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प्रस्तावना- "एक ऐसी कहानी जो सिर्फ महसूस की जा सकती है।"

प्रेम एक ऐसा शब्द होता है, जिसका विस्तार शब्दों में करना मुश्किल है। प्रेम जो दुनिया का सबसे सुंदर और सबसे दर्द भरा एहसास होता है। 

यह मन का वो भाव होता है, जिसमें हमें सामने वाले व्यक्ति से न  कोई इच्छाएं होती हैं, न कोई मांग होती है, न कोई हक होता है, सामने वाले को पाने का। 

हम किसी से प्यार बस कर सकते हैं, लेकिन किसी से प्यार करवा नहीं सकते। प्यार बंधनों में नहीं बंधता... यह एक मुक्त एहसास है, जो कोई भी किसी से कर सकता है। ये सब मैं अपनी ज़िंदगी में अभी महसूस कर रही हूॅं।

लोग कहते हैं कि प्यार दो लोगों के बीच होता है, लेकिन कभी-कभी प्यार सिर्फ एक दिल में धड़कता है। और वही दिल उस पूरी कहानी का बोझ उठाता है। 

"मेरे लिए प्यार बस किसी इंसान को चाहते रहना होता है, बिना किसी उम्मीद के। एक तरफा प्यार, जो कभी मिलता नहीं... पर फिर भी कभी दिल से जाता नहीं। मैं जानती हूॅं वह मेरा कभी नहीं हो सकता... फिर मैं भी उससे बेइंतहा प्यार करती हूॅं।" 

मैं बचपन से एक ऐसी लड़की हुआ करती थी। जिसको इस समाज ने बहुत कुछ सिखा दिया, छोटे से ही। मुझे बचपन से ही प्यार मोहब्बत इन सब पर जरा भी विश्वास नहीं था। इस समाज ने मुझे बहुत प्रभावित किया। कुछ लोग की वजह से प्यार का नाम बदनाम है। उन्हें प्यार का असली मतलब पता ही नहीं होता है। पहले आई लव यू बोला...फिर दो महीने बाद ब्रेक-अप, ये सब क्या है? हमारी सोसाइटी में प्यार जैसे इतने अच्छे और सुंदर भाव का मजाक बना हुआ है। 

मैंने इतनी छोटी आयु में, पता नहीं इतना सब  कैसे अपने दिमाग में भर लिया। मैं बचपन से ही निश्चय  कर लिया था, कि मैं प्यार के चक्कर में कभी नहीं पड़ूॅंगी। लेकिन बचपन से अब के विचारों में  मेरे अंदर बहुत परिवर्तन हुए। मैं अब अपनी और मेरे एक तरफा प्यार के बारे में बताने जा रही हूॅं, जिसने मुझे अंदर से बदल कर रख दिया।

उसका नाम है- "सत्यम"...

यह नाम जब-जब सुनती हूॅं, जब-जब देखती हूॅं, जब-जब कहती हूॅं, मुझे एक अलग ही सुकून मिलता है। मुझे उसके नाम से भी प्यार है।

हमारी पहली मुलाकात- "जिससे मेरी जिंदगी में एक नया मोड़ आया।"

मैं तब अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी कर रही थी। और दूसरी तरफ  अपने घर की रोज-रोज की लड़ाइयों से भी लड़ रही थी। बहुत मन अशांत रहता था मेरा। कोई खुशी नहीं मिलती थी मुझे, कोई सही दोस्त भी नहीं। जरा भी सुकून नहीं था। 

तब एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरी पूरी जिंदगी ही बदल डाली। मैं अपनी कोचिंग की क्लास में एक ऐसे लड़के से मिली, जिसको उस दिन ''2 December 2023'' से पहले कोचिंग में कभी नहीं देखा था। क्योंकि मैं ज्यादा बच्चों पर ध्यान नहीं देती थी।

वह लड़का मुझे बहुत प्रभावित कर गया। उस दिन उससे मेरी थोड़ी बात हुई थी। मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लगा... उसका व्यवहार, उसका स्टाइल, मुझे बहुत आकर्षित कर गया। मेरे दिल से आवाज आने लगी थी, कि –

"इस लड़के को मुझे अपनी जिंदगी से कहीं नहीं जाने देना है।" 

