कहानियों का हमारे जीवन से बहुत गहरा संबंध है। कहानियां हमें जीवन के बहुत सारे गुण सीखाती है। हम अनेक कहानियां सुनाते या पढ़ते हैं। मेरी कहानी एक महान योद्धा के बारे में है। यह कहानी है...
एक समय की बात है। जब हमारे भारत में मुगलों का शासन हुआ करता था। महाराणा प्रताप और अकबर की सेना का युद्ध हुआ। ऐसा भयंकर युद्ध हुआ, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। महाराणा प्रताप की सेना ने अकबर की सेना को हिला कर रख दिया। युद्ध में अनेक वीर मारे गए। महाराणा प्रताप युद्ध में आगे रहे। अकबर की सेना का बहुत बुरा हाल हुआ।
युद्ध के बाद अपनी प्रजा को बचाने के लिए राणा प्रताप सबको जंगल में ले गए। अकबर ने उन से बदला लेना के लिए उन पर बहुत बार हमला किया। राणा प्रताप ने अनेक वर्ष वन में बिताए। पर कभी भी अकबर के सामने सिर नहीं झुकाया। वह वन का कठिन जीवन भी खुशी से जी रहे थे। परन्तु एक बार उनकी पुत्री व्याकुल हो कर बोल उठी, क्या यह राजसी जीवन होता है। क्या राजा का परिवार जंगल में रहता है? क्या कभी राजा के परिवार को घास की रोटियां खानी पड़ती है? पुत्री को देखकर महाराणा प्रताप भी व्याकुल हो गए। वह सच में सोचने लगे कि मैंने अपने परिवार के लिए क्या किया। तब उन्होंने सोचा कि वह अकबर से बात कर उससे अपना राज्य वापिस ले ले। परंतु वह कभी भी अकबर के सामने झुकने को तैयार नहीं थे। महाराणा प्रताप की पत्नी यह सब देख रही थी उन्होंने महाराणा प्रताप को समझाया कि एक पुत्री के लिए हम समस्त प्रजा को अकबर जैसे दुराचारी का दास नहीं बना सकते। तब महाराणा प्रताप ने ठान लिया कि वह मेवाड़ के गौरव को छुकने नहीं देंगे। महाराणा प्रताप ने अनेक छापामार युद्ध किया। जब तब राणा जीवित रहे, अकबर को चैन से सोने नहीं दिया। अकबर कभी महाराणा प्रताप के सामने गया ही नहीं, क्योंकि वह जानता था कि वह राणा के सामने कभी जीत नहीं सकता। महाराणा प्रताप जैसे वीर धरती पर बहुत कम होते हैं। उनके साहस और बलिदान को शत-शत प्रणाम है।