वोट मांगने के लिए नेता भटकता रहता है
उसका वो एक होता नाटक खटकता रहता है
लोगो के घर मोहल्ले हो उम्मींद से निकलता
लेकिन तब भी नागरिक पल्लू झटकता रहता है
प्रधानमंत्री की होड़ में उसकी जिद के सामने
पार्टी भी एक उसका नाम पटकता रहता है
हर बार इलेक्शनो में पार्टी के सामने उसका
नाम बिना उम्मीद के होते खड़कता रहता है
अबकी बार चारसो पार वह विपक्ष के नारो
साथ हो 'अंजान' उसका नाम चिपकता रहता है
अंजान 

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