फिर मैंने उससे उसका नंबर मांग लिया, ताकि वह बाकी बच्चों की भीड़ में खो ना जाए। क्योंकि मैंने उस दिन उसका चेहरा भी ठीक से नहीं देखा था। बस वह मुझे बहुत अच्छा लगा था।

"वह पहले दिन से मुझे बहुत अच्छा महसूस कराता चला गया। मैं खुद जान ही नहीं पाई, यह जो मैं उससे भावनाएं महसूस करती हूं। वह साधारण नहीं है...प्यार का एहसास है।"

कोचिंग के दिनों में, उसे छुप–छुप  कर देखना। उसके क्लास में आने का इंतजार करना, उसकी रेड स्कूटी कोचिंग के बाहर ढूंढना....... मैं उसके बहुत नज़दीक आती गयी।

'मैंने शुरुआत से ही उसे बहुत चाहा, इतना चाहा कि आज में पागल बन चुकी हूॅं उससे प्यार करके।' 

बस कोशिश करती हूॅं, कि उसके सामने मेरा पागलपन न दिखे। क्योंकि उसे मुझ पर शक है, कि मैं उसके लिए कुछ फील करती हूॅं। लेकिन मैं कभी नहीं बताना चाहती हूं, अपने प्यार के बारे में। इससे हमारी अच्छी-खासी दोस्ती भी खराब हो सकती है। 

"एग्जाम और कोचिंग खत्म होने के बाद... हमारी बातें और दोस्ती।"

अब हमारी कोचिंग लाइफ खत्म हो गई थी। अब मैं उससे रोज-रोज नहीं मिल सकती थी, जैसे पहले मिल लेती थी।  लेकिन, मैं फोन से उससे रोज़ बातें  जरूर करती थी। क्योंकि अभी कुछ महीने ही हुए थे, उससे मिले... कि मुझे उसकी आदत भी लग गई थी। मैं अब उसे किसी भी तरह खोना नहीं चाहती थी। 

"धीरे-धीरे.... वह मेरे हर दिन का एक खास हिस्सा बन गया था। उससे बात किये बिना मुझे बेचैनी होने लगती थी। मुझे कुछ अच्छा नहीं लगता था, कोई खुशी नहीं होती थी।" 

धीरे-धीरे... उसके एक–एक  मैसेज का इंतजार करना मेरी बहुत बुरी आदत बन गई। उसके एक मैसेज से मेरा पूरा दिन खूबसूरत बन जाता था।  वह घर का बड़ा बेटा है... इसलिए उसके ऊपर काफी जिम्मेदारी हैं। इस वजह से, वह दिन में बस एक ही बार मैसेज कर पाता था। मुझे यह भी मंजूर था। वह जब भी मैसेज करता था, मुझे हमेशा खुशी मिलती थी... चाहे वह एक दिन बाद करें मैसेज या 2 दिन बाद। क्योंकि मैं उसे बहुत चाहती हूॅं । उसे कभी अपने से दूर नहीं होने देना चाहती हूॅं। 

मैंने उसे शुरुआत से भाई माना था। क्योंकि मैं अपनी दोस्ती के बारे में कुछ भी उल्टा सीधा नहीं सुनना चाहती थी। कोई हमारी दोस्ती को गलत न समझें। लेकिन शायद भगवान जी ने मेरी किस्मत में कुछ और ही लिख दिया था। ऐसे ही हम परममित्र बनते गये। परन्तु, मुझे नहीं पता था, कि ये दोस्ती मेरे लिए क्या बनने वाली है। 

मैंने उसके लिए खुद राखी भी बनाई थी। परन्तु उसे बांध नहीं पाई। और शायद किसी ने सही ही कहा है...

"जो होता है, अच्छे के लिए होता है।"

और अब लगता है, अच्छा ही हुआ। मैंने उसे राखी नहीं बांधी। यह सब जो हो रहा है भगवान जी का रचा हुआ ही खेल है। बस एक बात का अफसोस है, कि वह मुझे बहन मानता है। तब मुझे अच्छा लगता था कि वह मुझे बहन मानता है। लेकिन अब नहीं, हालांकि मैं कुछ कर भी नहीं सकती। हम किसी के मन की भावनाओं को तो नहीं बदल सकते। बस मौन रह सकते हैं। बस सामने वाले व्यक्ति की भावनाओं का सम्मान कर सकते हैं।

