सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म दिल बेचारा ओटीटी प्लेटफॉर्म डिज्नी हॉटस्टार वीआईपी पर रिलीज हो चुकी है. कोरोना के चलते सुशांत की फिल्म भले ही सिनेमा हॉल नहीं पहुंची लेकिन अब इस फिल्म ने हर घर में पहुंचकर सुशांत की दमदार एक्टिंग की धमक को रूबरू करवा दिया है.
ऐसी है फिल्म 'दिल बेचारा' की कहानी
'दिल बेचारा' 2014 में आई हॉलीवुड फिल्म फॉल्ट इन आर स्टार्स का ऑफिशियल हिंदी रीमेक है, जो कि जॉन ग्रीन की सन 2012 में प्रकाशित हुई नावेल पर आधारित है. परंतु इस फिल्म में आपको कहानी का बिल्कुल देशी टच देखने को मिलेगा. स्क्रिप्ट राइटर शशांक खेतान ने इसे देशी सांचे में ढाल दिया है. कहानी जमशेदपुर से पेरिस सफर करती है.
जमशेदपुर में एक बंगाली फैमिली रहती है. इस फैमिली की लड़की है कीज़ी बासु. किज़ी कैंसर से जूझ रही है और मौत की कगार पर खड़ी है. तभी उसकी जिंदगी में सुशांत की एंट्री एक उम्मीद लेकर आती है. उम्मीद जिंदगी से मौत को भूलाकर प्यार से जीने की. एक था राज और एक थी रानी, कहानी इससे कहीं आगे की है. पहले मुलाकात, दोस्ती, फिर प्यार और उसके बाद दर्द में खुशियों की तलाश. रोमांटिक ड्रामा से भरपूर फ़िल्म की कहानी में कई टर्न एंड ट्वीस्ट हैं.
सुशांत का साथ पाकर संजना अपनी बची हुई ज़िंदगी बेफिक्र होकर जीती है. वे दोनों हर पल हर लम्हे को खुशी के साथ जीते हैं. मैनी कीजी के हर सपने को पूरा करने की पूरी कोशिश करता है. कहानी जमशेदपुर जैसी जगह से निकलकर आगे बढ़ती है. किजी का एक फेवरिट सिंगर है जिसका नाम अभिमन्यु वीर सिंह है लेकिन उसका आखिरी गाना अधूरा है.
किजी अभिमन्यु से मिलना चाहती है. पैरिस जाने से पहले किजी की तबीयत बिगड़ जाती है. अब किजी को मरने से डर लगने लगा है, क्योंकि उसे मैनी से प्यार हो गया है. किजी को लगता है कि वह मैनी पर बोझ बन रही है लेकिन मैनी किजी को अकेला नहीं छोड़ना चाहता. यहां एक सच्चे प्यार को दर्शाती एक इमोशनल कहानी बुनी गई है जो काफी स्वीट और सिंपल है. पेरिस से लौटने के बाद फ़िल्म बिल्कुल दूसरे करवट बदल जाती है. फिल्म के अंत में क्या होता है, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.
एक्टिंग
सुशांत सिंह जैसे रियल लाइफ में मिलनसार, हंसमुख एवं जिंदा दिल थे वैसा ही अवतार आपको इस फिल्म में भी देखने को मिलेगा. जिस तरह से सुशांत ने एक मस्तमौला ज़िंदगी को अपने इशारों पे नचाने वाले किरदार को दमदार तरीके से निभाया है, वो क़ाबिले तारिफ़ है.
मैनी के रोल में शायद सुशांत से बेहतर कोई हो ही नहीं सकता था. उनकी ऐक्टिंग और कॉमिक टाइमिंग गजब की है. सुशांत के फेसियल एक्सप्रेशन और डायलॉग डिलिवरी, वॉइस मॉड्यूलेशन सब गजब का है. मैनी की जीवंतता, मासूमियत, उदासी, बेचैनी हर भावों को सुशांत ने बारीकी से निभाया है. सुशांत ने जाते-जाते अपनी अदाकारी से दिल जीतने वाला काम किया है.
