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वर्तमान में मध्‍य प्रदेश में एक नियम को परिवर्तन को लेकर कई प्रकार की सूचनाएं प्राप्‍त हो रही है। वह नियम है मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा अवकाश नियम, 2025 पूर्ण नियम को पढ़ने पर उक्‍त नियम में जो परिवर्तन महिलाओं के संबंध में मुख्‍यत: दृष्टिगत होता है, संतान पालन अवकाश के संबंध में है।

पूर्व में मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा अवकाश नियम, 1977 में अधिसूचना संख्‍या जी-3-1-96-सी-चार, दिनांक 29 मार्च 1996 जो कि दिनांक 10 मई 1996 से प्रभावशील हुआ था में संशोधन कर अध्‍याय पॉंच ‘’अध्‍ययन अवकाश के अतिरिक्‍त विशेष प्रकार के अवकाश’’ मातृत्‍व अवकाश नियम 38 जोड़कर किया गया था। उक्‍त संशोधन के माध्‍यम से मध्‍य प्रदेश शासन में महिला कर्मचारियों को मातृत्‍व अवकाश प्रदान किया गया था। मातृत्‍व अवकाश के अंतर्गत महिला कर्मचारियों को दो से कम जीवित संतान वाली शासकीय महिला कर्मचारियों मातृत्‍व अवकाश की शुरूआत की तारीख से नब्‍बे दिनों तक का अवकाश दिया जा सकता है। इस अवधि के में महिला कर्मचारी वही वेतन प्राप्‍त करेगी जो मातृत्‍व अवकाश पर जाने से पहले प्राप्‍त कर रही थी। यह अवकाश अवकाश खाते में जमा किया जायेगा तथा अन्‍य किसी अवकाश खाते के साथ नहीं जोड़ा जायेगा, जो कि गर्भपात सहित गर्भपात के मामलों में भी दिया जा सकेगा, परंतु यह अवकाश उचित चिकित्‍सा प्राधिकारी द्वारा अनुशंसित अवधि तक सीम‍ित रहेगा और पूरी सेवा अवधि में अधिकतम 45 दिनों तक सीमित रहेगा। चिकित्‍सा गर्भपात अधिनियम, 1971 के तहत कराया गया गर्भपात भी इस नियम के प्रयोजन के लिए गर्भपात माना जायेगा।

उक्‍त संशोधन के पश्‍चात् मध्‍य प्रदेश शासन वित्‍त विभाग, वल्‍लभ भवन-मंत्रालय, भोपाल अधिसूचना क्रमांक एफ 6-1/2015/नियम/चार, भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 309 के परंतुक द्वारा शक्‍तियों का उपयोग करते हुए, मध्‍य प्रदेश के राज्‍यपाल द्वारा मध्‍य प्रदेश सेवा (अवकाश) नियम, 1977 में संशोधन किया गया था। जिसके अनुसार नियम 38-ख के पश्‍चात्, निम्‍नलिखित नियम जोड़ा गया 38-ग संतान पालन अवकाश इस नियम के अंतर्गत, महिला शासकीय सेवक को सक्षम प्राधिकारी द्वारा अपने संपूर्ण सेवाकाल में दो ज्‍येष्‍ठ जीवित संतानों जिसमें 18 वर्ष की आयु से कम की विधिक रूप से दत्‍तक संतान भी शामिल है, तथा सामाजिक न्‍याय तथा सशक्तिकरण मंत्रालय , भारत सरकार की अधिसूचना क्रमांक 16-18/97-एन 1.1, दिनांक 01 जून, 2001 के अनुसार कम से कम चालीस प्रत‍िशत नि:शक्‍तता वाली संतान की आयु के संबंध में 22 वर्ष से कम आयु की देखभाल के लिए अधिकतम 730 दिन की कालावधि का संतान देखभाल अव‍काश स्‍वीकृत किया जा सकता है। किंतु यह इन शर्तों के अधीन है कि एक केलैंडर वर्ष में तीन बार से अधिक नही होगा। यदि एक दिन के लिए भी अवकाश लिया गया है तो वह एक बार के रूप में माना जाएगा। यदि स्‍वीकृत मातृत्‍व अवकाश की अवधि आगामी केलैंडर वर्ष में भी जारी रहती है तब बारी की गणना ऐसे निकटवर्ती केलैंडर वर्ष में जी जाएगी जिसमें कि अवकाश का आवेदन किया गया था अथवा जिसमें आवेदन किए गए अवकाश का अधिक भाग आता है। केलैंडर वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसम्‍बर तक माना गया है। यह सामान्‍यत: परिवीक्षा अवधि में स्‍वीकृत नहीं किया जाएगा, परंतु विशेष परिस्थितयों में यदि परिवीक्षा अवधि में स्‍वीकृत किया जाता है तो परिवीक्षा अवधि उस अवकाश अवधि के बराबर तक के लिए बढ़ जाएगी।