"सत्यम का सच... जिसने मुझे अचंभित कर दिया।" 

उससे मिलने के 8-9 महीने बाद... मुझे पता चला, कि

 'सत्यम की एक गर्लफ्रेंड भी है।'

 और उनका संबंध उस समय कठिनाइयों में था। मेरे लिए यह सुनना आश्चर्यजनक था। परन्तु फिर भी मैंने अपने दिल को रोक लिया। मुझे हैरानी नहीं हो रही थी, कि उसने अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में मुझे कुछ नहीं बताया। 

मुझे उसकी खुशी चाहिये थी। इसीलिए मैंने उसकी गर्लफ्रेंड को समझाने की भी कोशिश की। कि वह सत्यम से बात फिर से शुरू कर दे। उसकी गर्लफ्रेंड अपने घर की सीमाओं से बंधी थी। इस वजह से वह सत्यम से दूर हो रही थी। वह उससे बात फिर से शुरू करती, ताकि वो दोनों कभी अलग न हो। और इससे सत्यम को भी खुशी मिलती। 

"सत्यम की खुशी में ही मेरी खुशी है।"

मैंने कभी ये नहीं चाहा, कि उसका रिलेशनशिप टूट जाये। हमेशा बस यही चाहा, कि वह खुश रहे। वो और उसकी गर्लफ्रेंड हमेशा साथ रहें, ज़िंदगी भर। भले ही मेरी किस्मत में शायद वह न लिखा हो। लेकिन उससे जुड़े एहसास मैं कभी नहीं भूल सकती। उसके जुड़े एहसास और उसकी दोस्ती के सहारे ही मैं जिंदा हूॅं। 

वैसे, तो मैं अंदर से मर चुकी हूॅं। लेकिन उसके सामने आते ही जिंदा हो जाती हूॅं। ऐसा लगता है कि मुझे जीने की कोई वज़ह मिल गई हो। 

जब, वह मेरी ज़िंदगी में आया था। तब, मैं अपनी ज़िंदगी में बहुत दुःखी रहती थी। 

"उसका मेरी जिंदगी में आना किसी सौभाग्य से कम नहीं था, क्योंकि तब से वह मुझे समझता हुआ आया है। मेरी सारी तकलीफों को वह अपने आप ही जान लेता था।"

वह बस कुछ कहता नहीं था। वह अपने दिल की बातें बहुत कम बताता था। लड़के तो ऐसे ही होते हैं, अपने बारे में बहुत कम बताते हैं। जब भी वह अपने दिल की बातें बताता था। मुझे सुनकर बहुत अच्छा लगता था। ऐसा लगता था, कि वह भी मुझे अपना समझता है। ऐसा लगता था,  जैसे कि मैं भी उसके दिल के थोड़ा  करीब हूॅं। 

"एक ऐसी मुलाकात... जब मुझे अपने एक तरफा़ प्यार का एहसास हुआ।" 

25 अक्टूबर 2024 के दिन, मैंने अपनी मम्मी को बहुत मनाया था, उसे अपने घर बुलाने के लिए। और रोना भी आ गया था , मम्मी को मनाते हुए। फिर सत्यम घर आया और मम्मी से मिला। जाते-जाते मैंने उसके साथ हमारी पहली फोटो खींची। और उसे कस कर गले से लगा लिया। मैं अपने आप को नियंत्रित नहीं कर पाई। पहले से ही सोचकर बैठी थी, कि उसे गले से लगाना है। और मुझे बहुत सुकून मिला।

"एक ऐसा सुकून जिसको मैंने पहले कभी महसूस नहीं किया था। और तब से ही मुझे अपने एक तरफा़ प्यार का एहसास हुआ। ये वही पल था, जब मुझे समझ आया–

'हाॅं...! ये प्यार ही है।'

मानो, अब मुझे कुछ नहीं चाहिए मेरी जिंदगी में... उसके अलावा।"

लेकिन, उसने मुझे स्पर्श नहीं किया। उसने मुझे गले से नहीं लगाया। वह मुझे बस बहुत अच्छी दोस्त मानता है। उसे भी मुझसे मिलकर अच्छा लगता है। उसने कभी-भी मुझे बुरी नजर से नहीं देखा, न कभी मुझे स्पर्श किया। ये बातें मुझे उसकी ओर और ज्यादा आकर्षित करती हैं। तब से ही, मैं उसकी सारी आदतें अपनाने लगी। उसे काले रंग के कपड़े पहनना ज्यादा पसंद है। तो, अब मुझे भी यह अच्छा लगता है। उसे केले का शेक पीना पसंद है। और फिर मुझे भी पसंद आने लगा। उसे जो-जो पसंद है, मुझे सब पसंद आने लगा।

