रात के 8 बजके 45 मिनिट पर अविनाश के मोबाइल पर एक अनजान नंबर से व्हाट्सएप मैसेज आता है:
लड़की: हाय हैंडसम।
अविनाश: हेलो... आप कौन?
लड़की: अरे मुझे नहीं पहचाना?
अविनाश: जी अभी तो नहीं... आप कुछ बताएँ अपने बारे में, तो शायद पहचान लूं।
लड़की: हम आधी रात को मिले थे... आप और आपका दोस्त मुझे जबरदस्ती जंगल में ले गए थे... कुछ याद आया?
अविनाश: क्या बकवास कर रही हो? कौन हो तुम??
लड़की: क्या हुआ? डर गए? मतलब पहचान लिया
उस रात के बाद से हर रात ठीक 2:30 बजे मैं तुम्हारा और तुम्हारे दोस्त का उसी सड़क के किनारे इंतज़ार करती हूं... पर तुम लोग आते ही नहीं... उस रात मज़ा नहीं आया था क्या?
अविनाश: कौन हो तुम? जल्दी बताओ वरना मैं तुम्हें ब्लॉक कर दूंगा।
लड़की: नहीं कर पाओगे... कोशिश करके देख लो।
(अविनाश उसे ब्लॉक करने की कोशिश करता है... पर नहीं कर पाता)
लड़की: हो गई तसल्ली? नहीं हुई ना ब्लॉक?
अब जवाब दो मेरी बात का... कब आओगे मेरे पास? कितना इंतजार करवाओगे?
अविनाश: तुम्हारे फालतू सवालों का मेरे पास कोई जवाब नहीं है। अब मैं कोई रिप्लाई नहीं करूंगा।
लड़की: रिप्लाई नहीं करोगे तो कॉल करूंगी... और कॉल भी नहीं उठाओगे तो घर आ जाऊंगी।
(अविनाश अपने दोस्त सुरेश को मैसेज करता है, जो सर्विलांस डिपार्टमेंट में है)
अविनाश: भाई, ये नंबर चेक करके बताओ किसका है और लोकेशन क्या आ रही है?
सुरेश: क्या हुआ?
अविनाश: भाई कुछ अर्जेंसी है।
सुरेश: ठीक है, अभी एक ज़रूरी काम में हूं... थोड़ी देर में बताता हूं।
अविनाश: ठीक है, जल्दी बताना।
(अविनाश फिर उस लड़की के चैट पर वापस आता है)
अविनाश: तुम हो कौन और क्या चाहती हो?
लड़की: अरे बताया तो... मैं वही हूं जिसे उस रात तुम लोग जबरदस्ती जंगल में ले गए थे।
यकीन नहीं आता? मेरी डीपी देख लो...
(अविनाश डीपी खोलता है...)
लड़की: पहचाना? चेहरा तो याद है ना मेरा?
(अविनाश अपने दोस्त रघु को मैसेज करता है)
अविनाश: भाई... कोई मुझे ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है। उसे हमारे उस रात वाले कांड के बारे में सब पता है।
लड़की: क्या हुआ? अपने दोस्त रघु को मैसेज कर रहे हो?
अविनाश: तुम्हें कैसे पता?
लड़की: मुझे तो सब पता है... जो हुआ है, जो हो रहा है, और जो होने वाला है... मुझे सब्ब्ब्ब पता है।
अविनाश: ये ड्रामा बंद करो और सीधे बताओ, कौन हो तुम? उस रात के बारे में तुम्हें कैसे पता चला? और मुझसे क्या चाहती हो?
लड़की: मैं तो पहले ही बता चुकी हूं... मैं वही लड़की हूं, जूली, जिसे तुमने और तुम्हारे दोस्त ने उस रात जबरदस्ती जंगल में ले जाकर... (रुकती है)
मैं उसी मोड़ पर रोज़ सज-धजकर आती हूं... तुम्हारा इंतज़ार करती हूं... पिछले चार महीने से...
अविनाश (डरते हुए फिर से रघु को मैसेज करता है):
कहाँ है भाई?? जल्दी रिप्लाई कर!
लड़की: अरे रघु को मैसेज करना बेकार है... वो रिप्लाई नहीं करेगा।
अविनाश: तुम्हें कैसे पता कि मैं रघु को मैसेज कर रहा हूं?
लड़की: मैंने कहा ना... मुझे सब पता है।
अविनाश: अब बहुत हो गया... प्लीज़ बता दो तुम कौन हो?
लड़की: और कैसे बताऊं?
अविनाश: तुम ज़रूर उस वक्त वहाँ मौजूद रही होगी... तुमने दूर से सब देखा होगा और अब उस लड़की होने का नाटक कर रही हो।
लड़की: अच्छा, तुम्हें ऐसा लगता है कि मैं कोई और हूं जिसने दूर से सब देखा?
चलो तो फिर तुम्हें कुछ बातें बताती हूं जो सिर्फ तुम और मैं जानते हैं... वो भी नहीं जानता जिसे तुम दोस्त कहते हो... रघु।
जब तुम मेरा हाथ मरोड़कर मुझे जंगल की ओर ले जा रहे थे... तब तुमने मेरा हाथ इतना ज़ोर से मरोड़ा था कि मेरा हाथ टूट गया था। मैं पहले से ही चिल्ला रही थी... इसलिए रघु को समझ ही नहीं आया कि मेरा हाथ टूट चुका है।
और बताऊं?
