राम जन-जन के राम हैं. वह विश्व के हर इंसान के अंदर रचे बसे हैं. राम लोगों के दिलों में बसते हैं, तभी उन्हें लोकनाथ कहा जाता है. इस भूलोक और संस्कृति दोनों में राम समाहित हैं. राम के प्रभाव का मूल है मर्यादा. तभी तो उन्हें पुरुषों में सबसे उत्तम पुरुष अर्थात् 'मर्यादा पुरुषोत्तम' भी कहा जाता है. आज हम आपको राम जी से जुड़े कुछ खास तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं.
भगवान विष्णु द्वारा कुल 10 अवतार लिए गए, मत्स्य, कूर्म, वराह, नरसिंह, वामन,परशुराम, राम, कृष्ण, बुद्ध और कल्कि. इसमें सातवें अवतार के रूप में राम का अवतरण होता है. जनमानस में उनके शील एवं आचरण की मिसाले दी जाती है. इसलिए कि राम का चरित्र आदर्श पुत्र, शिष्य, भाई, मित्र, योद्धा और आदर्श राजा के रूप में सभी को आकर्षित करता है. जब धरती पर रावण का अत्याचार हद से ज्यादा बढ़ गया. सब लोग त्राहिमाम करने लगे, तब भगवान विष्णु 'राम' रूप में धरती लोक पर अयोध्या में राजा दशरथ व रानी कौशल्या के यहां जन्म लेते हैं और रावण को मार कर सज्जन पुरूषों को बचाते हैं.
"यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत, अभ्युथानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्, धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे-युगे॥"
अर्थात् जब-जब धर्म की हानि और अधर्म का बोलबोला बढ़ जाता है, तब-तब सज्जनों के बचाने, दुष्टों के विनाश और धर्म की स्थापना करने के लिए मैं(विष्णु) विभिन्न युगों में उत्पन्न होता हूं.
पूरी दुनिया में लोकप्रिय है राम और उनके आदर्श बिल्कुल इस कहावत की तर्ज पर- हरि अंनत हरिकथा अनंता. राम देश के जनमानस में गहरे रचे-बसे हैं. ऐसा इसीलिए है, क्योंकि राम का सारा जीवन आदर्श के सबसे ऊंचे मानकों पर आधारित हैं.
उन्होंने जीवन में जो कुछ किया, अपने लिए नहीं, औरों के लिए किया. राम के लिए हमेशा 'स्वहित' से ज्यादा, परहित, समाजहित और राज्यहित मायने रखता था. शायद इसीलिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जब भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाने की लड़ाई लड़ रहे थे तो रामराज्य की संकल्पना को साकार करना चाहते थे. राम का आदर्श गांधी को संबल प्रदान करने का काम करता रहा था.
राम का रामत्व उनकी संघर्षशीलता में है, न कि देवत्व में. राम के संघर्ष से साधारण जनता को एक नई शक्ति मिलती है. कभी न हारने वाला मन, विपत्तियां हजार हैं. पत्नी दुश्मनों के घेरे में है. राम रोते हैं, बिलखते हैं, पर हिम्मत नहीं हारते हैं. राम उदारता, अंत:करण की विशालता एवं भारतीय चारित्रिक आदर्श की साकार प्रतिमा है.