यहां तक कि, मैं भगवान पर भरोसा करना भी छोड़ती जा रही हूॅं। तब से, मेरा पूजा-पाठ करने का बिल्कुल भी मन नहीं करता। लेकिन मैं एकदम भी नास्तिक नहीं बनी। क्योंकि—

 "भगवान जी की वजह से ही मुझे सत्यम मिला। मैं उनकी हमेशा आभारी रहूंगी।"

अब, मैं जब भी सत्यम को याद करती हूॅं। तो, उसकी फोटो या व्हाट्स ऐप की चैट देखती रहती हूॅं। उसकी फोटो देखते ही मुझे रोना आ जाता है। मेरी आंखें नहीं, मेरा दिल रोता है। फिर मैं बस उसे ख्वाबों में ही महसूस करती रहती हूॅं। उसकी यादें मुझे हर समय आती रहती हैं। 

"2 दिसंबर 2024... जब हमारी दोस्ती की पहली सालगिरह थी।

हालांकि, ऐसी कोई सालगिरह नहीं होती है। लेकिन, मैंने अपने प्यार में इसका आविष्कार कर दिया। उस दिन, मैंने सत्यम को परमट मंदिर मेरे साथ में चलने के लिए बहुत मनाया, जो कानपुर का बहुत प्रसिद्ध मंदिर है। तब, वह तैयार हो गया। हम दोनों, साइकिल से 7-8 किलोमीटर दूर मंदिर तक गए थे।

''मुझे सब कुछ एक सपने जैसा लगता है, जब-जब सत्यम मेरे साथ होता है।'' 

दो घंटे कब निकल गए, मुझे पता ही नहीं चला। घर आकर बस, मैं फोटो देख कर महसूस करती हूॅं, कि कहीं तो मैं उसके साथ घूमी थी। उस दिन भी, मैंने उसे हल्का-सा गले से लगाया था। और तब भी उसने मुझे कोई स्पर्श नहीं किया। 

वह एक ऐसा लड़का साबित हुआ। जैसा मुझे चाहिए था। वह मुझे शुरुआत से ही समझता हुआ आया है। मेरे दुख और दर्द में मेरे साथ खड़ा रहा। मुझे सही सलाह देता रहा। मुझे बिना पता चले ही वह मेरा ख्याल रखता है। लड़के अपनी भावनाएं दिखाते नहीं है, बस चुपके से ही परवाह करते हैं। 

उसे मैं अब दिन रात हर समय सोचती रहती हूॅं। काफी बार वह मेरे सपने में आता रहता है। जब कभी मैं उससे सामने से नहीं मिल पाती। तब, मैं उससे ख्वाबों में मिल आती हूॅं। 

"मुझे बहुत अच्छा लगता है... उसके बारे में सोचना, उसे महसूस करते रहना। भले ही ये रिश्ता सिर्फ एक तरफा है। मुझे उसका बनकर रहना अच्छा लगता है। उसका नाम सुनते ही मेरे दिल की धड़कनें तेज हो जाती हैं।"

मेरी साॅंसों में, मेरी रूह में, वह मेरे अंदर बैठ गया है। वो मेरा पूरा दिल बन चुका है। मेरा यह दिल उसके आने से पहले  कई टुकड़ों में टूट चुका था। तब, उसने मुझे संभाला। उसने मुझे सही रास्ता दिखाया। ऐसा लगता है, कि भगवान जी ने मेरे लिए खास फरिश्ता भेजा हो। उसका होना मुझे अंदर से खुश कर देता है। 

"होली का रंग... और हमारी पहली भोजन-तिथि (फूड डेट)।"

मैंने उससे मिलकर बहुत कुछ सीखा। उसके साथ रात भर जागकर मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई करना अच्छा लगता था। इससे पढ़ाई के साथ-साथ हमारी और ज्यादा बातें भी हो जाती थी। अभी तक 2 सालों में, मैंने सत्यम को ही सबसे पहले होली का रंग लगाया। मैं सोचती थी, इससे हमारे बीच और नये रंग भी जन्म ले सकते हैं। और खास भावनाएं भी जाग सकती हैं। 

