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किस मां- बाप ने सोचा था, कि ऐसा दिन भी वो देखेंगे
लाल जोड़े में , जिस को विदा किया,
उसे सफ़ेद साड़ी भेजेंगे।

किसने सोचा था कि , नई शुरुआत करने गया,
घर का वो चिराग, बुझ जाएगा,
बैशरन घाटियों में, उनका परिवार नष्ट, हो जाएगा।

कुछ नकाबपोशों ने, ये कैसा मंजर बना डाला,
अच्छे खासे पलो को, खून से सना डाला,
हिंदू - मुस्लिम के नाम पर भारतीयों को बांटने आए थे,
हाथों में बंदूक लेके सबका दिल वो दहलाए थे।

फिर भी सब, एक हो के, खड़े रहे,
भारतीय एकता का, उन शैतानों को, परिचय देते रहे,
फिर क्या था, गोलियों की आवाज से, पूरी घाटी गूंज उठी,
रोती - बिलखती, सिसकियों की, बैसरन घाटी गवाह बनी।

दिल दहलाने वाला ये मंजर, दुनियों को जब पता चला,
सबकी आंखों से, आंसुओं का ताता लगा,
किसी का उजड़ा सिंदूर, किसी की सुनी गोद हुई ,
एक बाप की आँखें, जवान बेटे की मौत पर नम हुई।

आतंक के, इस मंजर ने,
कितनो के घर की खुशियां जला डाली ,
मेंहदी सुख न पाई जिन बेटियों की,
मांग उनकी उजाड़ डाली।

इस आतंक का जवाब देना जरूरी हो गया था,
सीमा के पार उन शैतानों को,
सबक सिखाना बहुत जरूरी हो गया था,
तब देश की सेना ने, मोर्चा ये उठा लिया,

देश की बेटियों को, ऑपरेशन सिंदूर का सौगात दिया,
तेंइस मिनिट के इस हमले ने, शैतानों को जवाब दिया,
चौदह दिनों की इस योजना ने, आतंक का विनाश किया।

देश की वायुसेना ने, गर्व का ये काम किया,
हर भारतीय के मुख ने, ऑपरेशन सिंदूर का नाम लिया,
ऑपरेशन सिंदूर ने, इतिहास में जगह बना डाली ,
और आतंकवाद को, आखिरी चेतावनी दे डाली ,
अब नहीं होगी बातचीत, ऐसी किसी घटना पर ,
आतंकवाद को जवाब मिलेगा, उसकी हर दुर्घटना पर ।।

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