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जीवन की भागदौड़ और शोरगुल से दूर, यमुना ने हमेशा ही मुझे अपनी ओर आकर्षित किया है। कितना कुछ है यहाँ- हर बार कुछ नया। यमुना मेरे लिए सिर्फ़ एक नदी या घाट नहीं, बल्कि प्रेरणा है- हर उस कविता और कहानी की, जो मैंने आज तक लिखी है।

कहते हैं कुछ शहर या जगहें आपको बार-बार बुलातीं है, मेरे लिए दिल्ली या यमुना घाट शायद ऐसी ही एक जगह है। मैं जितनी बार जाती हूँ मुझे उतना ही कम लगता है, घाट के किनारे चाहे कितनी ही देर बैठूँ कम लगता है, ये जगहें आपके जीवन के ऐसे हिस्से, पहलू होते हैं जहां आप बिना किसी दिखावे के खुद से मिलते हैं।

वैसे मुझे अक्सर कविताओं का ही सहारा रहा है। कविताओं ने मुझे हर उस मोड़ पर थामा है, जब लगा कि अब आगे कुछ नहीं बचा। जब जीवन भारी लगा, तब शब्दों ने ही मुझे सहारा दिया। लिखते-लिखते सब कुछ थोड़ा हल्का लगने लगा, और शायद इसी वजह से जीवन भी थोड़ा आसान हो गया।

पर कभी-कभी, शब्द भी थक जाते हैं। और हम सब भी।

शायद आप भी मेरी तरह हैं - जो रोज़ की भागदौड़ से थोड़ा थक चुके हैं, जो खुद को एक कप चाय के साथ समझाने की कोशिश करते हैं कि “सब ठीक हो जाएगा।” जो दिन के किसी कोने में बस चाहते हैं- थोड़ा ठहराव।

मैं भी ऐसा ही एक दिन लेकर पहुँची थी यमुना घाट। दिल्ली का यह किनारा- जहाँ एक ओर ज़िंदगी चुपचाप बहती है, और दूसरी ओर जीवन की अस्थायित्वता अपना सबसे सच्चा रूप दिखाती है।

वहाँ जाकर समझ आया - कभी-कभी हमें वही जगहें सबसे ज़्यादा सिखाती हैं, जहाँ जीवन और मृत्यु एक साथ दिखाई देते हैं।

जैसे कि सर्द ऋतु में, जब आप यमुना में नाव की सवारी करने निकलोगे, तो एक ओर होंगे जीवन की नई सूरत गढ़ते प्रेमी जोड़े, और दूसरी ओर - जलती हुई चिता। ये कैसा विरोधावस, ये कैसी विडंबना जहां एक ओर शुरुवात है ओर एक ओर अंत।

सोचो, क्या है यह जीवन? जीवन का सत्य - कितना सहज, कितना सरल- बस क्षणिक। न कोई स्थायित्व, न कोई गहराई।

यदि कभी जीवन से प्रेम घटने लगे और तुम स्वयं से प्रेम करना भूल जाओ- तो चले आओ यमुना की ओर। देखो उस जलती हुई चिता की ओर, और उनके अपनों को जो आँसुओं में डूबे हैं। तुम्हारा जीवन सिर्फ तुम्हारा नहीं है, बल्कि उन सभी का है, जिन्होंने तुम्हें तुमसे ज़्यादा प्रेम किया है। उनके दिलों में छिपा वह ग़म - जो शब्दों से परे है ।

और यदि कभी जीवन से अत्यधिक मोह हो जाए, तो भी चले आओ यमुना की ओर। समझो- यह जीवन कुछ नहीं, क्षण भर का मोह। शरीर का अग्नि से स्पर्श मात्र उसे धुएँ और राख में बदलने के लिए पर्याप्त है ।