"हम दोनों ने इस दोस्ती को एक सच्ची दोस्ती के रिश्ते तक निभाया। हमेशा एक दूसरे के सुख और दुख में साथ खड़े रहे।"

उसे संतुलित भोजन ज्यादा पसंद है। क्योंकि वह हमेशा अपने स्वास्थ्य को लेकर गंभीर रहता है। जब पहली बार, मैं और सत्यम फूड डेट पर गए। तब, हमने ओरियो शेक पिया। उसका मीठा-सा स्वाद, मेरे सत्यम की बातों की तरह था। शेख की ठंडक मेरे सत्यम के शांत स्वभाव की तरह थी। 

उसके बारे में, मैं जितनी भी बातें बताती जाऊं, मुझे सब कम लगता है। जितनी मेरे दिल में उसके लिए भावनाएं हैं। उसका आधा भी बात नहीं पाती। 

"उससे हर बार मिलने पर, मुझे वह पहले से ज्यादा खूबसूरत लगने लगता है। हर मिलन पर मुझे उससे बहुत ज्यादा खुशियां मिलती हैं।"

"हमारी पहली फिल्म-तिथि (मूवी डेट)।"

29 जुलाई, 2025 वो दिन था। जब मैं पहली बार थियेटर गयी थी, वो भी अपने सत्यम के साथ। मेरे लिए ये कोई साधारण बात नहीं थी। बहुत ज्यादा खास घटना थी वो मेरे लिए। उस दिन मैं पूरे 2 से 3 घंटे  उसके साथ रही। मैं उसके साथ बिताए हर लम्हें को महसूस करती जा रही थी। 

 उसके साथ और उसके सामने होने पर, मेरी धड़कनों में बहुत तेज हलचल हो रही थी, मूवी हाॅल में। मैं हर पल घड़ी देखती जा रही थी, क्योंकि मुझे डर लगा रहता था। कि कितना जल्दी ये समय गुजर जाएगा और वह भी वापस चला जाएगा। और फिर वह दो महीने बाद तक मिलने आएगा। जब, उससे मिलकर घर आई। तब उस दिन, मैं पूरी रात भर रोती रही थी। बस यही सोच कर , कि —

''वह मेरा नहीं है..!''

"मैं कुछ भी कर लूॅं, लेकिन वह मेरा कभी नहीं बनना चाहता है। वह मुझसे बस एक अच्छी दोस्ती रखता है। और वह मुझको बहन भी मानता है। ये बात मुझे अंदर से और ज्यादा दुःख देती है। मैं कुछ कर भी नहीं सकती।"

उस दिन, मेरा बहुत मन कर रहा था। मैं सत्यम को सब सच बता दूॅं, क्योंकि मेरा दिल बहुत ज्यादा भारी हो रहा था। लेकिन मैंने अपने आप को रोका। 

फिर मैंने सोचा, कि अपने जन्मदिन पर अपने प्यार के बारे में सब सच बता दूंगी। लेकिन, जैसे-जैसे समय नज़दीक आया। मेरा मन कहने लगा—

"मुझे अपना ये सच कभी नहीं बताना चाहिए। क्योंकि सच बताने के बाद सब उजड़ जायेगा। उसका मुझपर विश्वास भी टूट सकता है।"

जैसा हम चाहे, हमेशा वैसा नहीं होता है। मैं पहले सोचती थी, कि वह मुझे समझेगा। मेरे प्यार को समझेगा। और दोस्ती नहीं तोड़ेगा। लेकिन अब लगता है, कि दोस्ती ही बनी रहे, तो ज्यादा ठीक रहेगा। मुझे उसके सामने बहना नहीं होगा, भावुक नहीं पड़ना होगा। मुझे उसको कुछ भी पता नहीं चलने देना है। ताकि, हमारी दोस्ती में कोई असर पड़े।

मेरी छोटी-सी गलती... जिसने मेरे सत्यम से हमारी की बातें बंद कर दी।

29 अक्टूबर, मेरा जन्म दिवस। जब मैं उससे मिलने गई। उस दिन सब कुछ बहुत अच्छा चल रहा था। यहां तक, कि जब तक उसने मुझे मेरे जन्मदिन की शुभकामनाएं नहीं दी था। तब तक, मैं किसी की भी शुभकामनाएं स्वीकार नहीं की थी। किसी को भी धन्यवाद नहीं बोला था। मैं बस उसके शुभकामनाएं देने का इंतजार कर रही थी। 