संतान देखभाल अवकाश में महिला शासकीय सेवक को, अवकाश वाले माह के पूर्व जो वेतन मिलता है, वही वेतन मिलेगा।

वर्तमान में जो नवीन मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 लागू किया गया है वह मुख्‍य रूप से इस बिंदु में ही परिवर्तन दर्शाता है। उक्‍त नवीन गहन रूप से अध्‍ययन करने के उपरांत तथ्‍य उभर कर सामने आये हैं।

मध्‍य प्रदेश राजपत्र (असाधारण) प्राधिकार से प्रकाशित वित्‍त विभाग मंत्रालय, वल्‍लभ भवन, भोपाल, दिनांक 24 नवंबर 2025 को क्र. एफ.6-1-2025-नियम चार.-भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 309 के परन्‍तुक द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए तथा मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 को अत‍िष्ठित करते हुए, मध्‍य प्रदेश के राज्‍यपाल द्वारा मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 पारित किया गया जो कि 01 जनवरी 2026 से प्रवृत्‍त होगा में संतान पालन अवकाश के संबंध नियम 40 के अंतर्गत नवीन प्रावधान बनाये गये हैं। जो कि इस प्रकार हैं:-

1. महिला शासकीय सेवक अथवा एकल पुरुष शासकीय सेवक को सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसके संपूर्ण सेवाकाल के दौरान उसकी दो ज्‍येष्‍ठ जीवित संतानों की देखभाल, चाहे वह पालन पोषण के लिए हो अथवा अन्‍य जरूरत, जैसे कि शिक्षा बीमारी और अन्‍य ऐसी ही जरूरत के लिए, अधिकतम 730 दिन की कालावधि का संतान पालन अवकाश स्‍वीकृत किया जा सकेगा।

इसमें भी पूर्व की भांति एक कैलेंडर वर्ष में 3 बार से अधिक के लिए स्‍वीकृत नहीं किया जाएगा किंतु एकल महिला शासकीय सेवक को अधिकतम 6 बार स्‍वीकृत किया जा सकेगा तथा एक बार में 5 दिवस से कम के लिए देय नहीं होगा। संतान पालन अवकाश की कालावधि में प्रथम 365 दिवस के लिए अवकाश माह से ठीक वाले माह में जो मिलता वह 100 प्रतिशत प्राप्‍त होगा, अगले 365 दिवस के लिए 80 प्रत‍िशत, अवकाश वेतन भुगतान किया जाएगा।

उक्‍त नवीन प्रावधान के अंतर्गत महिला शासकीय सेवक के साथ एकल पुरुष शासकीय सेवक को भी सम्मिलित किया गया है। एकल पुरुष शासकीय सेवक से तात्‍पर्य अविवाहित या विधुर या परित्‍यक्‍त शासकीय सेवक से है। इसके अत‍िरिक्‍त सरोगेसी के मामले में, दो से कम जीवित संतान वाली कमीशनिंग मां को संतान पालन अवकाश स्‍वीकृत किया जा सकेगा। कमीशनिंग मां से तात्‍पर्य है सरोगेसी के माध्‍यम से पैदा हुई संतान की मां।

यदि हम नवीन मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 को देखते हैं तो हमें कहीं न कहीं यह सकारात्‍मक और नकारात्‍मक दोनों प्रकार का लगता है। सकारात्‍मक इस प्रकार की इसमें महिला के साथ एकल पुरुष को भी सम्मिलित किया गया है तथा महिलाओं के पक्ष को देखते हैं तो इसमें 80 प्रतिशत वेतन को प्रावधान किया गया है आगामी 365 दिनों के अवकाश के लिये। सबका अपना-अपना पक्ष हैं। यह लेख केवल प्रावधानों से अवगत कराना है, जिससे कि शासकीय सेवकों को संतान पालन अवकाश के विशेष संदर्भ में जानकारी प्राप्‍त हो सके तथा यह जानकारी से लाभ मिल सके। नकारात्‍मक या सकारात्‍मक रूप से देखना यह शासकीय सेवक का व्‍यक्तिगत दृष्टिकोण हो सकता है।