मैंने तुम्हारे गले पर बहुत गहरे नाखून मारे थे... जिसका दर्द तुमको कई दिन तक महसूस हुआ था।
अब भी शक है?
अविनाश (हक्का-बक्का): पर तुम मुझसे बात कैसे कर सकती हो...? हमने तो तुम्हें...
लड़की: ...मार डाला था। यही ना?
पर तुमने एक गलती कर दी — मुझे मार कर नदी में फेंक दिया... ना जलाया, ना दफनाया। मेरी आत्मा को शांति नहीं मिली...
(उसी समय सुरेश का मैसेज आता है)
सुरेश: भाई, तुझे ये नंबर कहाँ से मिला? ये नंबर तो काफ़ी पहले बंद हो चुका है। ये नंबर जूली नाम की लड़की का था... जो लगभग 4 महीने पहले अचानक गायब हो गई थी। पुलिस ने बहुत ढूंढा, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं मिला...
तेरे पास ये नंबर कहाँ से आया??
लड़की: मैं आज भी उन जंगलों में इस उम्मीद में भटक रही हूं कि किसी दिन तुम आओगे...
तुम तो नहीं आए... पर मैं ही तुमसे मिलने आ गई...
अविनाश: मिलने आ गई मतलब?
लड़की: मैं तुम्हारे दरवाज़े पर खड़ी हूं... इससे पहले कि तुम्हारी बीवी बाज़ार से वापस आ जाए... जल्दी दरवाज़ा खोलो।
लड़की: डोरबेल सुनाई नहीं दे रही क्या?... जल्दी आओ... मैं अब और इंतजार नहीं कर सकती...
रघु तो मेरे साथ चलने को तैयार हो गया है... अब तुम भी जल्दी मान जाओ।
अविनाश: रघु मान गया है मतलब?
लड़की: हाहाहाहा... बहुत भोले हो तुम... इतना भी नहीं समझते?
अविनाश: मतलब तुमने रघु को मार दिया?
लड़की: ना ना... मैंने नहीं मारा...
अगर मुझे मौका मिलता तो मैं बहुत ही दर्दनाक मौत देती... बिल्कुल वैसे जैसे तुम लोगों ने मुझे मारा था... पर अफसोस मुझे वो मौका मिला ही नहीं...
क्योंकि जैसे ही मैं उसके कमरे में पहुंची... उसने खुद ही अपनी नस काटकर आसान मौत चुन ली।
अगर ध्यान से देखोगे... तो चाकू तुम्हारे दाईं तरफ़ भी पड़ा है... चाहो तो तुम भी अपने दोस्त का अपनाया हुआ रास्ता अपना सकते हो...
वरना... मैं तो अंदर आ ही रही हूं...
अविनाश (घबराकर):
देखो... उस रात मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई थी... मैं बीवी-बच्चों वाला आदमी हूं... मुझे माफ कर दो...
लड़की: हाँ हाँ... माफ कर दूंगी... पर दरवाज़ा तो खोलो...
कितनी देर हो गई मुझे बेल बजाते हुए...
देखो, तुम्हारा दोस्त रघु भी मेरे साथ बाहर खड़ा इंतज़ार कर रहा है... जल्दी खोलो वरना ये नाराज़ हो जाएगा।
अविनाश: प्लीज़ बेल बजाना बंद करो... मेरे सीने में बहुत तेज़ दर्द हो रहा है... शायद मुझे हार्ट अटैक आ रहा है... प्लीज़... यहां से चली जाओ...
लड़की: ओ हो... अटैक आ रहा है? फिर तो तुम दरवाज़ा खोल नहीं पाओगे...
मुझे खुद ही दरवाज़ा तोड़कर अंदर आना पड़ेगा...
मैं आ गई...
कहाँ हो तुम? दिख नहीं रहे?
अरे किधर हो भाई?
ना दिख रहे हो... ना ही रिप्लाई कर रहे...
अरे... तुम तो मर गए...
मरने से पहले एक बार देख तो लेते कि दरवाज़े पर कौन है...
मैं तुम्हारे दरवाज़े पर कभी थी ही नहीं।
वो तो तुम्हारी बीवी थी... जो इतनी देर से बेल बजा रही थी...
तुमने दरवाज़ा नहीं खोला... तो उसे तुम्हारी चिंता हुई... उसने पड़ोसियों की मदद से दरवाज़ा तुड़वा दिया...
इससे पहले कि वो तुम तक पहुँचती... तुम अपने अंजाम तक पहुँच चुके थे।
पर फिक्र मत करो... मैं तुम्हारी तरह नहीं हूं।
तुमने मेरी इज़्ज़त की फिक्र नहीं की...
पर मैं तुम्हारी इज़्ज़त की फिक्र करती हूं।
इसलिए तुम्हारी बीवी को... या किसी और को... हमारी ये चैट्स कभी दिखाई नहीं देंगी।
तुम्हारी मौत भी मेरी मौत की तरह... दुनिया के लिए एक राज़ बनकर रह जाएगी।
अब जब तुम दोनों दोस्त मौत की आगोश में आ चुके हो...
तो मेरा भटकना भी पूरा हुआ...
मेरी आत्मा को अब शांति मिल गई...
मैं तो चली स्वर्ग...
अब तुम दोनों दोस्त... भटकते रहो उन जंगलों में ज़िंदगी भर...
ओह्ह्ह सॉरी... ज़िंदगी तो बची ही नहीं।