हम हंसी-खुशी बातें कर रहे थे, घूम रहे थे। फिर तभी मैंने थोड़ी बचपना वाली हरकतें करने की कोशिश की। मैंने उससे मेरे साथ हाथों की कलर प्रिंटिंग करने को बोला। लेकिन, उसने मना कर दिया। और तब ही से मेरा मूड खराब हो गया था। अगर, मेरे मन का कोई काम नहीं होता है। तो , मुझे बहुत गुस्सा आता है। और इतना गुस्सा कि, रोना भी आ जाता है। 

"उस दिन पहली बार ऐसा हुआ, कि उससे मिलने गई। और वापस घर आकर खुश नहीं हुई। पता नहीं क्यों मैंने ऐसा किया। मेरा दिमाग उसके सामने बंद हो जाता है। ऐसा लगता है कि कोई जादू कर दिया हो उसने। उसके सामने आते ही मेरा सोचना, समझना और समझदारी सब गायब हो जाती है।"

घर आकर मैंने मैसेज में उसे बहुत उल्टा-सीधा बोल दिया। जिसके बाद जो हुआ, उसने मेरा दिल तोड़ दिया। ऐसा लगता है, कि बहुत जोर से चीर दिया हो, किसी ने। उसने कहा - अब हमारी बात नहीं होगी। जब वो मैसेज करेगा, तब ही बात होगी। उसके पीछे का कारण मैं जानती थी, लेकिन उसके कहने पर मुझे उसकी सारी बातें माननी ही पड़ी।

मैं अब उससे बात नहीं कर सकती थी। लेकिन उसकी फोटो देखना, उसे महसूस करते रहना, उसके साथ बिताए हर लम्हें को याद करना, ये सब तो मैं कर सकती थी। और करती रहती हूॅं। भले ही उससे अब मेरी बात नहीं होती। लेकिन मैं तब भी अपने ख्वाबों में अपने सत्यम से मिल आती हूॅं। उससे बातें भी कर आती हूॅं। 

"मैं जानती हूॅं, कि उसने मुझे दोस्ती में कोई धोखा नहीं दिया है। बस वह अपनी गर्लफ्रेंड और मेरे बीच में मजबूर है। मैं उसे समझना चाहती हूॅं। वो भी मुझे याद कर रहा होगा।"

 उसने तो बस अपना फर्ज़ निभाया, जो उसका अपनी गर्लफ्रेंड के लिए बनता है। और मैं अपना फर्ज़ निभाऊंगी।

 मैं अभी भी जब-जब उस दिन, उस पर को याद करती हूॅं। मेरा दिल अपने आप रोने लगता है। कभी कभी तो आसूं ऑंखों तक नहीं आ पाते , बस दिल में ही दर्द होता रहता है।

"उस रात के बाद से रातें... रोना और मेरी तन्हाईयां।"

उस रात मैं सो नहीं पाई। मुझे समझ नहीं आ रहा था, कि मैंने क्या खो दिया है। एक जरा-सा मूड खराब होने पर इतना बड़ा परिणाम मिलने वाला था, ये कभी नहीं सोचा था। 

इंस्टाग्राम पर उसने मुझे ब्लॉक भी कर दिया था। मैं दूसरी कोई आईडी से बस उसकी प्रोफाइल देख लेती हूॅं। बस यही एक कनेक्शन बचा है। 

उसकी यादें मेरे ख्यालों से, मेरे सपनों से, मेरे दिल से कभी जाती ही नहीं थी। वो अपने वक्त पर आता है, लेकिन उसकी यादें बेवक्त आती हैं। रातें तो बहुत दूर की बात है, मुझसे मेरे दिन भी नहीं काटे जाते हैं। दिन भर घर के काम और पढ़ाई करते हुए भी मुझे उसकी यादें सताती रहती हैं। उसे मैं हर दिन, हर रात, हर वक्त याद करके रोते हुए गुजारने लगी हूॅं।

''तन्हाई एक तरफ़ा प्रेम की स्थायी साथी होती है।''

