Photo by Manuel Meurisse
यादों की ठंड में दिसम्बर निकल गया
मौसम बेदर्दी तरसते निकल गया
तुम्हारा दिसम्बर बनकर में निकल गया
गोला बारूद के संग साँस लेते लेते निकल गया
तुम बिन लोरी पोंगल के जनवरी निकल गए
तुम्हारा 26 जनवरी गणतंत्र दिवस मे निकल गया
वेलेंटाइन वीक फरवरी मिलन की आस निकाल गया
तुम्हारा वेलेंटाइन पुलवामा अटैक निकाल गया
होली का रंग सिंदूर संग बच निकल गया
होली में किसान आंदोलन जन सेवा निकल गया
अप्रैल मई जून गर्मी में निकल गया
तुम्हारी गर्मी छुट्टी अर्जी निकल ले गया
जुलाई अगस्त सितंबर बरसात निकल गया
तुम्हारा जुलाई अगस्त सितंबर रो के निकल गया
दीवाली मेरी भी सुनी सुनी निकल गई
तुम्हारी दीवाली छूटी में दीवाली का जुआ निकाल गया