संजना संघी के लिए बतौर लीड एक्टर यह पहली फ़िल्म है. संजना ने भी शानदार एक्टिंग की है. संजना की एक्टिंग देखकर कहीं से नहीं लगता कि यह उनकी डेब्यू फिल्म है. वह काफी क्यूट और अपने किरदार में जमती भी हैं. खासकर फिल्म में दोनों की बेहतरीन केमिस्ट्री देखने को मिलती हैं.
सुशांत की मुस्कान और संजना की मासूमियत काफी अपीलिंग है. सुशांत और संजना के अलावा फिल्म के सपोर्टिंग कास्ट स्वास्तिका मुखर्जी, शाश्वस्त चटर्जी, साहिल वैद्य और सैफ अली खान ने उम्दा अभिनय किया हैं.
किजी की मां के किरदार में स्वास्तिका मुखर्जी जचती हैं. एक ऐसी मां जो हर समय अपनी कैंसर से जूझती लड़की का ख्याल रखती है. किजी के पिता के रोल में साश्वता चटर्जी अच्छे हैं. वह अपनी बेटी की स्थिति समझते हुए भी उसे हर खुशी देते हैं और उनकी आंखों में अपनी बेटी के लिए दुख भी दिखाई देता है. कैमियो रोल में सैफ अली ख़ान को देखना मजेदार लगता है. अभिमन्यु के तौर पर सैफ पैरिस में मिलते हैं जो एकदम बदतमीज और अक्खड़ आदमी है.
डायलॉग्स
फिल्म के डायलॉग्स इमोशनल करने वाले हैं और लोकेशंस बेहद खूबसूरत हैं. "एक था 'राजा' एक थी 'रानी' दोनों मर गए खत्म हुई कहानी"...'चल झूठी'...'जन्म कब लेना और मरना कब है ये हम डिसाइड नहीं कर सकते, लेकिन कैसे जीना है वो हम कर सकते हैं'...जिस तरह उसने मेरी लाइफ में एंट्री लिया था, उसी तरह उसने मेरी लाइफ से एग्जिट ले लिया. ऐसे ही कई जबरदस्त संवाद है जो एक पल में आपको हंसाएगी तो दूसरे ही पल इमोशनल करके आंखों से आंसू ला देंगी.
म्यूजिक
फिल्म में ए आर रहमान का संगीत मधुर है और कहानी को सूट करता है. फिल्म का हर गाना दिल को छू लेने वाला है. गानें इस तरह से फिट किए गए है जो फिल्म की कहानी को स्मूदली आगे बढ़ाती है. फिल्म के गाने 'दिल बेचारा', 'मेरा नाम किजी', 'तुम ना हुए मेरे तो क्या' और 'खुल कर जीने का तरीका' बेहतरीन बन पड़े है.
सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग
सिनेमैटोग्राफर ने जमशेदपुर और पेरिस दोनों को उम्दा तरीके से कैप्चर किया है. फ़िल्म में लोकेशन, लाइटिंग और कैमरा का बढ़िया इस्तेमाल किया गया है. आरिफ शेख की एडिटिंग चुस्त रही है, जो फिल्म की गति को स्लो नहीं होने देती. फिल्म में दर्शक शुरू के सीन से लेकर अंत तक बंधे हुए रहेंगे.
डायरेक्शन
मुकेश छाबरा ने कमाल का निर्देशन किया है. जमशेदपुर जैसे छोटे शहर से पैरिस तक की कहानी को मुकेश छाबड़ा ने बेहद खूबसूरत तरीके से फिल्माया है. हर सीन पर उनकी मेहनत दिखाई दे रही है. उन्होंने किरदारों के इमोशंस को अच्छी तरह से पर्दे पर उतारा हैं. यकीनन सुशांत की आखिरी फिल्म के रूप में 'दिल बेचारा'. मूवी ज़िंदगी भर न भूलने वाला एक्सपीरियंस बना देगा.
मूवी टाइप: रोमांटिक ड्रामा
अवधि: 1 घंटे 45 मिनट
कास्ट: सुशांत सिंह राजपूत, संजना सांघी, सैफ अली खान, स्वास्तिक मुखर्जी, शाश्वता और साहिल वेद
निर्देशक: मुकेश छाबरा
पटकथा: शशांक खेतान और सुप्रोतिम सेनगुप्ता
संगीतकार: ए. आर. रहमान
रेटिंग- 5 स्टार