"रातें लंबी होती जाती हैं।नींद आँखों से रूठ जाती है। दिल बार-बार वही दृश्य दोहराता है—वह मुलाक़ात,वह छोटी-सी गलती,वह दूर हो जाने की बात,और उसका “अब बात नहीं होगी” कहना।"

यह हर बार दिल को उसी जगह से तोड़ देती है। इसी तन्हाई में मन एक अजीब-सा भरोसा भी पाल लेता है—

कि शायद वह कभी नहीं भूलेगा मुझे,कि शायद किसी जन्म में मिलेंगे,कि शायद मेरी चाहतें उसके जीवन को कहीं न कहीं छूती होंगी।  

"यही उम्मीद मुझे ज़िंदा रखती है। यही उम्मीद एक तरफा प्रेम की रोशनी है—जो हर टूटे दिल में टिमटिमाती रहती है।"

और एक तरफ से लगता है, कि शायद मैं उसे पहले के वक्त से भी ज्यादा चाहने लगी हूॅं। परन्तु, मैं कभी भी उसे एहसास भी नहीं होने देना चाहती हूॅं। कि मैं उससे प्यार करती हूॅं। क्योंकि उसको पता चला, तो जो थोड़ी दोस्ती बची है। वह भी टूट जायेगी। 

लोग अक्सर कहते हैं—

“कौन किसी के बिना मरता है? समय सब ठीक कर देता है। परन्तु, यह बातें केवल वही लोग कह पाते हैं जिनके दिल में कोई अधूरा प्रेम नहीं पलता।"

एक तरफा प्रेम में समय बीत नहीं जाता, बल्कि ठहर जाता है—ठीक उसी जगह, जहाँ वह व्यक्ति हमें छोड़ कर गया था। कभी-कभी लगता है कि शायद अब मन संभल जाएगा, पर उसकी यादें किसी हवा की तरह वापस आ जाती हैं।

"कभी उसकी तस्वीर,कभी कोई पुराना संदेश,कभी कोई गीत,सब कुछ उसी की ओर खींच ले जाता है।"

''यह प्रेम इंसान को किसी और के लिए नहीं छोड़ता।दिल उसी एक नाम पर अटक जाता है।और उसे बदलना, मिटाना, या उससे आगे बढ़ना—लगभग असंभव-सा लगने लगता है।" 

मैं उसे भुलाने की जरा भी कोशिश नहीं करना चाहती हूॅं। मैं उसे इतना चाहते रहना चाहती हूॅं, कि एक दिन वह खुद मेरे पास आ जाए। बहुत ही मुश्किल है ये सब असल में होना।

"जब मन किसी एक ही व्यक्ति में ठहर जाता है..!"

कभी-कभी जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति मिलता है जो हमें अपना-सा लगने लगता है। वह हमारी बातों में, हमारी हँसी में, हमारी चुप्पियों में बसने लगता है। हम चाहकर भी उसे अपने मन से अलग नहीं कर पाते। वह हमारे हर दिन का हिस्सा बन जाता है—

"सुबह की पहली सोच,
दिन भर की बेचैनी,
और रात की आख़िरी आहट।"

परन्तु , एक तरफा प्रेम की सबसे कठिन बात यह है कि यह सब केवल हमारे भीतर चल रहा होता है। सामने वाले को इसका एहसास भी नहीं होता कि कोमल-से शब्द, हल्की-सी हँसी, और एक साधारण-सा ध्यान हमारे भीतर कैसा तूफ़ान खड़ा कर देते हैं। 

एक तरफा प्रेम की सबसे गहरी पीड़ा... चुप्पी।

इस प्रेम में सबसे कठिन होता है—

"अपनी भावनाओं को दिल में बंद रखना।"

जिसकी एक झलक से दिन बन जाता है। वही व्यक्ति जब दूर जा रहा होता है। तो, मन चीखना चाहता है। परन्तु , आवाज गले में ही अटक जाती है।

रात की नींद उसकी यादों में बदल जाती है। दिन की हँसी उसकी कमी में खो जाती है।और वह व्यक्ति मन में किसी अनकहे व्रत की तरह बस जाता है—

"जिसे भुलाने की कोशिश करना भी पाप-सा लगता है।"

इसी चुप्पी में एक-तरफ़ा प्रेम सबसे ज़्यादा बढ़ता है, और सबसे ज़्यादा दर्द भी देता है।