वर्तमान में मध्‍य प्रदेश में एक नियम को परिवर्तन को लेकर कई प्रकार की सूचनाएं प्राप्‍त हो रही है। वह नियम है मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा अवकाश नियम, 2025 पूर्ण नियम को पढ़ने पर उक्‍त नियम में जो परिवर्तन महिलाओं के संबंध में मुख्‍यत: दृष्टिगत होता है, संतान पालन अवकाश के संबंध में है।

पूर्व में मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा अवकाश नियम, 1977 में अधिसूचना संख्‍या जी-3-1-96-सी-चार, दिनांक 29 मार्च 1996 जो कि दिनांक 10 मई 1996 से प्रभावशील हुआ था में संशोधन कर अध्‍याय पॉंच ‘’अध्‍ययन अवकाश के अतिरिक्‍त विशेष प्रकार के अवकाश’’ मातृत्‍व अवकाश नियम 38 जोड़कर किया गया था। उक्‍त संशोधन के माध्‍यम से मध्‍य प्रदेश शासन में महिला कर्मचारियों को मातृत्‍व अवकाश प्रदान किया गया था। मातृत्‍व अवकाश के अंतर्गत महिला कर्मचारियों को दो से कम जीवित संतान वाली शासकीय महिला कर्मचारियों मातृत्‍व अवकाश की शुरूआत की तारीख से नब्‍बे दिनों तक का अवकाश दिया जा सकता है। इस अवधि के में महिला कर्मचारी वही वेतन प्राप्‍त करेगी जो मातृत्‍व अवकाश पर जाने से पहले प्राप्‍त कर रही थी। यह अवकाश अवकाश खाते में जमा किया जायेगा तथा अन्‍य किसी अवकाश खाते के साथ नहीं जोड़ा जायेगा, जो कि गर्भपात सहित गर्भपात के मामलों में भी दिया जा सकेगा, परंतु यह अवकाश उचित चिकित्‍सा प्राधिकारी द्वारा अनुशंसित अवधि तक सीम‍ित रहेगा और पूरी सेवा अवधि में अधिकतम 45 दिनों तक सीमित रहेगा। चिकित्‍सा गर्भपात अधिनियम, 1971 के तहत कराया गया गर्भपात भी इस नियम के प्रयोजन के लिए गर्भपात माना जायेगा।

उक्‍त संशोधन के पश्‍चात् मध्‍य प्रदेश शासन वित्‍त विभाग, वल्‍लभ भवन-मंत्रालय, भोपाल अधिसूचना क्रमांक एफ 6-1/2015/नियम/चार, भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 309 के परंतुक द्वारा शक्‍तियों का उपयोग करते हुए, मध्‍य प्रदेश के राज्‍यपाल द्वारा मध्‍य प्रदेश सेवा (अवकाश) नियम, 1977 में संशोधन किया गया था। जिसके अनुसार नियम 38-ख के पश्‍चात्, निम्‍नलिखित नियम जोड़ा गया 38-ग संतान पालन अवकाश इस नियम के अंतर्गत, महिला शासकीय सेवक को सक्षम प्राधिकारी द्वारा अपने संपूर्ण सेवाकाल में दो ज्‍येष्‍ठ जीवित संतानों जिसमें 18 वर्ष की आयु से कम की विधिक रूप से दत्‍तक संतान भी शामिल है, तथा सामाजिक न्‍याय तथा सशक्तिकरण मंत्रालय , भारत सरकार की अधिसूचना क्रमांक 16-18/97-एन 1.1, दिनांक 01 जून, 2001 के अनुसार कम से कम चालीस प्रत‍िशत नि:शक्‍तता वाली संतान की आयु के संबंध में 22 वर्ष से कम आयु की देखभाल के लिए अधिकतम 730 दिन की कालावधि का संतान देखभाल अव‍काश स्‍वीकृत किया जा सकता है। किंतु यह इन शर्तों के अधीन है कि एक केलैंडर वर्ष में तीन बार से अधिक नही होगा। यदि एक दिन के लिए भी अवकाश लिया गया है तो वह एक बार के रूप में माना जाएगा। यदि स्‍वीकृत मातृत्‍व अवकाश की अवधि आगामी केलैंडर वर्ष में भी जारी रहती है तब बारी की गणना ऐसे निकटवर्ती केलैंडर वर्ष में जी जाएगी जिसमें कि अवकाश का आवेदन किया गया था अथवा जिसमें आवेदन किए गए अवकाश का अधिक भाग आता है। केलैंडर वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसम्‍बर तक माना गया है। यह सामान्‍यत: परिवीक्षा अवधि में स्‍वीकृत नहीं किया जाएगा, परंतु विशेष परिस्थितयों में यदि परिवीक्षा अवधि में स्‍वीकृत किया जाता है तो परिवीक्षा अवधि उस अवकाश अवधि के बराबर तक के लिए बढ़ जाएगी।

