जहां एक ओर पीएम मोदी को आज 17 सितंबर, गुरुवार के दिन अपने 70वें जन्मदिन पर खूब बधाइयां मिल रही है. वहीं दूसरी ओर इस मौके पर आज सोशल मीडिया पर #राष्ट्रीयबेरोजगारीदिवस भी ट्रेंड कर रहा है. वहीं इसको लेकर सोशल मीडिय पर तरह-तरह के मीम भी शेयर किए जा रहे है. एक यूजर ने ट्वीटर पर मोदी का कार्टून शेयर किया है, जिसमें पीएम मोदी बोलते दिख रहे है- 'बोलो अबकी बार', तो वहीं यूथ बने कार्टून बोलता है- 'हम बेकार'

वहीं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स ने 17 बजे 17 मिनट यानी 5 बजे 17 मिनट पर बेरोजगारी के विरोध में यूनीटी मार्च निकाला.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी ट्वीट कर बेरोजगार युवाओं का समर्थन किया है. राहुल ने लिखा, 'युवाओं के लिए रोजगार सम्मान की बात है, आखिर यह सरकार रोजगार का सम्मान युवाओं को कब देगी? 

#बेरोजगारी_दिवस #राष्ट्रीय_बेरोजगारी_दिवस टॉप ट्रेंड्स बने रहे. ऐसे में सवाल उठता है कि इसके पीछे की वजह क्या है? बेरोजगारी दर किस हद तक बढ़ गई है जिससे देश के युवा मोदी से नाराज हैं. रोजगार और आर्थिक बदहाली तो कोविड-19 के आने से पहले ही दस्तक दे चुकी थी. ऐसे में जब कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा तो देश की इकोनॉनी और खस्ताहाल हो गई. इस संबंध में एनएसएसओ(NSSO) के आंकड़ों पर गौर करें तो हम पाते हैं कि अप्रैल-जून की तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर पहली बार -23.9% तक जा पहुंची. जाहिर सी बात है कि इसका असर रोजगार पर भी पड़ा.

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्रा.लि. (सीएमआईई) के आंकड़े बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान शहरी बेरोजगारी दर अप्रैल और मई में 24 फीसदी तक पहुंच गई थी. हालांकि, अब हालात में सुधार है. जुलाई में बेरोजगारी दर गिरकर जनवरी-फरवरी के स्तर पर यानी कोविड-19 के स्तर पर आ गई थी. फिर उसके बाद अगस्त में बेरोजगारी दर में इजाफा देखने को मिला. सीएमआईई के मुताबिक 28 अगस्त से 7 सितंबर तक बेरोजगारी दर का 30 दिन का मूविंग एवरेज 8फीसदी से ऊपर रहा.16 सितंबर को यह एवरेज 7.30 फीसदी के स्तर पर आ चुका है.

आकड़ों से साफतौर पर देखा जा सकता है कि रोजगार न मिलने से युवा किस हद तक परेशान और उदास है. इसलिए वे #राष्ट्रीयबेरोजगारीदिवस मनाने पर मजबूर हैं.

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