एक तरफा प्यार की सबसे दर्दनाक बात... हक नहीं होता।"

सबसे बड़ी बात यह है, कि एक तरफा प्यार में हम रो सकते हैं। तड़प सकते हैं। रात भर जाग सकते हैं। लेकिन –

"शिकायत करने का हक नहीं होता। क्योंकि सामने वाले ने कभी कोई वादा नहीं किया होता है।"

मैं उसे हर रोज याद करती हूॅं। लेकिन, मैं उसको बताती नहीं हूॅं। मैं उसकी खुशी के लिए उससे दूर भी हो जाऊगी। परन्तु अपने दिल में उसे हमेशा रखूंगी। मैं किसी और से शादी नहीं कर पाऊंगी। क्योंकि मेरे दिल ने किसी और को कभी स्वीकार किया ही नहीं।

"मेरा भविष्य... मेरा निर्णय...  और मेरा सत्यम।"

मैं पढ़ूंगी, लिखूंगी, और मेहनत करूंगी। मैं अपने कैरियर में कुछ करके दिखाना चाहती हूॅं।

मेरे दिल में सत्यम के लिए जो स्थान है, वो किसी और के नाम नहीं हो सकता है। इसलिए मैंने निर्णय लिया है, कि —

''मैं भविष्य में एक बेटा गोद लूंगी। उसका नाम रखूंगी – सत्यम।"

एक सत्यम मेरे दिल में होगा। और एक सत्यम मेरे घर में मेरे पास, जिसके साथ ही मैं अपनी ज़िंदगी गुजारूंगी।

मैं किसी से शादी नहीं करना चाहती। न ही परिवार के दबाव में, और न ही सोसाइटी  की वजह से। मेरा ये दिल किसी और को स्वीकार ही नहीं करेगा। 

"दर्द के बीच... उम्मीद की धीमी-सी लौ।" 

मेरी कहानी किसी फिल्म की तरह ख़ुशहाल नहीं है।लेकिन यह अधूरी भी नहीं है।

यह पूरी है, क्योंकि—

 ''प्रेम कभी अधूरा नहीं होता।''

"मैं आज भी सत्यम से प्रेम करती हूँ।और आने वाले जीवन में भी करती रहूँगी।"

उसे पाकर नहीं…उसे बिना पाए।

उसे साथ रखकर नहीं…उसे दूर से दुआ देकर।

मेरे प्रेम में कोई शिकायत नहीं,कोई जवाब नहीं,कोई मांग नहीं।बस एक शांत स्वीकार है, कि –

"वह मेरी जिंदगी का सबसे सुन्दर एहसास है।"

अपने बेटे सत्यम को गले लगाकर,अपने भीतर के सत्यम को याद करके और अपने प्रेम को सम्मान के साथ संजोकर जियूॅंगी। 

"उपसंहार... मेरा ये प्यार कभी खत्म नहीं होगा।"

मेरा प्यार किसी वज़ह से नहीं, किसी आदत से नहीं। मेरा प्यार एक रूह से जुड़ा है। मैं उसे बिना बताए भी प्यार करती हूॅं। और बिना बताए ही सारी जिंदगी हमारी दोस्ती के सहारे गुजार दूंगी ।

इसलिए मेरी कहानी का अंत कुछ ऐसा है—

"मैं उसे छोड़ूंगी नहीं, बस दूर से ही प्यार करती रहूंगी।"

बाकी, भगवान जी ने भविष्य में जो लिखा होगा। वही होकर रहता है। उसकी खुशी में मेरी खुशी है। और –

''मेरा प्यार... उसकी सांसें, उसकी रूह से है। और उसकी अंतरात्मा से है।''

 सब बस सिर्फ एक तरफा, मैं सत्यम को बहुत अच्छे से जानती हूॅं। वह मुझसे प्यार कभी नहीं करने वाला है। और मैं चाहे कुछ भी कर लूॅं। मैं उससे प्यार करना नहीं छोड़ सकती।

मेरे सत्यम ने मुझे बस दोस्ती तक का हक दिया है।बस मैं उसे अपना कह सकती हूॅं। अपना बना सकती हूॅं, बस ख्वाबों में।

ख्वाबों की दुनिया में ही सही , वह हमेशा मेरे साथ रहेगा।

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