज्मा. ब्लड का लिक्व‍िड वाला पार्ट प्लाज्मा होता है. आपको बता दें कि जब बॉडी में किसी वायरस का अटैक होता है तो सबसे पहले हमारा बॉडी उस वायरस से फाइट करता है और उसे बाहर निकालने व खत्म करने का हरसंभव प्रयास करता है. ये काम एंटीबॉडी द्वारा किया जाता है और एंटीबॉडी बनाने में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है ब्लड में मौजूद प्लाज्मा.

क्या है प्लाज्मा थेरेपी?

जब एक इंसान का शरीर एंटीबॉडी बना कर किसी वायरस को मात देने में काबिल हो जाता है. अब उसके शरीर में बना ये एंटीबॉडी लंबे समय तक प्लाज्मा के साथ उसके ब्लड में मौजूद रहती है. वह चाहें तो इसे डोनेट कर सकता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार एक व्यक्ति दो लोगों को अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकता है. डोनर वही बन सकता है, जिसको कोई दूसरी बीमारी ना हो. कोविड से ठीक हुए दो हफ्ते गुजर चुके हो. और किसी और तरह की दवाई का सेवन नहीं कर रहे हों.

इस थेरिपी में ठीक हुए इंसान के ब्लड से एंटीबॉडीज निकालकर वायरस से संक्रमित इंसान के बॉडी में डाली जाती हैं. फिर संक्रमि‍त शरीर में जाकर ये एंटीबॉडी फिर से अपना काम यानी वायरस को खत्म करने का काम शुरू कर देता है और मरीज को ठीक होने में मदद पहुंचाता है.

हालांकि कोरोना के इलाज के लिए प्लाज़्मा थेरेपी को व्यापक स्तर पर इलाज के सटीक पद्धति के रूप में मान्यता नहीं मिली है. देश में केवल कुछ जगहों पर ही इसके इस्तेमाल की सशर्त इजाज़त दी गई है.

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