कई बार जब मैं यहाँ अकेले बैठती हूँ तो बस लोगों को देखती हूँ, यहाँ का ये घाट किनारे का परिवार जो बस सर्द के मौसम में नाव की सवारी करवाके अपनी रोजी रोटी चलता है । ये खूबसूरत साइबेराई पंछी जो हर साल यहाँ आते हैं, ये प्रेमी जोड़े जो यादों को साजोने के लिए तस्वीरे खिचवाते हैं । वो किशोर बच्चे जो नदी में मस्त मगन हुए खेलते कूदते हैं, आज यहाँ एक युवा लड़का भी बैठा था बड़ा उदास सा था बात नहीं की मैंने पर शायद दिल टूटा था बेचारे का, बस एक टक अपने बटवे में पड़ी किसी लड़की की तस्वीर देखता तो कभी नाव की सवारी करते जोड़े को । कुछ विदेशी भी दिखते हैं यहाँ ओर कई सारे चेहरे, हर चेहेरा एक नई कहानी सुनाता है, कुछ नए किस्से, नई सिख दे जाता है ।

जब भी जीवन कठिन या निराशाजनक लगे, देखो यमुना आरती- और एक बार फिर विश्वास करो ईश्वर पर।

कुछ पल आँखें बंद करो और महसूस करो- उस शांति को, जो वहाँ की हवा में घुली होती है जैसे कोई अदृश्य ईश्वरीय शक्ति तुम्हें थाम रही हो, महसूस करो जो भी तुम्हारे भीतर धीरे-धीरे बदल रहा है ।

अगर फिर भी मन विचलित रहे और उदासी घेरे- तो देखो जरा उस छोटे बच्चे को, जो स्कूल से लौटते ही किताबें किनारे रख देता है, और मुस्कुराते हुए नाव की सवारी करवाने भागता है - जैसे जीवन का हर क्षण उसके लिए एक उत्सव हो।

“जीवन एक रास्ता है, हम सब मुसाफिर हैं।

इसका सत्य- मृत्यु है।

बाकी सब मृगतृष्णा।“

यमुना ने मुझे सिखाया है की जीवन किसी फार्मूला के साथ नही जी सकते, न ही ये कोई गणित का सवाल है जिसका हमे उत्तर निकालना है, जीवन कविता है, नदी की तरह बहती रहती है। कभी बोहोत कुछ छूट जाता है और कभी बिना चाहे सबकुछ मिल जाता है, एक पल में कभी लगता है सब खत्म अगले ही पल फिर एक नई आशा और फिर जीवन का चक्र चलने लगता है। जीवन की यही तो खूबसूरती है की आज का दिन अगर तुम्हें नहीं अच्छा लगा ओर कल दोबारा लिखने की कोशिश करना क्या पता ये तुम्हें बेस्ट सेलिंग ऑथर बनादे। जीवन कठिन ज़रूर है, पर इसे जीने की उम्मीद बनाए रखो। हर दिन खुश रहो, उत्सव मनाओ, बाहर निकलकर देखो, कितने लोग मुश्किलों से लड़ते हुए भी जीने का हौसला रखते हैं। शायद उनके कई तकलीफों के बावजूद होंठों की हंसी, एक हल्की सी मुस्कान तुम्हें जीने के लिए एक प्रेरणा दे।

जियो- क्योंकि तुम्हारे पास वो सब कुछ है, जिसके लिए कोई और सपने देखता है।

क्योंकि सबको सब नहीं मिलता।

और यही सच्चाई है, हम सब अधूरे हैं एक दूसरे है अलग हैं लेकिन इस अधूरेपन में ही जीवन की पूर्णता छिपी बैठी है। अक्सर हम सब इसलिए ही उदास होते हैं क्यूंकी जीवन मे कई उतार- चढ़ाव आते हैं या ऐसी कई सारी चीजें होती हैं जो की हमारे हिसाब से नहीं चल रही होतीं हैं । पर यमुना से मैंने यही सीखा है की जीवन चलते रहने का नाम है- लोग आएंगे, जाएंगे पर जीवन का चक्र चलता रहेगा, किसी के लिए किसी का जीवन नहीं रुकता, सब कुछ ठीक कभी भी नहीं होगा उतार- चढ़ाव ही जीवन हैं। सब कुछ ठीक हो जाएगा- ये एक भ्रम है। आपकी ज़िंदगी की असल शुरुआत तब होती है जब आप अपने वर्तमान को अपना लें, कभी- कभी केवल किताबें और क्लासरूम ही नहीं जीवन, नदी, यमुना-घाट, लोग, एक शहर आपका सबसे बड़ा शिक्षक बन जाता है। 

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