जो तु ना पढ़ें में वो वेद हूँ
दानव-मानव का में भेद हूँ ।
एक पाप था मेरा जो तु रोज ही करता
फिर मुझको जलाकर तेरा मन भी भरता ।
बुराई का अंत तु क्या करेगा?
तेरे पापो की सजा तु यही भरेगा ।
तु खुद ही जकड़ा है लालच और धर्म में
भरोसा ना रहा तेरा सच और कर्म में ।
औरत की इज्जत तुने इन रास्तों पे टांग दी
भुला तु उसको जिसने तेरे लिए जान दी ।
मे रावन हूँ तु इन्सान है
तेरे कर्मो का यही अंजाम है ।
अब देख आयने में तुझे में ही दिखूंगातेरे अंदर से ना मरू तबतक यही रहूंगा।
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