Pegasus spyware and its technology

प्रोमिनेन्ट लोगों की जासूसी को लेकर चर्चा में आई पेगासस की वजह से सियासी बवाल मचा हुआ है. लेकिन इसमें ऐसा क्या है जो विवाद का कारण बनता है? तो आइए इससे जुड़े हर पहलुओं को समझते है. सबसे पहले जान लेते है पेगासस(pegasus) है क्या?

क्या है पेगासस (Pegasus in Hindi)

पेगासस एक स्पायवेयर है. स्पायवेयर यानी जासूसी या निगरानी के लिए प्रयोग में होने वाला सॉफ्टवेयर. इसके जरिए किसी फोन को हैक किया जा सकता है. फिर उसके बाद उस फोन से जुड़ी सारी डिटेल्स हैकर के पास चली जाती है. मतलब इसके जरिए किसी व्यक्ति का फोन हैक करके उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है. 

ग्रीक मायथोलॉजी में पेगासस को पंखों वाला घोड़ा के रुप में उल्लेख किया गया है. शायद इसी से प्रेरित होकर इसे बनाने वाली इजराइली सॉफ्टवेयर कंपनी ने अपनी लोगो को इसी काल्पनिक घोड़े जैसा बनाया है. बता दें कि इस स्पायवेयर को इजराइली कंपनी NSO ग्रुप ने बनाया है. इसका गठन 2009 में हुआ था और ये बेहद उन्नत निगरानी टूल बनाती है. दुनिया के कई देशों की सरकारें इसकी कंज्यूमर लिस्ट में शामिल हैं. 

ये एक ऐसा सर्विलांस टेक्नॉलॉजी है जो स्मार्टफ़ोन फ़ोन में यदि एक बार इंस्टॉल हो गया तो उसके बाद उस स्मार्टफोन के माइक्रोफ़ोन, कैमरा, ऑडियो और टेक्सट मेसेज, ईमेल और लोकेशन तक की जानकारी दे सकता है. यह एन्क्रिप्टेड ऑडियो सुनने और एन्क्रिप्टेड संदेशों को पढ़ने लायक बना देता है. एन्क्रिप्टेड ऐसे संदेश होते हैं जिसकी जानकारी सिर्फ मेसेज भेजने वाले और रिसीव करने वाले को होती है. जिस कंपनी के प्लेटफ़ॉर्म पर मेसेज भेजा जा रहा, वो भी उसे देख या सुन नहीं सकती. लेकिन पेगासस के मदद से हैकर को उस व्यक्ति के फ़ोन से जुड़ी सारी जानकारियां हासिल हो जाती हैं.

NSO के मुताबिक इसे आतंकवादियों पर नज़र रखने और आतंकवादी घटनाओं को रोकने के मक़सद से विकसित किया गया है. उसका दावा है कि ये सॉफ्टवेयर सिर्फ सरकारों या सरकारी एजेंसियों को ही दिया जाता है. वहीं इसके एक्सपोर्ट एवं इस्तेमाल को लेकर भी शर्ते हैं. मसलन इसका इस्तेमाल आम नागरिकों के ख़िलाफ़ नहीं होना चाहिए. लेकिन एक बार बिकने के बाद कंपनी ये कंट्रोल नहीं कर सकता कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जा रहा है. इसलिए तो कई सरकारों पर पेगासस के 'मनचाहे इस्तेमाल और दुरुपयोग के गंभीर' आरोप लगे हैं.

ऐसे काम करता है 'पेगासस स्पाईवेयर'

सबसे पहले टारगेट पर्सन की पहचान की जाती है. फिर उसके फोन में SMS के जरिए एक लिंक भेजा जाता है. इस लिंक पर जैसे ही क्लिक किया जाता है वैसे ही पेगाससके फोन में इंस्टॉल हो जाता है और फिर उसके फोन का रीमोट कंट्रोल हैकर के पास चला जाता है. ये रिमोट एक्सेस ट्रोजन की तरह काम करता है. ये एक बेहद एडवांस और जटिल टेक्नॉलॉजी है जिसे चलाने के लिए पेशेवर ट्रेनिंग की जरूरत होती है. 

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