संतान देखभाल अवकाश में महिला शासकीय सेवक को, अवकाश वाले माह के पूर्व जो वेतन मिलता है, वही वेतन मिलेगा।

वर्तमान में जो नवीन मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 लागू किया गया है वह मुख्‍य रूप से इस बिंदु में ही परिवर्तन दर्शाता है। उक्‍त नवीन गहन रूप से अध्‍ययन करने के उपरांत तथ्‍य उभर कर सामने आये हैं।

मध्‍य प्रदेश राजपत्र (असाधारण) प्राधिकार से प्रकाशित वित्‍त विभाग मंत्रालय, वल्‍लभ भवन, भोपाल, दिनांक 24 नवंबर 2025 को क्र. एफ.6-1-2025-नियम चार.-भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 309 के परन्‍तुक द्वारा प्रदत्‍त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए तथा मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 को अत‍िष्ठित करते हुए, मध्‍य प्रदेश के राज्‍यपाल द्वारा मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम 2025 पारित किया गया जो कि 01 जनवरी 2026 से प्रवृत्‍त होगा में संतान पालन अवकाश के संबंध नियम 40 के अंतर्गत नवीन प्रावधान बनाये गये हैं। जो कि इस प्रकार हैं:-

1. महिला शासकीय सेवक अथवा एकल पुरुष शासकीय सेवक को सक्षम प्राधिकारी द्वारा उसके संपूर्ण सेवाकाल के दौरान उसकी दो ज्‍येष्‍ठ जीवित संतानों की देखभाल, चाहे वह पालन पोषण के लिए हो अथवा अन्‍य जरूरत, जैसे कि शिक्षा बीमारी और अन्‍य ऐसी ही जरूरत के लिए, अधिकतम 730 दिन की कालावधि का संतान पालन अवकाश स्‍वीकृत किया जा सकेगा।

इसमें भी पूर्व की भांति एक कैलेंडर वर्ष में 3 बार से अधिक के लिए स्‍वीकृत नहीं किया जाएगा किंतु एकल महिला शासकीय सेवक को अधिकतम 6 बार स्‍वीकृत किया जा सकेगा तथा एक बार में 5 दिवस से कम के लिए देय नहीं होगा। संतान पालन अवकाश की कालावधि में प्रथम 365 दिवस के लिए अवकाश माह से ठीक वाले माह में जो मिलता वह 100 प्रतिशत प्राप्‍त होगा, अगले 365 दिवस के लिए 80 प्रत‍िशत, अवकाश वेतन भुगतान किया जाएगा।

उक्‍त नवीन प्रावधान के अंतर्गत महिला शासकीय सेवक के साथ एकल पुरुष शासकीय सेवक को भी सम्मिलित किया गया है। एकल पुरुष शासकीय सेवक से तात्‍पर्य अविवाहित या विधुर या परित्‍यक्‍त शासकीय सेवक से है। इसके अत‍िरिक्‍त सरोगेसी के मामले में, दो से कम जीवित संतान वाली कमीशनिंग मां को संतान पालन अवकाश स्‍वीकृत किया जा सकेगा। कमीशनिंग मां से तात्‍पर्य है सरोगेसी के माध्‍यम से पैदा हुई संतान की मां।

यदि हम नवीन मध्‍य प्रदेश सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1977 को देखते हैं तो हमें कहीं न कहीं यह सकारात्‍मक और नकारात्‍मक दोनों प्रकार का लगता है। सकारात्‍मक इस प्रकार की इसमें महिला के साथ एकल पुरुष को भी सम्मिलित किया गया है तथा महिलाओं के पक्ष को देखते हैं तो इसमें 80 प्रतिशत वेतन को प्रावधान किया गया है आगामी 365 दिनों के अवकाश के लिये। सबका अपना-अपना पक्ष हैं। यह लेख केवल प्रावधानों से अवगत कराना है, जिससे कि शासकीय सेवकों को संतान पालन अवकाश के विशेष संदर्भ में जानकारी प्राप्‍त हो सके तथा यह जानकारी से लाभ मिल सके। नकारात्‍मक या सकारात्‍मक रूप से देखना यह शासकीय सेवक का व्‍यक्तिगत दृष्टिकोण हो सकता है।

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