आंखे सब की नम है
फिर भी खुशी किसी को न कम है
देख रहा हूं मैं सब को और सब मुझे देख रहे
क्योंकि आंसू मेरे भी कहां रुक रहे
कहे सब किस्मतवाले जो कन्यादान करे
लेकिन यह दिल मेरा जले
सामने है वो मेरे, सजी हुई बैठी हंस रही है
फिर भी उसकी यादें मेरी ओर मुख मोड़ रही है
एक छोटी सी गुड़ी थी, खुशियों की वो पुड़िया थी
झंकार जिसकी पायल की पूरे घर में गूंजा करती थी
दरवाज़े पर उसकी ही बनाई रंगोली सजा करती थी
आखिर उसकी हंसी में ही तो मेरी शांति बसा करती थी
अरे पापा आपको नहीं पता...मुझसे ही कहा करती थी
मम्मी ये नहीं खाऊंगी...हाय नखरे हज़ार किया करती थी
स्कूल नहीं जाऊंगी बोलती, फिर भी उसका हाथ पकड़ लेजाता था
शाम को वापस आ जाओगी यह कहकर उसे ही नहीं खुद को भी समझाता था
यह जानकर भी कि अब शाम को वह वापस नहीं आएगी,
हाथ उसका किसी और को दे रहा हूँ
जिसको दे रहा हूँ उसी से कह रहा हूँ
जो घर को मेरे जिंदा बनाती है वो आवाज़ दे रहा हूँ
जिससे मेरे आंगन में खुशियाँ लिखी जाती है वो कलम दे रहा हूँ
मेरे जीवन भर की पूंजी मैं तुम्हारे नाम कर रहा हूँ
सम्मान करोगे तुम उसका मेरी तरह, सोचकर यही आज मैं कन्यादान कर रहा हूँ
उस आवाज़ को कभी रुकने न दूंगा
उस कलम को कभी थमने न दूंगा
यही कह वो उसका हाथ लेता है
मुस्कुरा कर मुझसे फिर कहता है
पूंजी जीवन भर की नहीं, लक्ष्मी आप सौंप रहे
कन्यादान नहीं, मुझ पर उपकार आप कर रहे
अभी भी सब मुझे देख रहे
आखिर अब आंसू मेरे और बह रहे।